रायपुर । छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि खेती-किसानी की प्रगति के लिए महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) को कृषि से जोड़ा जाना चाहिए।
बघेल ने आज यहां कृषि महाविद्यालय के सभागार में आयोजित पांच दिवसीय आठवीं इंडियन हार्टिकल्चर कांग्रेस का शुभारंभ करते हुए कहा कि मनरेगा के माध्यम से गौठानों और चारागाहों का विकास किया जाए, इससे लोगों को रोजगार के साथ-साथ पशुओं के लिए चारे की व्यवस्था हो सकेंगी। उन्होंने आगामी 26 जनवरी को ग्राम पंचायतो में ग्राम सभाओं का आयोजन कर प्रत्येक गांव में पशुओं के लिए गौठान और चारागाह के लिए स्थान चिन्हित किए जाने का इस मौके पर निर्देश दिए।
उन्होने कहा कि सिंचाई के साधनों की कमी के साथ खुले में घूमते पशु हमारे कृषि क्षेत्र की बड़ी समस्या है। उन्होंने किसानों से पशुओं को बांधकर रखने का आग्रह करते हुए कहा कि इससे खेतों की फैंसिंग का खर्च बचेगा, पशुओं का गोबर मिलेगा जिससे जैविक खाद और बायोगैस संयंत्र लगाए जा सकेंगे। उन्होने जबलपुर में स्थित कृषि उत्पादों के समर्थन मूल्य निर्धारित करने क्षेत्रीय कार्यालय छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में प्रारंभ करने, लघु धान्य फसलों कोदो, कुटकी और रागी जैसी फसलों के समर्थन मूल्य घोषित करने तथा लघु वनोपजों के समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी करने की जरूरत बतायी।
बघेल ने विशेषज्ञों से जलवायु परिवर्तन के विभिन्न फसलों पर प्रभाव का अध्ययन करने और फसलों के संरक्षण के लिए किसानों को सलाह उपलब्ध कराने को कहा।उन्होने कहा कि बारिश कम होने से और विभिन्न कारणों से भू-जल में खारापन आ रहा है।खारापन दूर करने के लिए भी अनुसंधान कर इसके लिए तकनीक विकसित की जानी चाहिए।
इस पांच दिवसीय आयोजन में देश-विदेश के 800 से ज्यादा उद्यान वैज्ञानिक तथा बागवानी विशेषज्ञ शामिल हुए।इस दौरान फल, फूल, सब्जियों तथा अन्य उद्यानिकी फसलों के उत्पादन की नई तकनीकों तथा अनुसंधान एवं विकास पर विषय विशेषज्ञों द्वारा चर्चा तथा विमर्श किया जाएगा।इस दौरान विषय विशेषज्ञ वैज्ञानिकों तथा शोधार्थियों द्वारा विभिन्न उद्यानिकी फसलों पर हुए अनुसंधान एवं विकास कार्य पर केन्द्रित शोध पत्र भी प्रस्तुत किये जाएंगे।