सबगुरु न्यूज-सिरोही। कांग्रेस ने लोकसभा चुनावों की तैयारी शुरू कर दी है। इसे लेकर जयपुर में बैठकों के दौर चल रहे हैं। इसी क्रम में बुधवार को मुख्यमंत्री आवास पर जालोर-सिरोही लोकसभा क्षेत्र के कांग्रेस पदाधिकारियों की बैठक हुई। सूत्रों के अनुसार इसमें गहलोत ने दोनों जिलों में लोकसभा चुनावों में हुई कांग्रेस की दुर्गत पर चिंता जताई, वहीं सिरोही में कांग्रेस प्रत्याशी बदलने पर भी सबसे कम मत मिलने पर वह व्यथित दिखे।
फिलहाल, जिले में तो हालात हैं उसमें बदलाव नहीं किया गया तो संभवतः लोकसभा चुनावों में भी उन्हें निराशा हाथ लगने की संभावनाएं बलवती हैं। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत मारवाड़ क्षेत्र से आते हैं, उनका जोधपुर जिले में सबसे ज्यादा प्रभाव माना जाता है। इस पर भी जोधपुर संभाग में सिरोही और जालौर जिले की 8 सीटों में से कांग्रेस सिर्फ 1 सीट पर जीती और सिरोही विधानसभा में तो कांग्रेस प्रत्याशी को राजस्थान में कांग्रेस प्रत्याशियों में सबसे कम मत मिले और उनकी जमानत तक जब्त हो गई।
जयपुर में भी दिखे ऐसे ही हालात
सिरोही में कांग्रेस की दुर्गत जिन कारणों से हुई, वहीं कारण जयपुर में भी नजर आए। मुख्यमंत्री आवास में बैठक में उपस्थित होने के लिए कई चिन्हित जनप्रतिनिधियों और पदाधिकारियों को फोन आए थे। उन्हें दूरभाष पर यह कह दिया गया था कि उनके एंट्री पास जिले के पदाधिकारियों को दे दिए गए हैं।
सूत्रो के अनुसार जब आमंत्रित पदाधिकारी वहां पहुंचे तो उनमें से कइयों के पास थे ही नहीं। आरोप यह लगा कि जिस पदाधिकारी को यह पास दिए थे, गुटबाजी के कारण उन्होंने इसे दिए ही नहीं। ऐसे में मुख्यमंत्री आवास पर ही यह नजारा पेश आ गया कि आगामी लोकसभा चुनावों में सिरोही में कांग्रेस का हाल क्या होने वाला है। वैसे मुख्यमंत्री और अन्य पदाधिकारियों ने बैठक में शिकायतें और गुटबाजी दूर रखने की हिदायत पहले ही दे दी थी, ऐसा करने वालों को उन्होंने एकाध पर टोक भी दिया।
नगर परिषदें हो सकती हैं सबसे साॅफ्ट टारगेट
मुख्यमंत्री आवास में हुई बैठक में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट, जालोर व सिरोही के प्रभारी मंत्री भाटी, राजस्थान प्रभारी अविनाश पांडे, सहप्रभारी विवेक बंसल मौजूद थे। सूत्रो के अनुसार बैठक मे मुख्यमंत्री ने कहा कि सिरोही नगर परिषद क्षेत्र में संयम लोढ़ा ने भाजपा कार्यालय की जमीन के प्रकरण को उठाया था। इस तरह के मामलों को आगे लाकर भाजपा को घेरा जा सकता है।
मुख्यमंत्री का अनुमान काफी हद तक सही भी है। फिलहाल कांग्रेस के लिए सबसे कम समय में भाजपा को नुकसान पहुंचाने का सबसे साॅफ्ट टारगेट सिरोही और जालोर जिले की नगर परिषदें और नगर पालिकाएं ही हैं। भाजपा शासन में भाजपा के इन बोर्डों में जिस तरह भ्रष्टाचार अपने चरम पर पहुंचा है इनकी जांचें और दस्तावेजों को सार्वजनिक करवाकर कांग्रेस भाजपा को इस क्षेत्र में मात दे सकती है। इसके अलावा लोक सेवा गारंटी अधिनियम को लागू करवाकर सुराज देने की अपनी दृढ़ता को भी जनता के बीच ले जा सकती है।
युवाओं को तरजीह
जयपुर में आयोजित बैठक में एक बात और साफ हो गई। मुख्यमंत्री ने चर्चा के दौरान वरिष्ठ लोगों के साथ युवा नेताओं को भी अपनी रणनीति रखने को विशेष रूप से प्रोत्साहित किया। इससे यह स्पष्ट है कि जिले में 55 पार नेताओं का अनुभव लिया जा सकता है, लेकिन जिम्मेदारियां युवा कंधों पा डाली जा सकती है।
सूत्रों के अनुसार इन हालातों अलावा जो स्थिति दिखी वह ये थी कि चुनावों में लोढ़ा विरोधी गुट के जो लोग कांग्रेस प्रत्याशी और जिलाध्यक्ष जीवाराम आर्य के साथ सिर्फ इसलिए कि संयम लोढ़ा का राजनीतिक करियर समाप्त करना है, वही अब जीवाराम आर्य का साथ छोड़कर खुद को जिलाध्यक्ष के रूप में प्रमोट करने से भी नहीं चूके। ये बात दीगर है कि ऐसा दावा करने वाले एक भी नेता अपने ही गांव और बूथों पर कांग्रेस को सम्मानजनक वोट तक नहीं दिलवा पाए।