नई दिल्ली। अयोध्या के राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद जमीन विवाद में उच्चतम न्यायालय के आज आने वाले फैसले से पहले मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई को जेड प्लस सुरक्षा प्रदान की गई है।
सुप्रीम कोर्ट परिसर में सुरक्षा बंदोबस्त से जुड़े सूत्रों ने बताया कि न्यायमूर्ति गोगोई को जेड प्लस सुरक्षा प्रदान की गई है, जबकि संविधान पीठ के अन्य न्यायाधीशों के लिए भी पहले से मौजूद सुरक्षा बंदोबस्त कड़े किए गए हैं। इन न्यायाधीशों के आधिकारिक आवास पर भी सुरक्षा कड़ी कर दी गई है।
सुप्रीम कोर्ट परिसर में जहां सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं, वहीं इसके आसपास के पूरे इलाके को सुरक्षा घेरे में ले लिया गया है। शीर्ष अदालत की तरफ जाने वाली सभी सड़कों की निगरानी बढ़ा दी गई है।
गौरतलब है कि शीर्ष अदालत के प्रवेश द्वार से लेकर अदालत कक्षों एवं इनर मोस्ट जोन तक सुरक्षा की जिम्मेदारी दिल्ली पुलिस के हवाले है।
जेड प्लस सुरक्षा देश का सबसे सख्त सुरक्षा कवर माना जाता है, जिसके लिए 55 सुरक्षाकर्मी तैनात होते हैं, जिनमें 10 से अधिक नेशनल सिक्यूरिटी गार्ड (एनएसजी) कमांडो शामिल होते हैं।
इससे पहले पूर्व मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा को जेड प्लस सुरक्षा मुहैया कराई गई थी। उन्हें अगस्त 2015 में जेड प्लस सुरक्षा उस वक्त मुहैया कराई गई थी जब 1993 के मुंबई बम धमाकों के दोषी याकूब मेमन की फांसी की सजा पर अमल रोकने के लिए की गई कानूनी कवायद पर उन्होंने पूर्ण विराम लगा दिया था। उसके बाद उनके राजधानी स्थित सरकारी आवास पर जान से मारने की धमकी भरा पत्र बरामद हुआ था। उसके बाद गृह मंत्रालय ने उन्हें जेड प्लस सुरक्षा मुहैया कराई थी।
गौरतलब है कि 30 जुलाई 2015 को न्यायमूर्ति मिश्रा ने उस तीन सदस्यीय पीठ का नेतृत्व किया था, जिसने रात भर चली सुनवाई के बाद मेमन की अपील ठुकरा दी थी और कुछ चंद घंटों के भीतर ही उसे फांसी पर लटका दिया गया था।
एक भूरे लिफाफे में जो धमकी भरा पत्र मिला था, उसमें लिखा था कि याकूब को फांसी पर लटकवाकर तुमने गलत किया। इसका बदला लिया जाएगा। हम दिल्ली पहुंच चुके हैं।