सबगुरु न्यूज-सिरोही। जिला फिर से मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की यात्रा की तैयारी में लग गया है। इस बार वे यहाँ पर सुराज गौरव यात्रा के लिए आ रही हैं। ये हालात तब हैं जब मुख्यमंत्री के दो साल पुराने दौरे के लाखों रुपए के बिल सरकार ने चुकाए ही नहीं हैं।
अब मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे अगले महीने दो साल बाद फिर से चुनाव पूर्व सिरोही जिले के दौरे पर आने की तैयारी में हैं। इस बीच राज्य सरकार दो बजट भी पास कर चुकी है, लेकिन मुख्यमंत्री के सिरोही विजिट के पैसा अब तक जारी नहीं हुआ। इतना ही नहीं उस दौरे के कई सामाजिक संस्थाओं के पैसे भी नहीं चुकाने की जानकारी सामने आई है।
-जितना जल्दबाजी में काम करवाया उतनी देरी से पैसा दिया
मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे जुलाई 2016 में तीन दिवसीय सरकार आपके द्वार कार्यक्रम के दौरान सिरोही आयी थी। उस दौरान स्थानीय प्रशासन में आनन फानन में लाखों रुपए के काम शॉर्ट नोटिस टेंडेर्स के माध्यम से करवाए। इसमें से कई विभागों के पास स्थानीय स्तर पर मुख्यमंत्री के दौरे के लिए जुटाई जाने वाली सुविधा के लिए पर्याप्त धन राशि भी नहीं थी, इसके बावजूद राज्य सरकार से इस दौरे के लिए मिलने वाले बजट की आस में इन विभागों ने मुख्यमंत्री के दौरे के लिए आवश्यक सुविधाएँ मुहैया करवाने के लिए समुचित प्रयास किए।
इसके लिए ठेकेदारों से जल्दी से जल्दी काम करवाए गए। मुख्यमंत्री तीन दिवसीय प्रवास के बाद जयपुर लौट गयील कार्यक्रम के बाद ठेकेदारों ने सम्बंधित विभागों में काम के भुगतान के लिए बिल भिजवाए। इसके बाद ठेकेदारों का और स्थानीय अधिकारियों का संघर्ष शुरू हुआ।
जितनी जल्दबाजी जयपुर में बैठे अफसरों ने मुख्यमंत्री के दौरे में खघ्र्चे करने में दिखवायी थी दौरा निपटने बाद वो इसके भुगतान के सम्बंध में टालू रवैया अपनाए हुए रहे। मुख्यमंत्री के दौरे में काम के बाद कुछ को बड़ी सेरी से भुगतान हुआ तो कुछ का अभी भी बकाया है।
-कोर्ट में पहुंचा मामला
मुख्यमंत्री के दौरे के बाद मुख्यमंत्री और सरकार की साख को लेकर राज्य सरकार कितनी गैर संजीदा है इसका अंदाजा सिरोही में मुख्यमंत्री के पुराने दौरे से लग जा रहा है। ये सरकार की साख पर भी सवालिया निशान लगा रही है।
मुख्यमंत्री के दो साल पहले के दौरे का बकाया लाखो रुपये लेने के लिये बकायादारो ने न्यायालय मे जाने का निर्णय किया है, इसके लिये सम्बन्धित विभाग को 80 सीपीसी के तहत लीगल नोटिस भी भेजा गया था। नोटिस की दो महीने की मियाद निकलने पर भी पैसा नहीं दिया गया।अब बकायेदार न्यायालय मे जाने का मानस बना चुके है, इसके लिए अगस्त के दूसरे सप्ताह में पेशी है।
दौरा पूर्ण होने के बाद जयपुर स्थित अधिकारियों का रवैया भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने वाला भी रहा। सूत्रों के अनुसार कुछ विभागों के उच्चाधिकारी जिला स्तरीय अधिकारियों को ये तो कहने नहीं चूके कि ठेकेदारों से थैंक-यू में ही काम करवाना चाहिए था।