अजमेर। राजस्थान के अजमेर स्थित सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह के पीछे प्राकृतिक जल स्रोत झालरा की आज दरगाह कमेटी के कार्मिकों ने श्रमदान कर सफाई की।
कमेटी के सदस्य बाबर अशरफ और नाजिम शकील अहमद की मौजूदगी में दो दर्जन से अधिक कमेटी कर्मचारी, स्थानीय लोगों एवं जायरीन ने हाथ से हाथ बढ़ाते हुए खिदमत का पैगाम दिया।
झालरे की सफाई के दौरान बड़ी तादाद में मलबा, पत्थर, बांस, प्लास्टिक के सामान के अलावा कुरान शरीफ के पारे, धार्मिक किताबें, मालाएं एवं तस्बील सहित अन्य सामान निकाला गया।
दरगाह कमेटी के सदस्य बाबर अशरफ ने बताया कि आज कुदरत के तोहफे की कद्र और हिफाजत करने की जरुरत है। दरगाह कर्मचारियों की ओर से यह किया गया कार्य तारीफे काबिल है।
नाजिम शकील अहमद ने कहा कि वर्तमान में झालरे की व्यवस्था एसआईपी प्रोजेक्ट के तहत भविष्य की चुनौतियों के अनुरूप की जा रही है। उन्होंने बताया कि केन्द्र सरकार के स्वच्छ आईकॉन पैलेस के तहत सीएसआर, हिंदुस्तान जिंक द्वारा झालरे की सफाई की जाएगी। आगामी एक दो दिनों में ही कार्य सुचारू रूप से प्रारंभ हो जाएगा।
गौरतलब है कि इससे पहले झालरे की सफाई पानी के न्यूनतम स्तर होने पर वर्ष 2007 में की गई थी। झालरे की गहराई करीब 40 फुट है और वर्तमान में साढ़े तीन और चार फुट पानी ही उपलब्ध है।