सबगुरु न्यूज-सिरोही। राजस्थान के गोपालन मंत्री और सिरोही के विधायक ओटाराम देवासी के खिलाफ महिलाओं के खिलाफ कथित अभद्र टिप्पणी के मामले मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष इस्तगासा पेश कर दिया गया है। इस प्रकरण में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट पुरुषोत्तम सैनी सीधे ही परिवादिया हेमलता शर्मा और गवाहों के बयान दर्ज करेंगे।
इसके बाद न्यायालय इस प्रकरण में प्रसंज्ञान ले सकता है। ओटाराम देवासी पर कांग्रेस के इस वार की अचूकता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इस इस्तगासे में कहीं भी पुलिस की भूमिका नहीं रहेगी, जिससे यह जांच प्रभावित होने या देरी होने की आशंका भी नहीं होगी। बयानों के बाद न्यायालय प्रसंज्ञान लेता है तो सीधे ही ट्रायल शुरू होगा।
दो महीने पहले सोशल मीडिया पर गोपालन मंत्री ओटाराम देवासी का कथित आॅडियो वायरल हुआ था। इस आॅडियो के बाद उनकी और जिला प्रमुख पायल परसरामपुरिया के बीच की अनबन सार्वजनिक हुई थी। इसी आॅडियो के शुरू में महिलाओं के वस्त्रों से जुडी एक अभद्र टिप्पणी भी थी।
इसी टिप्पणी को लेकर जिला महिला कंाग्रेस अध्यक्ष हेमलता शर्मा ने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष अधिवक्ता मानसिंह देवडा के माध्यम से इस्तगासा पेश किया था। इस इस्तगासे में बताया कि ओटाराम देवासी पुत्र हेमाराम देवासी की इस टिप्पणी से महिलाओं की मानहानि हुई है। उनके शब्द नारी अस्मिता को चोट पहुंचाने वाले थे।
उन्होंने बताया कि ओटाराम देवासी ने महिलाओं के अंतर अधो वस्त्रों पर टिप्पणी की है। इससे महिलाओं की राजनीतिक मानहानि हुई है और वायरल आॅडियो में महिलाओं के प्रति टिप्पणी सुनने के बाद कई महिलाओं ने राजनीति छोड देने की भी बात की।
उन्होंने बताया कि पुलिस अधीक्षक के समक्ष 15 फरवरी को उन्होंने परिवाद दिया था, लेकिन पुलिस अधीक्षक ने इसे नजरअंदाज कर दिया। न्यायालय ने इस मामले में प्रस्तुत समस्त दस्तावेज और शपथ-पत्रों के प्रकाश में इस्तगासे पर 13 अप्रेल को बयान दर्ज करवाने का निर्णय किया है। वैसे राज्यमंत्री ओटाराम देवासी पहले ही इस आॅडियो को झूठा बता चुके हैं।
-आखिर किस तरह अलग है ये इस्तगासा
गोपालन मंत्री ओटाराम देवासी के खिलाफ दर्ज किया गया इस्तगासा सीआरपीसी की धारा 156-3 के प्रकरण से कुछ जुदा है। इसे सीआरपीसी की धारा 190 के तहत दर्ज करवाया है। जिसमें पर्याप्त सबूत होने पर न्यायालय परिवादी और गवाहों के बयान लेने के बाद सीधे ही प्रसंज्ञान लेकर ट्रायल शुरू कर सकता है।
इसमें पुलिस से जांच करवाने की आवश्यकता नहीं होगी। ऐसे में अपने राजनीतिक रसूख का इस्तेमाल करके पुलिस जांच में देरी करने और उसे प्रभावित करने का रास्ता बंद हो गया है।
-विधायक के रूप में फायदा मिलने की उम्मीद भी कम है
एक लोकसेवक के रूप में विधायक पर परिवाद दर्ज करने के लिए विधानसभा से अनुमति लेने की आवश्यकता होती। लेकिन, इस प्रकरण को इस तरह से दर्ज करवाया गया है कि ओटाराम देवासी की इस लाइफ लाइन को भी बंद किया जा सके। कानून के जानकारों की मानें तो यह टिप्पणी देवासी ने न तो किसी राजनीतिक रैली में की है और न ही विधानसभा में की है।
ऐसे में उन्हें लोकसेवक के रूप में जो विशेष लाभ मिलता वह मिलने की संभावना क्षीण है। यह टिप्पणी किसी बंद परिसर में और दूरभाष पर है, इस समय वह लोकसेवक के रूप में नहीं बल्कि एक साधारण व्यक्ति के रूप में यह कथित टिप्पणी कर रहे थे।
-इन धाराओं में पेश किया इस्तगासा
हेमलता शर्मा ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से ओटाराम देवासी के खिलाफ आईपीसी की धारा 354 क-1-4 जिसमें महिलाओ के खिलाफ अभद्र टिप्पणी कर लज्जाभंग, धारा 500 में महिलाओं की मानहानि करने, धारा 504 गलतबयानी करके लोकशांति को भंग करने, धारा 509 स्त्री की लज्जा का अनादर करने के आशय से कोई शब्द कहना, में परिवाद दर्ज करवाया गया है। इसके अलावा आईटी एक्ट की धारा 67 ए को भी इसमें जोड़ा गया है।
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