बरेली/लखनऊ। बरेली में जिला प्रशासन ने कांग्रेस की महिला मैराथन दौड़ में मंगलवार को भगदड़ की घटना में पार्टी के जिलाध्यक्ष के खिलाफ मामला दर्ज होने के बाद कांग्रेस नेतृत्व ने कोरोना के खतरे का हवाला देते हुए राज्य में रैलियां और मैराथन दौड़ भी अगले 15 दिन तक के लिए स्थगित कर दी हैं।
बरेली के जिलाधिकारी मानवेंद्र सिंह ने राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एपसीपीसीआर) के निर्देश पर सिटी मजिस्ट्रेट बरेली की ओर से थाना कोतवाली में कांग्रेस जिलाध्यक्ष अशफाक सकलैनी और कई अन्य के खिलाफ मामला दर्ज करा दिया है। इसके बाद कांग्रेस नेतृत्व ने कोरोना संक्रमण का हवाला देते हुए अगले 15 तक उत्तर प्रदेश में किसी नेता की रैली या मैराथन दौड़ आयोजित नहीं करने का फैसला किया है। पार्टी के प्रवक्ता गौरव बल्लव ने दिल्ली में संवाददाताओं को यह जानकारी दी।
वहीं लखनऊ में कांग्रेस के एक प्रवक्ता ने कहा कि प्रदेश कांग्रेस ने ‘लड़की हूं लड़ सकती हूं’ अभियान के तहत आयोजित हो रहीं मैराथन दौड़ को फौरी तौर पर रद्द कर दिया है। उन्होंने कहा कि कोरोना संक्रमण के खतरे को देखते हुए कांग्रेस के प्रचार अभियान के कार्यक्रम में आए बदलाव को लेकर प्रदेश कांग्रेस जल्द ही वक्तव्य जारी करेगी।
उल्लेखनीय है कि कांग्रेस ने मंगलवार को हजारों छात्राओं की प्रतिभागिता से बरेली स्थित बिशप मंडल इंटर कॉलेज मैदान से पांच किलोमीटर की मैराथन दौड़ आयोजित की थी। प्रशासन की अनुमति से आयोजित की गई इस दौड़ में अपेक्षा से अधिक प्रतिभागियों की मौजूदगी के कारण इंतजाम नाकाफी साबित हुए और दौड़ शुरु होने से पहले ही भगदड़ मच गई। इसमें कई प्रतिभागियों को चोट आई, वहीं तीन को गंभीर चोट आने के कारण जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया।
इस पर संज्ञान लेते हुए एनसीपीसीआर ने जिलाधिकारी को आयोजकों के खिलाफ मामला दर्ज कर सात दिन के भीतर जांच रिपोर्ट देने का आदेश दिया है। जिलाधिकारी मानवेन्द्र सिंह के आदेश पर बरेली के सिटी मजिस्ट्रेट राजीव पांडे ने थाना कोतवाली में कांग्रेस जिलाध्यक्ष मिर्जा अशफाक सकलैनी और अन्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज करा दी है।
इनके खिलाफ जानबूझकर महामारी फैलाने और धारा 144 के उल्लंघन का आरोप लगाया गया हैं। सिटी मजिस्ट्रेट ने कोतवाली में दर्ज कराई गई रिपोर्ट में कहा है कि आयोजकों को सशर्त महिला मैराथन के आयोजन की अनुमति दी गई थी। इसमें सामाजिक दूरी का पालन कराने, मास्क और सैनिटाइजर की व्यवस्था करने के साथ दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 144 के प्रतिबंधों का पालन करने की भी हिदायत दी गई थी। इसके बावजूद नियम व शर्तों का पालन नहीं किया गया है।