मध्यप्रदेश के बागी नेता ज्योतिराज सिंधिया अब भाजपा के हो गए हैं, लेकिन प्रश्न यह उठता है कि वह इस नई पार्टी में अपने आप को कैसे स्थापित कर पाएंगे ? साथ ही एक बात और है पिछले कुछ वर्षों से सिंधिया राहुल गांधी के सारथी कहे जाते थे। भले ही आज ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भारतीय जनता पार्टी जॉइन कर ली हो लेकिन उनके दिलो दिमाग से बहुत दिनों तक कांग्रेस पार्टी नहीं निकल पाएगी। यहां आपको बता दें कि ज्योतिरादित्य सिंधिया के पिता माधव सिंधिया कांग्रेस के बड़े नेता गिने जाते थे।
ज्योतिरादित्य पिछले 18 साल से अपने पिता के नक्शे कदम पर ही पार्टी में अपना पूरा योगदान और समर्पित थे। ज्योतिरादित्य सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के सबसे जबरदस्त विश्वासपात्र भी थे। ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस का दामन छोड़ने के कुछ वक्त बाद ही सोशल मीडिया पर तमाम यूजर्स ने उनके राजनीतिक जीवन और कांग्रेस से जुड़ाव के वक्त को याद किया।
कांग्रेस में युवा तुर्क नेता कहे जाते थे ज्योतिरादित्य सिंधिया
पिछले 5 वर्षों में कांग्रेस की युवा टीम के राहुल गांधी के बाद दूसरे नंबर का चेहरा माने जाते थे ज्योतिरादित्य। कांग्रेस के अधिकांश फैसलों में ज्योतिरादित्य सिंधिया की भी राय ली जाती थी। लोग सिंधिया के इस बड़े कदम को कांग्रेस में यूथ ब्रिगेड के झटके के तौर पर देख रहे हैं। कहा जा रहा है कि इससे कई और नेता हतोत्साहित हो सकते हैं। राहुल गांधी ज्योतिराज सिंधिया और सचिन पायलट की तिगड़ी कांग्रेस के अधिकांश नेताओं को पसंद आती थी।
ज्योतिरादित्य सिंधिया के भारतीय जनता पार्टी में जाने पर राहुल गांधी को भुलाना आसान नहीं होगा मध्यप्रदेश समेत नोट भारत में ज्योतिरादित्य सिंधिया की कांग्रेस के लोकप्रिय नेताओं में गिनती की जाती थी। दूसरी ओर कांग्रेस के कुछ नेताओं ने ज्योतिराज सिंधिया के भाजपा ज्वाइन करने बाद उन्हें दोहरा मापदंड और गद्दार तक कहा है।
ज्योतिरादित्य सिंधिया और शिवराज सिंह चौहान की कैसे बनेगी केमिस्ट्री ?
ज्योतिरादित्य सिंधिया मध्यप्रदेश के भले ही राज परिवार से ताल्लुक रखते हो लेकिन सियासी कद में राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का रसूख बड़ा ही रहेगा। वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में मध्यप्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने राज परिवार और ज्योतिराज सिंधिया पर ताबड़तोड़ हमले किए थे। इस बयान के बाद शिवराज का उन्हीं की पार्टी की नेता और सिंधिया राजघराने से आने वालीं यशोधरा राजे ने खुलकर विरोध किया था।
2018 में जब एमपी में विधानसभा चुनाव हुए तो माफ करो ‘महाराज‘, हमारा नेता शिवराज स्लोगन काफी चर्चा में रहा।विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान बीजेपी ने सीधे सिंधिया पर हमला बोला। वहीं सिंधिया ने भी चुनावी रैलियों में शिवराज सरकार के हाथ किसानों के खून से रंगे हैं, जमकर बयान दिया था।
आपको बता दें कि पूरा चुनाव सिंधिया और शिवराज के इर्द-गिर्द लड़ा गया। लेकिन जब मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव प्रणाम आए तो दोनों ही की राजनीत शांत होती चली गई। पिछले काफी समय से शिवराज सिंह चौहान और ज्योतिरादित्य सिंधिया मध्यप्रदेश में अपने आप को स्थापित करने में लगे हुए थे। अब आगे देखता होगा शिवराज सिंह चौहान और ज्योतिराज सिंधिया एक ही पार्टी में है तो दोनों की केमिस्ट्री कैसे बैठ पाती है।
शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार