पालघर । देश में परिवहन क्षेत्र में गेम चेंजर मानी जा रही मुंबई-अहमदाबाद हाईस्पीड ट्रेन परियोजना के लिए जमीन अधिग्रहण पर बाजार मूल्य का पांच गुना तक मुआवजा दिया जायेगा।
इस परियोजना को क्रियान्वित कर रहे राष्ट्रीय हाई स्पीड रेल निगम लिमिटेड के प्रबंध निदेशक अचल खरे ने महाराष्ट्र के पालघर जिले के सुदूर आदिवासी बहुल गांव विराथन खुर्द में एक सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र का उद्घाटन करने के बाद राष्ट्रीय मीडिया के प्रतिनिधियों से कहा कि बुलेट ट्रेन परियोजना के लिए जिन लोगों की ज़मीन का अधिग्रहण किया जाएगा।
उनको कानून के अनुसार ज़मीन के बाज़ार मूल्य का चार गुना मुआवजा तो दिया ही जाएगा बल्कि जो स्वेच्छा से निगम को लिख कर ज़मीन देने की खुद पेशकश करेंगे, उन्हें 25 प्रतिशत तक अतिरिक्त राशि भी मुआवजे के रूप में दी जाएगी। जिनके मकान जाएंगे, उनको मकान के मूल्य की दोगुनी राशि, 50 हज़ार रुपए परिवहन और 50 हज़ार रुपए पुनर्वास राशि तथा एक साल का मकान किराया दिया जाएगा।
खरे ने बताया कि जिन लोगों के नाम ज़मीन नहीं है और अगर वे खेती करते हैं तो भी उन्हें मुआवजा मिलेगा। उन्होंने कहा, “ हम प्रत्येक की ज़रूरतों और सुविधा का ख्याल रखेंगे।” स्थानीय लोगों के विरोध और उनके रोजगार की चिंताओं के बारे पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि विरोध के कारण लोगों में जानकारी का अभाव और कतिपय निहित स्वार्थ हो सकते हैं। उसके लिए लोगों को बुलाकर उन्हें सही बात विस्तार से बतायी जायेगी। पर जहां तक रोजगार की बात है तो कंपनी कौशल विकास मिशन के तहत लोगों को प्रशिक्षण दिलाएगी ताकि उन्हें काम मिल सके।
खरे ने कहा कि परियोजना ज़मीन से 15 मीटर ऊंचे स्तंभों पर बनेगी, इसलिए केवल 17.5 मीटर यानी 60 फुट ज़मीन ली जाएगी। परियोजना बन जाने पर 25 प्रतिशत वापस मिल जाएगी। उनको स्तंभों के बीच ज़मीन के उपयोग की इजाज़त होगी। लाइन के साथ ही पूरे 508 किलोमीटर की लंबाई वाली चार मीटर चौड़ी सड़क बनाई जाएगी।
उन्होंने बताया कि पालघर जिले में चार तालुका – पालघर, वसई, डहानू और तलासरी के कुल 73 गांव बुलेट ट्रेन के 110 किलोमीटर लंबेे मार्ग में आएंगे। इनमें से 29 गांवों में संयुक्त सर्वेक्षण किया जा चुका है। बाकी गांवों में यह प्रक्रिया जारी है और दिसंबर तक भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी।
उन्होंने विश्वास जताया कि बुलेट ट्रेन परियोजना को लेकर स्थानीय लोगों का भरोसा जीतने में कामयाबी मिलेगी। उन्होंने कहा कि पर्यावरण का भी पूरा ख्याल रखा जाएगा। नयी अत्याधुनिक तकनीक से पेड़ों को जड़ समेत निकाल कर अन्यत्र लगाया जाएगा। इस मौके पर दहानू के महापौर भरत सिंह राजपूत और विराथन खुर्द की सरपंच राजश्री किनी भी मौजूद थीं। इससे पहले श्रीमती किनी ने बुलेट ट्रेन परियोजना विरोध किया और कहा कि किसान और ग्रामीण इससे खुश नहीं हैं। बुलेट ट्रेन से उनको क्या मिलेगा। बाद में उन्होंने कहा कि अगर किसानों को सही मुआवजा मिलेगा और वे संतुष्ट होंगे तो किसी को कोई समस्या नहीं है।
गौरतलब है कि वडोदरा में जापान के शिन्कान्सेन के सहयोग से निर्माणाधीन हाईस्पीड रेलवे प्रशिक्षण संस्थान अगले साल से काम करना शुरू कर देगा और बुलेट ट्रेन परियोजना के सिविल, मैकेनिकल और इलेक्ट्रिकल्स इंजीनियरों का प्रशिक्षण आरंभ हो जाएगा। जापान में बुलेट ट्रेन के ट्रैक का एक 50 मीटर का ट्रैक मॉडल तैयार किया जा रहा है जिसे दिसंबर तक भारत भेज दिया जाएगा। इससे ट्रैक निर्माण से जुड़े इंजीनियरों को प्रशिक्षण दिया जाएगा।
यह प्रशिक्षण संस्थान 600 करोड़ रुपये की लागत से बनाया जा रहा है। कुछ समय बाद यहां इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सिगनल का प्रशिक्षण शुरू होगा। यह लक्ष्य रखा गया है कि बुलेट ट्रेन आरंभ होने के पहले देश में इसे संचालित करने के लिए 3500 पेशेवर तैयार हो जाएं। परिचालन से जुड़े कर्मचारियों को प्रशिक्षण के लिए जापान भी भेजा जाएगा।