सबगुरु न्यूज-सिरोही। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य एवं पूर्व विधायक संयम लोढ़ा ने राजस्थान गौरव यात्रा पर आई मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे द्वारा मंच से अपनी उपलब्धि का बखान करने पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि आरबीएसके के लाभार्थी बच्चों के पिता के जवाब ने सिरोहिवासियों के सामने ये प्रदर्शित कर दिया है कि मुख्यमंत्री का अपनी योजनाओं पर कितना होमवर्क है।
उन्होंने कहा कि जिन छोटे बच्चों को उनके कारिंदों ने मंच पर वसुंधरा सरकार की कथित योजना के लाभार्थियों के रूप में प्रस्तुत तो कर दिया लेकिन ये जानकारी लेने भूल गईं कि उनकी अधूरी योजनाओं से पीड़ित को पूरा लाभ मिला है या नहीं। लोढा ने कहा कि ऐसे बीमार पीड़ितों की सहायता का प्रावधान दशकों से मुख्यमंत्री कल्याण कोष में किया हुआ है।
वैसे भी राजे जिस आरबीएस स्कीम के लाभार्थियों की वोट बैंक के रूप में मच पर दिखा रही थी, वो योजना 2013 में मनमोहनसिंह सरकार की लागू की हुई है। भाजपा सरकार तो सही ढंग से लोगो को इसका लाभ भी नहीं दिला पा रही है।
लोढ़ा ने कहा कि मुख्यमंत्री सुराज रथ के दौरान नसीहत दे रही थी कि पूर्व सरकार योजनाओं पर जनता का धन व्यय कर रही है और अपना गुणगान कर रही है, लेकिन भाजपा के मुख्यमंत्री ने ही नहीं बल्कि प्रधानमंत्री भी जनता के पैसे से जनता को दी जाने वाली सुविधाओं के विज्ञापन पर भी अरबों रुपये पानी की तरह बह रही हैं और लाभार्थियों की जयपुर से लेकर जिलों तक मंच पर नुमाइश करके उनके आत्मसम्मान से खिलवाड़ कर रही हैं।
लोढ़ा ने कहा कि मुख्यमंत्री के इस दावें में भी सच्चाई नहीं है कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली में पोस मशीन लागू करने के बाद भी राशन के गेंहू चोरी नहीं हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार पोस मशीन के बाद भी लोगों को कम अनाज दिया जा रहा है और यह अनाज गरीबों से छीनकर उनकी पार्टी के नेताओं और व्यापारियों के गोदामें भर रहा है। इतना ही नहीं इस तरह के गोदाम मिलने पर आरोपियों पर कार्रवाई करने वाले अधिकारियों को भी सरकार प्रताड़ित कर रही है।
मुख्यमंत्री द्वारा भ्रष्आचार पर नो टाॅलरेंस के दावे को आडे हाथों लेते हुए लोढा ने कहा कि मुख्यमंत्री को ऐसी बात शोभा नहीं देती। उनका आरोप है कि पूरा प्रदेश और जिले की जनता इस बात से वाकिफ है कि बजरी पर पाबंदी नहीं हटाकर थानों को ठेके पर देने का काम आपकी सरकार कर रही है और लोगों को पीड़ित हो रहे हैं।
भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो में भ्रष्टाचार की जांच और चालानों की फाइलों के बढ़ते ढेर बता रहे हैं कि किस तरह भाजपा की केंद्र और राज्य सरकार दिल्ली से जयपुर होते हुए प्रदेश के हर नगर पालिका और पंचायत तक भ्रष्टाचार की कड़ी से कड़ी जोड़कर पार्टी फंड एकत्रित कर रही है। मुख्यमंत्री ने जिन गौरव पथ और सड़कों को अपनी उपलब्धि बताया है उनके घटिया निर्माण ये बताने के लिए काफी है कि विकास के नाम पर भाजपा किस तरह से कमीशनखोरी और भ्रष्टाचार फैलाकर जनधन का नुकसान कर रही है।
उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने महिला सुरक्षा के नाम पर जिस तरह से प्रदेश को भ्रमित किया है उन्हें ये नहीं भूलना चाहिए किए नेशनल क्राइम रिकॉर्ड के अनुसार राजस्थान महिलाओं के उत्पीडन में प्रथम पांच राज्यों में शुमार है। लोढा ने कहा कि इस बार मंच से राजे ने नर्मदा और सेई बांध के पानी का जिक्र नहीं किया और जिस बत्तीसा नाले को वे अपनी उपलब्धि बताने को आतुर हैं वो परियोजना सिरोही के उन 84 गांवों तक नहीं पहुंच रही है जिनका नाम लेकर उन्होंने 2013 में पूरे जिले में ढिंढोरा पीटा था।
उन्होंने आरोप लगाया कि जिन मुख्यमंत्री ने अपनी गौरव यात्रा में सिरोही शहर समेत हर जगह बच्चे और बीमारों को अपनी सुरक्षा के नाम पर परेशान करने में कोई कसर नहीं छोड़ी वो सभास्थल पर लोगों को भ्रमित करने के लिए पुलिस अधीक्षक पर जिस तरह से सुरक्षा कर्मियों को हटाने के लिए कह रही थी वो उनके छद्म व्यवहार का सबसे बड़ा उदाहरण है।
लोढा ने कहा कि मुख्यमंत्री ने शोले के गब्बर सिंह के अंदाज में जिस तरह से सिरोही पुलिस अधीक्षक को पुकारा था उससे ये स्पष्ट है कि वो न तो जन नेता है और न ही जन नायक हैं और उनके इस व्यावहार के परेशान होकर जनता ने उन्हें इस बार कुर्सी से उखाड़ फेंकने का निर्णय कर लिया है।
लोढ़ा ने कहा कि मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे की कथित राजस्थान गौरव यात्रा को सिरोही जिले की जनता ने पूरी तरह नकार दिया है। उन्होनंे कहा कि सुराज संकल्प यात्रा 2013 में वसुन्धरा राजे द्वारा किए गए झूठे वायदे लोगो को याद हैं और इसलिए उनकी यात्रा के स्वागत से ज्यादा लोग विरोध में सड़कों पर दिखाई दिए।
लोढ़ा ने कहा कि मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री के उस वक्तव्य को ’’न खाऊंगा न खाने दूंगा’’ का मजाक बनाते हुए अपनी यात्रा में उस अधिकारी को सजा दे दी, जिसको 15 अगस्त को जिला प्रशासन ने अच्छा राजस्व देने के लिए सम्मानित किया था। इस अधिकारी का कोई कसूर नहीं होने पर भी सजा मिलने से कर्मचारियों में भारी नाराजगी हैं।
नगर परिशद् सिरोही के राजस्व अधिकारी सुरेश जीनगर ने होर्डिंग लगाने के लिए नियमानुसार शुल्क लेकर विधिवत् स्वीकृति दी थी और इसके विपरित परिषद ने भाजपा नेताओं को बिना परमिशन व शुल्क जमा कराये पूरे शहर में लगे होर्डिंग पर कोई एक्शन नहीं लिया उनको कोई सजा नहीं दी जोे खुल्लम खुल्ला भ्रष्टाचार व सत्ता का दुरुपयोग है।
लोढ़ा ने कहा कि मुख्यमंत्री यात्रा से जिले की त्वरित समस्या यथा बिना टनल के उपयोग के टोल वसूली, परिषद मंे व्याप्त घोटालों व भष्टाचार, फसलों के खराबे पर किसानों को राहत, गत बाढ़ में टूटी सड़को व पुलियों के मरम्मत, आबूरोड़ को उपखण्ड़ बनाने, पिण्ड़वाड़ा में काॅलेज की भूमि आवंटन, सरूपगंज में भूमि के मुआवजे में हुए घोटाले, जिला प्रतुख के विरुद्ध भाजपा के सदस्य द्वारा रखे गये अविश्वास प्रस्ताव, शिवगंज, सिरोही व आबूरोड़ नगरपालिका में भाजपा पार्षदो की ओर से भष्टाचार के लगाये गये आरोपों की जांच इत्यादि मामलो में मुख्यमंत्री ने कोई बात नहीं कर लोगो को नाराज किया है।
उन्होने कहा कि लोगांे को लगा था कि मुख्यमंत्री चुनाव के पहले जिले को कोई सौगात देगी ओर गत चुनाव में किए वायदों के पूरा नहीं करने पर कुछ बोलेंगी, लेकिन उन्होने चुप्पी नहीं तोड़ी।
उन्होने कांग्रेस की पैदल यात्रा को रोकने में लगाए गए पुलिस बल की निन्दा करते हुए कहा कि सरकार विनाषकाले विपरित बुद्धि पर चलकर लोकतंत्र का गला घोंट रही है जिसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
लोढ़ा ने कहा कि गत एक माह से किसान क्रेडिट कार्ड बनवाने के लिए जमाबंदी की प्रति चाह रहे किसानों को धक्के खाने पड़ रहे है। कई’कई सप्ताह लोगो को जाति एवम् मूल निवास प्रमाण पत्र नहीं दिए जा रहे है। 189 में से 100 पटवारीयों के पद रिक्त पडे हुए है। ज्यादातर पषु चिकित्सा केन्द्र बन्द पड़े है। सरकारी अस्पतालो मंे चिकित्सक नहीं हैं। इन सब आवश्यक सेवाओं से आम आदमी वंचित है।
बिजली विभाग में सारे काम ठेके पर देने से सारी व्यवस्था चरमरा गई है। विद्युत षिकायतों की कोई सुनवाई नहीं होती हैं। कई कई घण्टे गांव व मोहल्ले अंधेरे में डुबे रहते है। मच्छर कांटने के कारण छोटे छोटे बच्चे रोते हैं। नये विद्युत कनेक्शन में लाईन खींचने में ठेकेदार भारी रिश्वत खा रहे है।
राज्य की भाजपा सरकार ने सिरोही जिले की उच्च षिक्षा को तबाह कर दिया है। महाविद्यालयों में तीन चैथाई व्याख्याताओ के पद खाली पड़े है। स्कूलों में शिक्षकों की मांग को लेकर आए दिन तालाबंदी होती है।