![परंपरागत कला के अर्थशास्त्र को भी समझें: मुख्यमंत्री कमलनाथ परंपरागत कला के अर्थशास्त्र को भी समझें: मुख्यमंत्री कमलनाथ](https://www.sabguru.com/18-22/wp-content/uploads/2019/03/cm-kamalnath-3.jpeg)
![cm Kamal Nath Understand the economics of traditional art](https://www.sabguru.com/18-22/wp-content/uploads/2019/03/cm-kamalnath-3.jpeg)
भोपाल । मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने आज कहा कि हर समाज और समुदाय अपनी परम्परागत कला और कौशल से अपनी जीविका कमाता है, ऐसे में यदि उसे आर्थिक आधार न मिले तो कला और कौशल दोनों खतरे में पड़ जायेंगे।
कांग्रेस की ओर से आज जारी एक विज्ञप्ति के मुताबिक कमलनाथ ने कहा कि प्रदेश का दौरा करते हुए उनसे समुदाय विशेष के कुछ युवाओं ने मिल कर कहा कि वे बेरोजगार हैं और काम चाहते हैं। उन्होंने बताया कि वे सिर्फ ढोल बजाना जानते हैं।
कमलनाथ ने कहा कि जो समुदाय पहले से कौशल सम्पन्न है उसे बेरोजगार क्यों रहना चाहिए। सरकार की बारी है कि वो ऐसे अवसर पैदा करे कि यही कला कौशल एक आर्थिक गतिविधि बन जाये।
उन्होंने कहा कि व्यवसाय को हिकारत की निगाह से देखना कुछ लोगों की फितरत होती है। समाज की व्यापक सोच इससे अलग है। वह हर व्यक्ति के लिए संभावनाओं की तलाश करता है। उन्हें अवसर देता है और उन वंचितों की आशाओं को नया आकाश दे देता है, जिनके पास उम्मीद के नाम पर कुछ नहीं होता।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कई बैंड ऐसे हैं, जिनकी ख्याति पूरे विश्व में है। कला और संस्कृति को आर्थिक गतिविधियों से जोड़कर ही उन्हें जीवंत बनाया जा सकता है। बैंड एक सूक्ष्म आर्थिक गतिविधि है जो एक टीम को रोजगार का साधन बनाता है।
उन्होंने कहा कि कई लोक कलाकार उनसे मिल कर विलुप्त होती संगीत परम्पराओं के प्रति चिंता जाहिर करते हैं। सरकार को उनका संरक्षण करना होगा और नए ढंग से आर्थिक गतिविधियों से जोड़ना होगा। कमलनाथ ने कहा कि बैंड बाजा प्रशिक्षण की यही सोच है। इसे एक सूक्ष्म और लघु आर्थिक गतिविधि के रूप में आगे बढ़ाने की कोशिश होगी।