नई दिल्ली। लोकसभा में बुधवार को विपक्ष ने चिटफंड संशोधन विधेयक को जहां ‘कागजी शेर’ करार दिया, वहीं सत्ता पक्ष ने इसे गरीबों की जमा पूंजी को हड़पने की कोशिश को नाकाम करने का सशक्त जरिया बताया।
ज्यादातर विपक्षी सदस्यों ने संशोधन विधेयक का समर्थन तो किया, लेकिन इसे और कारगर बनाये जाने तथा चिटफंड कंपनियों की धोखाधड़ी से आम ग्राहकों को बचाने के लिए सख्त नियमन की आवश्यकता जताई।
चिटफंड संशोधन विधेयक 2019 पर चर्चा को आगे बढ़ाते हुए कांग्रेस के जसबीर सिंह गिल ने संशोधन विधेयक को ‘टूथलेस टाइगर’ और ‘पेपरलेस लायन’ करार दिया। उन्होंने कहा कि पुराने विधेयक में मौजूदा सरकार की ओर से किया जा रहा संशोधन महज ‘कॉस्मेटिक चेंज’ है और इससे इन पोंजी बचत योजनाओं की गिरफ्त में आने वाले ग्राहकों का हित नहीं सधने वाला।
उन्होंने कहा कि इस विधेयक में इस बात का उल्लेख नहीं किया गया है कि कोई आदमी या समूह इस तरह की कितनी पोंजी बचत योजना चला सकता है। साथ ही उन्होंने नियामक बनाने की भी सरकार को सलाह दी, ताकि ऐसी कंपनियों पर नियंत्रण हो सके।
भारतीय जनता पार्टी के डॉ. सुभाष सरकार ने इस संशोधन विधेयक को सरकार का अनोखा प्रयास करार देते हुए कहा कि इससे पोंजी बचत योजनाओं में पारदर्शिता संभव हो सकेगी। उन्होंने कहा कि प्रस्तावित कानून के प्रावधानों से अपनी छोटी-मोटी पूंजी बचाने की कवायद में जुटे उन गरीबों और वंचितों को न्याय मिल सकेगा, जिनकी गाढ़ी कमाई ऐसी कंपनियां हड़प कर जाती हैं।
राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के हनुमान बेनीवाल ने भी सरकार के इस प्रयास की सराहना की और कहा कि इससे निवेशकों का पैसा सुरक्षित रहेगा। उन्होंने देश में वित्तीय ढांचे में गड़बड़ी के लिए कांग्रेस के छह दशक के कार्यकाल को दोषी ठहराते हुए कहा कि मौजूदा सरकार के संशोधन विधेयक से निवेशक निश्चिंत होकर पैसा जमा करा सकेंगे। उनके पैसे डूबने का खतरा नहीं होगा।
उन्होंने कहा कि एक पूर्व केंद्रीय मंत्री के विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड की अनदेखी करके निवेश की अनुमति देने से विदेशों में भारत की बदनामी हुई है। लेकिन केंद्र सरकार के इस तरह के प्रयास भारत की प्रतिष्ठा वापस लायेंगे।
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के पी आर नटराजन ने गरीबों की बचत के पैसों को संरक्षित करने को लेकर सरकार के प्रयास की सराहना तो की, लेकिन उन्होंने कहा कि यदि गरीबों की जमा पूंजी को सुरक्षित करने के लिए बीमा का सहारा नहीं लिया गया तो यह संशोधन विधेयक भी ‘कागजी शेर’ साबित होगा।
आम आदमी पार्टी के भगवंत मान ने पर्ल कंपनी द्वारा छले गये ग्राहकों का जिक्र करते हुए कहा कि इस कंपनी के घोटाले के कारण उनके संसदीय क्षेत्र के छाजला गांव के 10 लोगों ने आत्महत्या कर ली है, जबकि कंपनी का मालिक कैद में होते हुए भी पंचसितारा होटल में ऐशो-आराम की जिन्दगी जी रहा है। उन्होंने इस कंपनी की सम्पत्ति जब्त करके निवेशकों में बांटने के प्रयास की मांग की।
भाजपा की प्रतिमा भौमिक ने भी त्रिपुरा में विभिन्न पोंजी बचत योजनाओं के जरिये गरीबों को लूटे जाने का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि तत्कालीन सरकार के कई विधायक और मंत्री उन बैंकों के एजेंट रह चुके हैं। उन्होंने कहा कि जिस राज्य का बजट 16 हजार करोड़ रुपये है वहां 10 हजार करोड़ रुपये का घोटाला इन चिटफंड कंपनियों ने किया है।
जनता दल यू के कौशलेन्द्र कुमार ने भी विधेयक का समर्थन करते हुए इसे गरीबों के हित में उठाया गया कदम बताया। तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय ने भी विधेयक का समर्थन किया, लेकिन भाजपा के दो सदस्यों द्वारा पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री का नाम चिटफंड कंपनियों से जोड़े जाने की कड़ी निंदा की। उन्होंने कहा कि देश में इस तरह के हालात के लिए वित्तीय व्यवस्था का दोष है। भाजपा के अनुराग शर्मा ने भी विधेयक का समर्थन किया।
सदन में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने विधेयक का समर्थन करते हुये कहा कि देश में कानून की कमी नहीं है, लेकिन इसके बावजूद कुछ गलत लोग गरीबों को ठग लेते हैं। इसलिए चिटफंड के नाम पर धोखाधड़ी से लोगों को बचाने के लिए सख्त तथा व्यापक कानून कि जरूरत है। उन्होंने कहा कि उनके गृह राज्य पश्चिम बंगाल में लोगों की संख्या में लोग इसके शिकार हुये हैं।
चौधरी ने कहा कि विधेयक में सामूहिक निवेश योजनाओं का प्रबंधन करने वाले ‘फोरमैन’ की हितरक्षा के लिए ‘सिक्युरिटी’ की व्यवस्था तो की गयी है, लेकिन उपभोक्ताओं की हितरक्षा के लिए कोई उपाय नहीं किया गया है। यदि ‘फोरमैन’ लोगों का पैसा लेकर भाग जाये तो उसके पैसे की ‘सिक्युरिटी’ के लिए विधेयक में कोई प्रावधान नहीं है।
भाजपा की मीनाक्षी लेखी ने कहा कि चिटफंड योजनाओं में गरीब लोगों इसलिए निवेश करते हैं क्योंकि पिछली सरकारों ने उन्हें बैंकिंग तथा वित्तीय तंत्र से जोड़ने के लिए कुछ नहीं किया। उन्होंने कहा कि वित्तीय साक्षरता के अभाव में लोग इन योजनाओं के चक्कर में फँसते हैं। सरकार इन सब पर काबू पाने का प्रयास कर रही है।
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी सदस्य एम. सेल्वराज ने कहा कि गरीब लोगों को ठगने वालों पर सख्त कार्रवाई करने की जरूरत है। भाजपा के अजय भट्ट ने विधेयक को भ्रष्टाचार पर करारी चोट करार दिया। पूर्व मंत्री तथा भाजपा के पी.पी. चौधरी ने कहा कि इसका भारतीय अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक असर होगा।
कांग्रेस के अमर सिंह ने कहा कि असंगठित तथा अनियमित चिटफंड चलाने वाले ही अक्सर लोगों का पैसा लूटकर बच निकलते हैं। असंगठित चिटफंड योजनाओं पर लगाम लगाने के बारे में इस विधेयक में कुछ नहीं कहा गया है। उन्होंने कहा कि इससे गरीबों को बहुत ज्यादा फायदा नहीं होगा। शिवसेना के ओमप्रकाश भूपलसिंह और भाजपा के ढाल सिंह बिसेन ने भी विधेयक का समर्थन किया।