लखनऊ । उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुलंदशहर में तीन दिसम्बर को गोकशी की घटना के बाद भड़की हिंसा को राजनीतिक षडयंत्र करार देते हुये कहा कि सरकार ने त्वरित कार्रवाई के जरिये इस साजिश को बेनकाब कर राज्य को सांप्रदायिक हिंसा की आग में झुलसने से बचा लिया।
विधानसभा के सेंट्रल हाल में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में योगी ने बुधवार को कहा कि बुलंदशहर की घटना प्रदेश काे सांप्रदायिक हिंसा की आग में झुलसाने की सोची समझी राजनीतिक साजिश थी जिसे कानून के दायरे में रहकर विफल कर दिया गया। यह काम उन्ही ताकतों का था जिन्होने जहरीली शराब कांड को अंजाम दिया था। इस मामले में किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जायेगा।
सदन में बुलंदशहर मामले की नियम 311 के तहत चर्चा कराये जाने की विपक्ष की मांग को बेजा बताते हुये योगी ने कहा कि विपक्ष के पास दरअसल कोई मुद्दा नहीं बचा है और वह अपनी विफलता को छिपाने के प्रयास के लिये अर्नगल आरोप लगा रहा है।
इससे पहले विधानसभा में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के नेता लाल जी वर्मा ने पत्रकारों से कहा कि कानून व्यवस्था को संभालने में विफल योगी सरकार बुलंदशहर की घटना पर चर्चा कराये जाने से दूर भाग रही है। बुलंदशहर की घटना बजरंग दल और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सुनियोजित साजिश का परिणाम थी। स्याना कोतवाल सुबोध कुमार सिंह की हत्या को दुर्घटना बताकर सरकार पल्ला झाड़ने में लगी है। इसकी आड़ में सरकार आरोपी को बचाना चाहती है।
उन्होने कहा कि मौजूदा भाजपा सरकार के शासनकाल में प्रदेश की कानून व्यवस्था पटरी से उतर चुकी है। अपहरण, बलात्कार, महिला उत्पीड़न, हत्या समेत अन्य अपराधों में उल्लेखनीय इजाफा हुआ है। भाजपा और अनुषांगिक संगठनो के कार्यकर्ता अब खुलेआम सुरक्षाबलों को निशाना बना रहे है। विपक्ष ने नियम 311 के तहत नोटिस देकर सदन में इस जघन्य घटना पर चर्चा की मांग थी जिसे ठुकरा दिया गया।
कांग्रेस विधानमंडल दल के नेता अजय कुमार लल्लू ने कहा कि केन्द्र सरकार अपनी घोषणाओं को पूरा करने में नाकाम होने के कारण प्रदेश को हिंसा की आग में झोकना चाहती है। बुलंदशहर में स्याना तहसील की घटना इस बात का सबूत है कि किस तरह से भीड़ तंत्र सरकार पर हावी होकर हिंसा फैलाना चाह रही थी और असफल होने पर इंस्पेक्टर की हत्या कर दी गयी।