भोपाल । मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा है कि किसानों के हित में बदलते हुए कृषि परिदृश्य को ध्यान में रखकर नई योजनाएँ बनाना जरूरी है। उन्होंने राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) से आग्रह किया कि मध्यप्रदेश में परिवर्तित कृषि परिदृश्य को देखते हुए राज्य की कृषि नीति का प्रारूप तैयार करे। इसमें किसानों, कृषि विशेषज्ञों तथा कृषि व्यापार से जुड़ी संस्थाओं का भी सहयोग लें।
कमलनाथ आज मंत्रालय में नाबार्ड की राज्य ऋण संगोष्ठी 2019-20 को संबोधित कर रहे थे। मुख्यमंत्री ने नाबार्ड का स्टेट फोकस पेपर जारी किया। उन्होंने नाबार्ड द्वारा सहायता प्राप्त स्व-सहायता समूहों, किसान उत्पाद समितियों को अच्छे प्रदर्शन के लिये सम्मानित किया।
उन्होंने कहा कि नाबार्ड के गठन के समय कृषि क्षेत्र की चुनौतियाँ खाद्यान्न की कमी दूर करने की थी। आज खाद्यान्न तक पहुंच बनाने और अत्यधिक उत्पादन से भंडारण की चुनौतियाँ हैं। किसानों को उनके उत्पाद का सही मूल्य दिलाना चुनौती है। मुख्यमंत्री ने कृषि क्षेत्र में किसानों के लिये क्रेडिट सुविधाएँ बढ़ाने और कृषि अधोसंरचना को मजबूत करने के लिये प्रतिबद्ध प्रयासों की सराहना की।
मुख्यमंत्री ने कहा कि फसल ऋण माफी किसानों की समस्या का स्थायी समाधान नहीं है। यह उन्हें संकट से उबारने का तात्कालिक उपाय है, क्योंकि कर्ज का मनौवैज्ञानिक दबाव होता है। अब ज्यादा लाभ के लिए विविधतापूर्ण खेती को अपनाने का समय है। पहले नाबार्ड ने सोयाबीन प्रसंस्करण और तेल उद्योग को प्रोत्साहित किया, फिर मक्का उत्पादन पर जोर दिया। इस तरह कृषि क्षेत्र की भी प्राथमिकताएँ बदलती रहती हैं।
कमलनाथ ने कहा कि अब सीमित भौगोलिक क्षेत्र में कृषि उत्पादों की मार्केंटिंग का समय आ गया है। चार-पाँच जिलों में एक फुड पार्क स्थापित हो सकता है, जिसमें बने उत्पाद उन्हीं जिलों के ब्रांड बनकर बिकें। मार्केट अर्थ-व्यवस्था में ऐसे ब्रांड टिके रहेंगे, यह कहना मुश्किल है लेकिन किसानों को इससे लाभ होगा। उन्होंने कहा कि कृषि के नये आयामों को देखते हुए कृषि नीति बनाने की पहल करें।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उद्यानिकी और खाद्य प्रसंस्करण सबसे तेज उभरते हुए क्षेत्र हैं। उद्यानिकी में भी फूलों के उत्पादन का एक बड़ा क्षेत्र उभर रहा है। उन्होंने कहा कि ऐसे क्षेत्रों का भी अध्ययन करें, जहाँ नये फुड पार्क उभरने की संभावनाएँ बन रही हैं ताकि पहले से रणनीति बनाई जा सके। उन्होंने कहा कि जब किसानों की खरीद क्षमता बढ़ेगी, तभी कृषि से जुड़े क्षेत्रों की अर्थ-व्यवस्था भी सुधरेगी।
नाबार्ड ने वित्तीय वर्ष 2019-20 के लिए मध्यप्रदेश राज्य के लिए प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में रूपये 1,74,970 करोड़ रुपये के ऋण वितरण का अनुमान लगाया है, जो पिछले साल के अनुमानों से 14.28% अधिक है। ‘जय किसान ऋण माफी योजना’ के कारण पिछले वर्ष के अनुमानों की तुलना में फसली ऋण के अनुमानों को वर्तमान 50 हजार करोड़ से बढ़ाकर 94 हजार करोड़ किया गया है, जो 86.36 प्रतिशत अधिक है। राज्य के 313 ब्लॉकों में संभावित ऋण वितरण की क्षमता ध्यान में रखते हुए राज्य फोकस पेपर तैयार किया गया है। इसका विषय ‘सतत् कृषि पद्धति’ है।
इस अवसर पर सहकारिता मंत्री डॉ. गोविंद सिंह और किसान कल्याण एवं कृषि विकास मंत्री सचिन यादव, मुख्य महाप्रबंधक नाबार्ड सुनील कुमार बंसल, महाप्रबंधक एम. खेस, महाप्रबंधक डी.एस. चौहान, महाप्रबंधक हेमंत कुमार सबलानिया और वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।