नई दिल्ली। सुप्रीमकोर्ट ने देश के मुख्य न्यायाधीश की वरीयता की एक बार फिर तसदीक करते हुए विभिन्न पीठों को मुकदमों के आवंटन के लिए एक प्रणाली विकसित करने संबंधी जनहित याचिका बुधवार को खारिज कर दी।
मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायाधीश ए एम खानविलकर और न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ृ की पीठ ने लखनऊ के वकील अशोक पांडे की याचिका को ‘निंदात्मक’ करार दिया।
पीठ की ओर से न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने संक्षिप्त फैसला सुनाते हुए कहा कि संस्थागत दृष्टि से उच्चतम न्यायालय के कामकाज के नियंत्रण के लिए सीजेआई ही अधिकृत होते हैं। मुख्य न्यायाधीश खुद ही एक संस्था है। शीर्ष अदालत ने सीजेआई द्वारा कामकाज के मनमाने तरीकों को अपनाने के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि सीजेआई सर्वोच्च संवैधानिक अधिकारी हैं।
न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने कहा कि विभिन्न पीठों को मुकदमे आवंटित करने का संवैधानिक अधिकार सीजेआई में सन्निहित है। उन्होंने कहा कि सीजेआई के खिलाफ अविश्वास की बात नहीं की जानी चाहिए। याचिकाकर्ता ने मुकदमों के बंटवारे के लिए एक नए सिरे से नियम कानून तैयार करने का आग्रह किया था।