इश्क़ तो मर्ज़ ही बुढ़ापे का है..
जवानी में फुर्सत ही कहाँ आवारगी से..
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रात का क्या है वो तो ये सोचकर भी
कट जाती है कि…
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सलमान की भी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है।
काम धन्धे इतने मंदे हो गए हैं कि
अब तो घरवाली भी बिना जेब चैक करे
कपडे धो देती है….।
~परेशान व्यापारी~
ताऊ (अपने बेटे से): – रै बेवकूफ, मेवालाल जी की
बिटिया नै देख, फर्स्ट आई है स्कूल में…!!
बेटा: – और कितणा देख्यूं…???? उसी नै देख-देख
के तो फैल होई गया..
मैनें कभी ईंट का जवाब पत्थर से नहीं दिया…. मैनें बस वही ईंट वापस दे मारी…..
पत्थर ढूंढने में कौन टाईम वेस्ट करे भला
– चाणक्य की कॉलोनी का एक आदमी।