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Congress board deceived Sirohians - Sabguru News
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सिरोही ने मिलाया ‘हाथ’ से ‘हाथ’, कांग्रेस ने थमाया पुराना सिंबल

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सिरोही ने मिलाया ‘हाथ’ से ‘हाथ’,  कांग्रेस ने थमाया पुराना सिंबल
सिरोही में गलियों सड़कों पर लगा घुमन्तु पशुओं का जमावड़ा।
सिरोही में गलियों सड़कों पर लगा घुमन्तु पशुओं का जमावड़ा।
सिरोही में गलियों सड़कों पर लगा घुमन्तु पशुओं का जमावड़ा।

सिरोही। विधायक संयम लोढ़ा पर विश्वास करके सिरोही शहर में ऐतिहासिक बहुमत से कांग्रेस का हाथ थामा। इसका बदला लेते हुए कांग्रेस ने सिरोही को अपने पुराने चुनाव चिन्ह बैलों और गायों के हवाले कर दिया है।

हालात इतने विकट हो चुके हैं कि सिरोही नगर परिषद में चुनकर गए कांग्रेस के नकारा पार्षद और रिटायरमेंट के इंतजार में यहां बैठाए गए आयुक्त की सरपरस्ती में शहर की ट्रैफिक व्यवस्था घुमन्तु जानवरों के भरोसे छोड़ दी गई है। अब अव्यवस्था का आलम इस हद तक बढ़ चुका है कि सिरोही शहर के लोगों को भी पूर्ण विश्वास हो चुका है कि ये सब कुछ सिरोही विधायक संयम लोढ़ा की सरपरस्ती के बिना नहीं हो सकता।

स्थिति अब ये पहुंच चुकी है कि विधायक संयम लोढ़ा अपने मातहत उन नेताओं और कार्मिकों को बचा लें जिनके नकारेपन से शहर में अव्यवस्था पसरी है या उनपर विश्वास करके अपना वोट देने वाले सिरोही के लोगों में उनके प्रति बने विश्वास को।

कांग्रेस का पुराना चुनाव चिन्हकांग्रेस का पुराना चुनाव चिन्हथ्री-एन समूह ने बदहाल किया शहर

सुबह से रात तक शहर के हर कोने में कांग्रेस पार्षदों के नकारेपन के कारण उनकी पार्टी के पुराने सिंबल ट्राफिक कंट्रोल की भूमिका में नजर आते हैं। इतनी अनियमितता पिछले 25 सालों में कभी नहीं मिली जितनी अब देखने को मिल रही है।

ये थ्री-एन, यानी कांग्रेस के नकारा-ट्वेंटी टू, भाजपा के निठल्ले-नाइन और निर्दलीय निष्क्रिय-फोर समूह के कारण आज शहर की हर गली मोहल्ले और नुक्कड़ में मुख्य मार्ग पर पहली बार दिन में भी जानवरों के कारण ट्रैफिक जाम की स्थिति आई होगी।

मुख्य सरजावा दरवाजा हो या बस स्टैण्ड, मुख्य बाजार हो या राजमाता धर्मशाला, अमर नगर हो या अनादरा चौराहा, पैलेस रोड हो या गोयली चौराहा। हर जगह कांग्रेस अपने नकारेपन के निशान छोड़ रही है।

यूँ अभी घुमन्तु पशुओं को पकड़ने का अभियान चला है, लेकिन उसका उद्देश्य शहर के लोगों को राहत दिलाने की बजाय लंपि बीमारी है। इस बीमारी के कारण जगह जगह पशु मृत होने से उन्हें उठाने में हो रही समस्या की वजह से इन्हें एक जगह ले जाया जा रहा है जिससें इनकी मृत्यु हिने ओर इन्हें उठाने के लिए इधर उधर भागने में कार्मिकों को समस्या नहीं आये।

कॉलोनाइजर सभापतियों से नहीं मिल रही आजादी

सिरोही पिछले ढाई दशक से कॉलोनाइजर सभापतियों के छंगूक से छूटने को कसमसा रहा है, लेकिन कॉलोनाइजर सभापतियों के खिलाफ चुनावी भाषणों में शहर की जमीनें खुर्दबुर्द करने का आरोप लगाकर सत्ता में आई कांग्रेस ने फिर से सिरोही को कॉलोनाइजर सभापति के हवाले कर दिया है। वीरेंद्र मोदी, फिर उनके सरपरस्ती में बने सुखदेव आर्य, ताराराम माली और इनके बाद अब महेन्द्र मेवाड़ा ये सभी कॉलोनाइजर रहे हैं या उनकी सरपरस्ती में रहे हैं।

पूर्व के तीन सभापतियों ने शहर की समस्याओं पर कुछ ध्यान भी दिया था। इसमें कोई दो राय नहीं है कि महेंद्र मेवाड़ा की अपने कार्यालय उपस्थिति सब्स नियमित है। खुदके कार्यालय में पार्षदों के मजमा भी नियमित लगता है। लेकिन, ये मजमा मदारी के सामने ताली बजाकर चले जाने वाले दर्शकों से ज्यादा कुछ नहीं रहता।

शहर की बदहाल सफाई व्यवस्था आवारा पशुओं के हवाले की गई ट्रैफिक व्यवस्था यही बता रही है कि इन पार्षदो का सभापति के समक्ष लगने वाला नियमित मजमा राग दरबारियों की तरह चाटुकारिता के प्रदर्शन से अधिक कुछ नहीं है।

बोर्ड की बैठकें भी नियमित नहीं

अब तक भाजपा और कांग्रेस को बोर्ड में सत्ता और विपक्ष के पार्षद हमेशा इस बात को लेकर मुखर रहते थे कि बोर्ड की बैठकें नियमित हो। जिससे लोगों की समस्याओं को उठाया जा सके। लेकिन, सिरोही के इन 35 पार्षदों को अब कोई मतलबा नहीं है कि बैठक होती है या नहीं होती है। शहर के जो हालात हैं उससे ये ही प्रतीत होता है कि ये 35 के 35 एक ही उद्देश्य से नगर पालिका में गए हैं और वो है ‘इनका काम बनता, भाड़ में जाये जनता’।