नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज जोर देकर कहा कि कर्तव्यों में ही नागरिक के अधिकारों की रक्षा है और नए भारत के निर्माण के लिए नागरिकों की हर गतिविधि में कर्तव्य पर पूरा जोर होना चाहिए।
देश के संविधान के 70 वर्ष पूरे होने के मौके पर यहां संसद भवन के केन्द्रीय कक्ष में दोनों सदनों की बैठक को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि देश के लोग ही संविधान की ताकत हैद्व इसकी प्रेरणा हैं और इसका उद्देश्य हैं। भारतीय संविधान को वैश्विक लोकतंत्र की सर्वोत्कृष्ट उपलब्धि बताते हुए उन्होंने कहा कि यह नागरिकों को न केवल अधिकारों के प्रति सजग रखता है बल्कि उनके कर्तव्यों के प्रति जागरूक भी बनाता है।
उन्होंने कहा कि इस पावन मौके पर सभी नागरिक संकल्प लें कि कर्तव्यों से ओत-प्रोत भावना के साथ हम मिलकर देश के नव निर्माण में योगदान देंगे1
प्रधानमंत्री ने कहा कि हर नागरिक की कोशिश होनी चाहिए कि उनके हर कार्यक्रम और हर बातचीत में कर्तव्य पर ही फोकस रहे। देश के गौरवशाली नागरिक होने के नाते हमें सोचना चाहिए कि हमारे कृत्यों से देश को और मजबूत कैसे बनाया जा सकता है।
मोदी ने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने अधिकारों और कर्तव्यों के रिश्ते और संतुलन के बारे में कहा था कि कर्तव्यों के निर्वहन से ही नागरिक अधिकारों को अर्जित करते हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि देश का संविधान हर नागरिक को सम्मान तथा देश की एकता अखंडता के मूल मंत्र पर आधारित है। संविधान ने इन दोनों मंत्रों को साकार करते हुए नागरिक के सम्मान को सर्वोच्च रखा है और संपूर्ण भारत की एकता तथा अखंडता को अक्षुण रखा है। उन्होंने कहा , “हमारा संविधान, हमारे लिए सबसे बड़ा और पवित्र ग्रंथ है। एक ऐसा ग्रंथ जिसमें हमारे जीवन की, हमारे समाज की, हमारी परंपराओं और मान्यताओं का समावेश है और नई चुनौतियों का समाधान भी है। ”
उन्होंने कहा कि संविधान की भावना में हर्ष,उत्कृर्ष और निष्कर्ष के मिले जुले भाव हैं। हर्ष यह कि संविधान की भावना अटल और अडिग रही है। अगर कभी कुछ इस तरह के प्रयास हुए भी हैं, तो देशवासियों ने मिलकर उनको असफल किया है, संविधान पर आंच नहीं आने दी है। उत्कर्ष यह कि हम संविधान की मजबूती के कारण ही एक भारत, श्रेष्ठ भारत की तरफ आगे बढ़े हैं। हमने तमाम सुधार मिल-जुलकर संविधान के दायरे में रहकर किए हैं। निष्कर्ष यह कि विशाल और विविध भारत की प्रगति के लिए, सुनहरे भविष्य के लिए, नए भारत के लिए, भी हमारे सामने सिर्फ और सिर्फ यही रास्ता है। संविधान में संविधान सभा के सदस्यों के सपनों ने शब्दों के रूप में आकार लिया है।
उन्होंने कहा कि देश के 130 करोड़ नागरिकों ने लोकतंत्र के प्रति आस्था को कभी कम नहीं होने दिया और संविधान को हमेशा एक पवित्र ग्रंथ तथा ‘गाइडिंग लाइट’ माना। उन्होंने कहा , “आज अगर बाबा साहब होते तो उनसे अधिक प्रसन्नता शायद ही किसी को होती, क्योंकि भारत ने इतने वर्षों में न केवल उनके सवालों का उत्तर दिया है बल्कि अपनी आज़ादी को, लोकतंत्र को और समृद्ध और सशक्त किया है।