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बौद्ध स्थलों की पूरी पयर्टन क्षमता का इस्तेमाल नही
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बौद्ध स्थलों की पूरी पयर्टन क्षमता का इस्तेमाल नही

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बौद्ध स्थलों की पूरी पयर्टन क्षमता का इस्तेमाल नही
Bihar: Explosives recovered near Mahabodhi Temple complex

Bihar: Explosives recovered near Mahabodhi Temple complex Bihar: Explosives recovered near Mahabodhi Temple complex

नई दिल्ली | देश के पूर्वी, पूर्वोत्तर और दक्षिणी हिस्सों के मंदिरों और बौद्ध पर्यटन स्थलों की पर्यटक क्षमता का पूरी तरह से इस्तेमाल नहीं हो सका है । इसका मुख्य कारण यहां तक पहुंचने में आने वाला अधिक खर्च और निम्न स्तरीय पहुंचने संबंधी सुविधाएं हैं।

पर्यटन एवं संस्कृति पर संसद की एक स्थायी समिति ने अपनी रिपोर्ट में खुलासा किया है कि इन क्षेत्रों तक पहुंचने में काफी खर्च आता है और यहां तक पहुंचने के लिए बेहतर सड़क और रेल मार्ग भी नहीं हैं। इसके अलावा इन्हें देखने के लिए पहले प्रशासन से अनुमति लेनी पड़ती हैं और यह प्रकिया काफी औपचारिक तथा समय लेने वाली है ।

रिपोर्ट के मुताबिक देश के अधिकतर पर्यटक स्थलों तक लोगों के अासानी से पहुंचने की सुविधाएं नहीं है और घरेलू तथा विदेशी पर्यटकाें को इन दिक्कतों से रूबरू होना पड़ता है। इसे देखते हुए समिति ने बौद्ध स्थलों तक आसानी से पहुंच बनाने के लिए पर्यटन मंत्रालय को बेहतर संपर्क मार्गों और सुविधाओं को बढ़ाने की सिफारिश की है।

समिति ने महसूस किया है कि उन क्षेत्रों पर अधिक ध्यान दिए जाने की जरूरत है जो पर्यटन,ऐतिहासिक और धार्मिक नजरिए से महत्वपूर्ण है और जहां तक पहुंचने की रेल, सड़क और वायु मार्ग से सुविधाएं नहीं हैं।

सिफारिशों में कहा गया है कि इन स्थलों तक जाने के लिए बेहतर कनेक्टिविटी होने से न केवल विदेशी मुद्रा में इजाफा होगा बल्कि इससे इन क्षेत्रों का विकास भी होगा। समिति ने देश में अंतरराज्यीय बौद्ध सर्किट के विकास के लिए मंत्रालय की ओर से किए जा रहे प्रयासों की सराहना भी की है। समिति ने सुझाव दिया है कि उत्तर प्रदेश के कुशीनगर स्थित बौद्ध स्थल तथा बुद्ध से जुड़े अन्य ऐतिहासिक स्थलों तक पहुंचने के लिए सुविधाओं को बढ़ावा दिया जाना जरूरी है।

भगवान बुद्ध से जुड़े पांच महत्वपूर्ण स्थल हैं जिनमें उनके जन्म स्थान लुम्बिनी, ज्ञान प्राप्ति स्थल बौद्ध गया, ज्ञान प्राप्ति के बाद पहला उपदेश स्थल सारनाथ, वाराणसी , श्रावस्ती, उनकी कर्म भूमि अौर वह स्थान जहां वह अधिकतर समय तक रहे तथा बहुत ही पवित्र स्थल कुशीनगर , जहां उन्हें निर्वाण की प्राप्ति हुई थी।

इस पैनल के अध्यक्ष तूणमूल कांग्रेस के सांसद डेरिक ओ ब्रायन हैं अाैर अन्य सदस्यों में सांसद राजीव शुक्ला, प्रफुल्ल पटेल, कुमारी शैलेजा , राकेश रंजन, के सी वेणुगोपाल अौर शुत्रुध्न सिन्हा तथा अन्य शामिल हैं।