सबगुरु न्यूज। किसी भी राष्ट्रों के बीच युद्ध होना अच्छा नहीं माना जाता है। दो देशों के बीच शुरू हुए युद्ध की चिंगारी में कई राष्ट्र कूद जाते हैं। धीरे-धीरे करते यह युद्ध दो राष्ट्रों के बीच शुरू होकर विश्व युद्ध की शक्ल अख्तियार कर लेता है। पहले लड़ाई दो देशों के बीच शुरू होती है लेकिन बाद में अशांत पूरे विश्व के देश हो जाते हैं। सबसे बड़ा उदाहरण दुनिया ने प्रथम विश्व युद्ध (1914-18) और द्वितीय विश्व युद्ध (1939-45) के दौरान देखा था। खैर यह अतीत की बातें हैं, अब बात करते हैं चीन की।
पिछले दिनों लद्दाख के गलवान घाटी में भारत और चीनी सैनिकों के बीच हिंसक झड़प होने के बाद दोनों देशों में युद्ध जैसे हालात होते जा रहे हैं। चीन के साथ भारत भी सीमा पर अपने हथियारों और सैनिकों की संख्या बढ़ाने में लगा हुआ है। पूरे विश्व भर की मीडिया में चीन, भारत की टकराव की खबर हर दिन सुर्खियां बन रही हैं। एशिया समेत दुनिया भर में अपनी विस्तारवादी और साम्राज्यवादी विचारधारा के पागलपन में आकर चीन ने भारत के साथ दुनिया के तमाम देशों को अशांत कर दिया है। एक ओर जहां कोरोना महामारी ने पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले रखा है।
विश्व का हर देश सिर्फ कोरोना से निजात पाने के लिए जंग लड़ रहा है। अमेरिका और यूरोप तबाह हो रहे हैं। इन सबके बीच चीन को इसकी कोई परवाह नहीं है। वह तो भारत के साथ युद्ध करने में आमादा है। अपनी विस्तारवादी नीति का पहिया रुकना नहीं चाहिए, दुनिया चाहे तीसरे विश्व युद्ध में क्यों न उलझ जाए। वैसे यह सच्चाई भी है चीन कई देशों से तिलमिलाया बैठा है जब से अमेरिका समेत यूरोप के कई देशों ने चीन पर कोरोना महामारी फैलाने को लेकर आरोप लगाए थे।
अमेरिका के भारत का साथ देने पर चीन नहीं कर रहा कोई परवाह
चीन के साथ तनातनी के बीच अमेरिका ने भारत का साथ देने का एलान कर दिया है। अमेरिका पिछले कई दिनों से चीन से जबरदस्त गुस्साए बैठा हुआ था। कोरोना महामारी फैलने को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप कई बार चीन को धमकी भी दे चुके हैं। डोनाल्ड ट्रंप चीन को सबक सिखाने के लिए मौके की तलाश भी कर रहे थे। अब भारत के साथ चीन के युद्ध जैसे हालात होने पर अमेरिकी राष्ट्रपति को जैसे मौका मिल गया हो।
चीन की एशिया में बढ़ती दादागीरी के खिलाफ अमेरिका ने कड़ा रुख अख्तियार कर लिया है। अमेरिका अब भारत समेत एशिया के कई देशों में अपनी सेना तैनात करने की तैयारी कर रहा है। अमेरिका यह कदम ऐसे समय उठा रहा है कि जब चीन ने भारत में पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास तनावपूर्ण स्थिति पैदा कर दी है। अमेरिका के भारत को समर्थन देने पर बौखलाए चीन ने वियतनाम का उदाहरण भी ट्रंप को दे डाला है। अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पॉम्पिओ ने चीन को भारत और दक्षिण पूर्व एशिया के लिए खतरा बताया है।
युद्ध की स्थिति में भारत और चीन के साथ कई देश इस चिंगारी में कूद जाएंगे
अगर मान लिया जाए कि भारत और चीन के बीच युद्ध होता है तो ऐसा नहीं कहा जा सकता है कि यह दोनों देश अकेले ही लड़ेंगे बल्कि इसमें कई देश शामिल हो सकते हैं। दुनिया के कई देश ऐसे भी हैं जो भारत और चीन का खुलकर साथ दे सकते हैं। हाल के कुछ सालों में भारत और अमेरिका सैन्य लिहाज से और नजदीक आए हैं। अमेरिका ने तो यहां तक कहा कि ‘भारत उसका प्रमुख रक्षा साथी’ है और दोनों देशों के बीच कई स्तरों पर आपसी रक्षा संबंध हुए हैं। ट्रंप
ने तो साफ तौर पर कह दिया है कि वह चीन के टकराव के बीच भारत की हर संभव मदद करने के लिए तैयार है।
अमेरिका के अलावा, जापान, फ्रांस और ऑस्ट्रेलिया के साथ भारत संयुक्त सैन्य अभ्यास कर चुका है। चीन के साथ युद्ध के हालात में भारत इन देशों से बहुत अपेक्षा रख रहा है। दूसरी ओर भारत का सबसे पुराना दोस्त रूस अभी तक तो तटस्थ वाली भूमिका में है, हां लेकिन अभी रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के तीन दिन दौरे पर रूस भारत को हथियार देने के लिए राजी हो गया है। भारत के साथ अगर युद्ध होता है चीन को भी कई देश खुलकर समर्थन कर सकते हैं जैसे पाकिस्तान, उत्तर कोरिया और मिडिल ईस्ट के कई देश ऐसे हैं जो भारत के खिलाफ जा सकते हैं।
भारत ही नहीं दुनिया के कई देशों के लिए खतरनाक बन चुका है चीन
चीन की साम्राज्यवादी नीति भारत ही नहीं दुनिया भर के कई देशों के लिए खतरा बनी हुई है। चाहे थल क्षेत्र हो या समुद्र का हिस्सा हो चीन की विस्तारवादी नीतियों से नेपाल, भूटान, हांगकांग वियतनाम, इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलिपीन और साउथ चाइना, ताइवान अपना दबाव बनाता जा रहा है। चीन की विस्तारवादी नीति दक्षिण चीन सागर और पूर्वी चीन सागर में चलती रहती हैं। पूर्वी चीन सागर में चीन और जापान आमने सामने रहते हैं।
ये दोनों समुद्री क्षेत्र दक्षिण और पूर्वी चीन सागर को खनिज संपदा के लिए काफी समृद्ध माना जाता रहा है। यह जल क्षेत्र वैश्विक कारोबार से भी अहम रहा है। अब कोरोना संकट का फायदा उठाते हुए चीन इस इलाके पर अपना कब्जा मजबूत करता जा रहा है। चीन की मानसिकता यह रही है कि विकसित और विकासशील देशों को पहले वह ऋण मुहैया कराता है फिर उसकी जमीनों पर अपना साम्राज्य फैला लेता है।
शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार