सबगुरु न्यूज- सिरोही। जावाल गांव में जनवरी 2018 में हुए दोहरे हत्याकांड के विरोध में हाइवे जाम और धाराओं में दर्ज प्रकरण गृह मंत्रालय द्वारा वापस लिए जाने की अनुमति पर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने मोहर लगा दी है।
जावाल में जनवरी 2018 में मां-बेटे की हत्या हो गई थी। इस हत्या के विरोध में हिन्दू संगठनों ने जावाल हाइवे जाम कर दिया था। इसके बाद बरलूट पुलिस ने राकेश राजपुरोहित बनाम अन्य के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया था। इस मामले में शुरु से ही ये आरोप लगता रहा कि उस समय सत्ता में शीर्ष पर बैठे कई लोगों को छोड़ दिया गया और द्वेषतावश सामान्य लोगों और वहां कथित रूप से गैर मौजूद लोगों को आरोपित कर दिया गया।
इस मामले को वापस लेने के लिए आरोपित बनाये गए लोगों ने तत्कालीन भाजपा सरकार में मंत्री और स्थानीय विधायक समेत कई भाजपाई नेताओ से ये प्रकरण वापस लेने की मांग करते रहे। इसका असर विधानसभा चुनाव पर भी देखा गया।
सत्ता और विधायक दोनो बदले तो गृह मंत्रालय ने 26 मई को इस प्रकरण में आरोपी बनाए गए राकेश तुलसीराम, जगदीश कुमार, इंद्रजीत, हनुमानराम व महेंद्रसिंह पर से मुकदमा विड्रॉ करने की सहमति दे दी थी। इसके बाद सहायक अभियोजन अधिकारी ने इस पत्रावली को दस्तावेजों के साथ 29 जून को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष प्रस्तुत किया गया था।
मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने बरलूट थाने में दर्ज अभियोजन विड्रॉ करने के तथ्यों से सहमत होते हुए इसकी अनुमति दे दी और उक्त आरोपितों को दोषमुक्त करार दिया है।
-इसी तरह के प्रकरण ये भी हुआ था
करीब दो साल पहले तत्कालीन भाजपा सरकार ने राजकीय महाविद्यालय सिरोही में लॉ कॉलेज प्राचार्य और तत्कालीन छात्रसंघ अध्यक्ष के प्रकरण को विड्रॉ करने की अनुमति प्रदान की थी। लेकिन न्यायालय ने उस मामले में दिए गए तथ्यों से असहमत होते हुये आरोपित बनाये गए छात्रसंघ अध्यक्ष के प्रकरण को विड्रॉ पर अपनी सहमति नहीं दी थी।