जयपुर। राजस्थान के पूर्व शिक्षा राज्यमंत्री वासुदेव देवनानी ने कहा है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत नागरिकता संशोधन कानून राज्य में लागू नहीं करने की बात कहकर संविधान की सीमा लांघने का प्रयास कर रहे हैं।
देवनानी ने आज जारी बयान में कहा कि भारत के संविधान में संशोधन किए जाने की शक्ति हमारी संसद में निहित है। जिस बिल को संसद ने पास करके काननू का दर्जा दिया है उसे राजस्थान में लागू नहीं करने की बात करना संविधान की सीमा का खुला उंल्लघन है।
उन्होंने कहा कि पड़ौसी इस्लामिक देशों में रहने वाले हिन्दू, सिक्ख, ईसाई, सिन्धी अल्पसंख्यक धार्मिक एवं सामाजिक उत्पीड़न की पीड़ा भोगकर हमारे देश में आकर शरणार्थी के रूप में रह रहे है, उनके संरक्षण के लिए यह कानून बना है जिसके लिए कांग्रेस के भी कई प्रमुख नेताओं ने समय-समय पर आवाज उठाते रहे हैं।
देवनानी ने कहा कि गहलोत स्वंय अपने पिछले कार्यकाल में ऐसे शरणार्थियों को बसाने के समर्थन में थे, परन्तु अब जब प्रधानमंत्री मोदी जी ने नागरिकता संशोधन कानून बनाकर इसे लागू किया है तो वह इसे मानने से इन्कार कर रहे है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस वामपंथियों के साथ मिलकर देश के युवाओं को इस विषय पर भ्रमित करके देश में उन्माद फैला रही है जबकि बिल्कुल स्पष्ट है कि यह कानून शरणार्थियों को नागरिकता देने के लिए है, इसका किसी भी भारतीय की नागरिकता पर कोई असर नहीं होगा।