नई दिल्ली। सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने शुक्रवार को कहा कि चीन एक ताकतवर देश है, लेकिन भारत भी कमजोर नहीं है। उन्होंने चीन से लगी देश की उत्तरी सीमा पर ध्यान केंद्रित करने पर जोर दिया।
सेना दिवस (15 जनवरी) से पहले पारंपरिक वार्षिक संवाददाता सम्मेलन में जनरल रावत ने पहली बार भारत, भूटान व चीन से लगे तिराहे डोकलाम पर भारत-चीन गतिरोध के बारे में बातचीत की। यह गतिरोध दो महीने से ज्यादा समय तक चला था।
सेना प्रमुख ने कहा कि उत्तरी सीमा (चीन के साथ) पर ध्यान केंद्रित किया जाना है। हमने लंबे समय से पश्चिमी तरफ (पाकिस्तान से लगी सीमा) ध्यान दिया है। उन्होंने कहा कि उत्तरी सीमा का इलाका भारत के पक्ष में है। सेना प्रमुख ने कहा कि चीन एक शक्तिशाली देश के तौर पर उभरा है। उन्होंने कहा कि साम्यवादी देश से निपटना सरकार का काम है।
उन्होंने कहा कि चीन एक शक्तिशाली देश के रूप में उभर रहा है, हालांकि मैं इसे एक वैश्विक शक्ति नहीं कहूंगा। लेकिन निश्चित तौर पर यह एक क्षेत्रीय शक्ति के तौर पर उभरा है। हम समझते हैं कि चीन एक शक्तिशाली देश है, लेकिन हम भी कमजोर राष्ट्र नहीं हैं।
हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि भारत भी क्षेत्र के दूसरे देशों से समर्थन मांग रहा है, जिससे यह अलग नहीं हो। जनरल रावत ने कहा कि उत्तरी सीमा से लगे इलाकों में बुनियादी विकास को तेज करने की जरूरत है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत को भविष्य में साइबर युद्ध के लिए भी तैयार रहना चाहिए।
भारतीय व चीनी सैनिकों के आमने-सामने आने की बढ़ती घटनाओं के बारे में पूछे जाने पर सेना प्रमुख ने कहा कि यह भारतीय सैनिकों की सीमा पर संख्या व गश्त के बढ़ने का परिणाम है।
उन्होंने कहा कि हम अब चीन सीमा पर ज्यादा आमने-सामने क्यों आ रहे हैं। इसकी वजह है कि हमने जवानों की संख्या बढ़ा दी है। उन्होंने कहा कि दोनों तरफ से गश्त बढ़ने के साथ संपर्क बढ़ना शुरू हुआ है। इस वजह से बड़ी संख्या में उल्लंघन हो रहे हैं।
उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा की कई अवधारणाओं की वजह से उल्लंघन हो जाते हैं। डोकलाम मुद्दे पर सेना प्रमुख ने कहा कि चीनी सैनिकों ने डोकलाम के उत्तरी भाग में अपनी मौजूदगी बनाई हुई है, जो कि चीनी क्षेत्र है।
सेना प्रमुख ने कहा कि डोकलाम में साल 2000 से सड़क निर्माण जारी है, लेकिन चीनी जवान बीते साल जून में भारत-चीन सीमा पर गतिरोध शुरू होने से पहले टोसा नाला के नजदीक आ गए। टोसा नाला उत्तर व दक्षिण डोकलाम को बांटता है।
उन्होंने कहा कि जून 2017 तक वे साफ तौर पर हमारे इलाके टोसा नाला के करीब आ गए। वे आए और एक सड़क बनाकर लौट गए।
उन्होंने कहा कि भूटानी सैनिक इलाके में गश्त कर रहे थे और यह सब हम अपनी तरफ से देख रहे थे। बीते साल एक दिन बड़ी संख्या में लोगों के साथ आए, उनके साथ पीपुल्स लिबरेशन आर्मी समर्थित बड़े उपकरण थे।
उन्होंने कहा कि जून 2017 तक यह एक बहुत ही स्पष्ट गतिविधि हो गई। उन्होंने कहा कि हमने महसूस किया कि वे संभवतया पूरे डोकलाम पर दावा करने की कोशिश करेंगे और वहां एक सड़क निर्माण करेंगे, जिससे इनकी पहुंच रायल भूटान आर्मी की चौकी तक होगी। यह हमारे सामने खतरा पैदा कर रहा था और यह यथास्थिति को बदल रहा था।
उन्होंने कहा कि हमने महसूस किया कि वे आगे सड़क दक्षिण की तरफ ले जा सकते हैं, तब हम कार्रवाई करने को मजबूर हुए, इसी वजह से गतिरोध हुआ।
जनरल रावत ने कहा कि डोकलाम के उत्तरी हिस्से में चीनी सैनिकों की मौजूदगी बनी हुई है, लेकिन इसमें कमी आई है और सक्रियता के स्तर में भी कमी आई है।