रायपुर । छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राज्य में आदिवासी क्षेत्रों को छोड़कर शेष राज्य में पूर्ण शराबबंदी को लागू करने के चुनावी वादे को पूरा करने के प्रति पूरी प्रतिबद्धता जताते हुए कहा कि वह एक झटके में शराबबंदी कर लोगो को मौत के मुंह में नही झोंक सकते।
बघेल ने आज विधानसभा में प्रश्नोत्तरकाल में शराबबंदी को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के पूरक प्रश्न का उत्तर देते हुए कहा कि अनुसूची पांच में शामिल क्षेत्रों को छोड़कर शेष राज्य में पूर्ण शराबबंदी करने के प्रति उनकी सरकार पूरी तरह से प्रतिबद्ध है,लेकिन वह यह काम एक झटके में नही कर सकते।उन्होने कहा कि घोषणा पत्र में किए वादे पांच वर्ष के लिए है लेकिन शराबबंदी उनकी सरकार की प्रमुख प्रतिबद्धतों में है और इसे जल्द लागू करेगी।
उन्होने कहा कि जिन राज्यों में पूर्ण शराबबंदी लागू हैं वहां पर और जिन राज्यों में पूर्ण शराबबंदी लागू थी बाद में उसे वापस लेना पड़ा,वहां पर अध्ययन दल भेजे जायेंगे और उसकी रिपोर्ट मंगायी जायेगी।उन्होने कहा कि चालू सत्र के दौरान ही सभी दलों की बैठक भी इस मसले पर वह बैठक भी करेंगे।
बघेल ने कहा कि एक झटके में शराबबंदी कर सकते है पर इससे कोई लाभ नही मिलने वाला है।इससे सामाजिक संगठनों की मदद ली जायेगी।उनके मुखिया की कमेटी बनाई जायेगी जो अपने अपने समाजों में शराबबंदी के प्रति माहौल बनायेंगे।उन्होने कहा कि उनकी सरकार की दृढ़ इच्छाशक्ति है।किसी ने सोचा भी नही रहा होगा उनकी सरकार ने 2500 रूपए क्विंटल में समर्थन मूल्य पर धान खरीद कर दिखा दिया है।
जोगी ने कहा कि कांग्रेस ने घोषणा पत्र में आदिवासी क्षेत्रों को छोड़कर शेष में शराबबंदी करने का वादा किया था।घोषणा पत्र में शामिल करने से पहले ही पार्टी ने इसके सभी पक्षों पर विचार किया होगा तो अब सरकार बनने के बाद अध्ययन दल बनाने का क्या औचित्य है।उन्होने कहा कि शराब छत्तीसगढ़ को बर्बाद कर रही है,बच्चे बूढ़े महिलाएं सभी शराब पी रहे है।राज्य की बर्बादी रोकने के लिए उस पर रोक लगनी चाहिए।
इससे पूर्व भाजपा के अजय चन्द्राकर के मूल प्रश्न के उत्तर में कहा कि पूर्ववर्ती सरकार द्वारा शराब बंदी के लिए बनाए गए अध्ययन दल की रिपोर्ट 10 दिसम्बर 18 को सरकार को प्राप्त हुई।उन्होने कहा कि इस बारे में पक्ष विपक्ष तथा सामाजिक संगठनों से चर्चा कर नए अध्ययन दल बनाए जायेंगे। श्री चन्द्राकर ने कहा कि पुराने अध्ययन दल के शराब की दुकाने बढ़ाने की एक लाईन पर राजनीति हो रही है,जबकि उसमें कई अच्छे सुझाव है।