सबगुरु न्यूज-सिरोही। टिकिट वितरण से पहले कांग्रेस में जो कलह दिख रही थी वो शनिवार की बैठक और रविवार को कार्यालय उद्घाटन के दौरान पटती नजर आ रही है, इसके विपरीत भाजपा में टिकिट वितरण से पहले जो छद्म एकजुटता दिख रही थी वह टिकिट वितरण के बाद नदारद है।
यूं कांग्रेस और भाजपा दोनों के बागी चुनाव मैदान में हैं, लेकिन भाजपा के टिकिट वितरण की जिम्मेदारी संभाले बड़े नेता 2008 की बड़ी गलती को दोहराकर सिरोही से जयपुर तक अब अपने कार्यकर्ताओं के बीच ही कठघरे में खड़े हो चुके हैं। वार्ड संख्या-2 के भाजपा कार्यालय उद्घाटन के दौरान जिलाध्यक्ष और नगर के पदाधिकारी दिखे तो हैं।
कांग्रेस में संयम लोढ़ा और जीवाराम गुट के बीच खींचतान नजर आ रही थी। बैठकों में यह साफ दिखाई भी दी। टिकिट वितरण के दिन शिवगंज में हुई बैठक का असर शायद दिखा है। शनिवार को कांग्रेस के सभी धड़ों की बैठक होने के समाचार हैं वहीं रविवार को सिरोही नगर का प्रमुख चुनावी कार्यालय का नजारा भी यही दिखा रहा था।
नामांकन की अंतिम तिथि से ही भाजपा की टिकिट वितरण टीम में शामिल प्रमुख पदाधिकारियों ने अपने-अपने मोबाइल बंद कर लिए। शहर भाजपा को रेवदर और जालोर भाजपा ने निगलने की जो कोशिश की उसका परिणाम यह निकला की शहर भाजपा अब रेवदर और जालोर भाजपा के गले में फंस गई है।
स्थानीय पदाधिकारियों की मानें तो सिरोही नगर मंडल को पूरी तरह से दरकिनार करके रेवदर और जालोर के प्रवासी नेताओं ने यहां टिकिट दिए। लोकेश खंडेलवाल की पत्नी के साथ नामांकन के लिए वयोवृद्ध नेता का पहुंचना और फिर लोकेश खंडेलवाल की पत्नी के नाम सिम्बल जारी नहीं होना यह दर्शा रहा है कि सिरोही शहर की जानकारी रखने वाले नए ही नहीं पुराने नेताओं को भी अंधेरे में रखा।
हालात यह हो गए कि टिकिट वितरण के तुरंत बाद ही नगर मंडल के पदाधिकारियों की वंचित और टिकिट मिलने वाले कार्यकर्ताओं की बैठक हुई। इसमें किसी बड़े पदाधिकारी के शामिल नहीं किया गया। सबने जिले के भाजपा के बड़े नेताओं के खिलाफ आक्रोश निकाला।
लोकेश खंडेलवाल की पत्नी, धनपतसिंह राठौड़, अनिल सगरवंशी, जब्बरसिंह राठौड़ जैसे जमीनी कार्यकर्ताओं की अवहेलना से उपजी स्थिति अब बड़ेे नेताओं को सता रहा है। वहीं जगदीश सैन, चम्पालाल सेन, आनंद जैसे कार्यकर्ताओं के टिकिट काटना कांग्रेस की गलफांस बनी हुई है। चुनाव परिणाम बताएगा कि वाकई नाराजगी का असर कितना रहा।