सबगुरु न्यूज-जालोर/सिरोही। लोकसभा चुनावों के चौथे चरण में जालोर-सिरोही में इस बार कांग्रेस और भाजपा प्रत्याशी के बीच कांटे की टक्कर नजर आई। बूथों पर लगी टेबल्स पर स्पष्ट नजर आ रहा था कि कांग्रेस ने भाजपा के देवासी समाज के जिस बड़े वोट बैंक पर सेंधमारी करने के लिए रतन देवासी को अपना प्रत्याशी बनाया था उसमें वो काफी हद तक सफल हुई।
वहीं भाजपा प्रत्याशी देवजी पटेल अपने समाज के वोटों को काबू में करने में कामयाबी हासिल की। ऐसे में 2014 के विपरीत इस बार जालोर-सिरोही लोकसभा क्षेत्र में भाजपा और कांग्रेस को आमने-सामने लाकर खड़ा कर दिया है।
जातीय धु्रवीकरण समेत कोई भी फैक्टर चला यहां के परिणामों में अप्रत्याशित बदलाव कर सकता है। रानीवाड़ा विधानसभा क्षेत्र के तीन-चार बूथों पर हुई तकरार के अलावा शेष स्थानों पर मतदान शांतिपूर्ण ही रहा।
जालोर-सिरोही लोकसभा क्षेत्र के 2097 बूथों पर सोमवार को सवेरे सात बजे मतदान शुरू हुआ। अधिकांश बूथों पर सवेरे गयारह बजे तक काफी तेज मतदान हुआ। गर्मी के कारण दोपहर में मतदान प्रतिशत में कुछ कमी आई, लेकिन शाम को फिर से मतदान ने तेजी पकड़ी।
चुनाव कार्यालय के अनुसार जालोर-सिरोही लोकसभा क्षेत्र में 65.73 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया। गत लोकसभा चुनावों में 59.69प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया था।जालोर जिले में 66. 21 और सिरोही जिले में 64. 83 प्रतिशत मतदान हुआ।
जालोर लोकसभा में जालोर और सिरोही जिलों की कुल आठ विधानसभाएं आती हैं। इसमें सिरोही लोकसभा क्षेत्र में सबसे कम 58.09 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया तो रतन देवासी परम्परागत सीट रानीवाड़ा में सबसे ज्यादा 73.53 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया।
इस क्षेत्र में चौधरी और रेबारी समुदाय के वोटों की काफी संख्या होने से मतदान में इस तरह की बढ़ोतरी की वजह मानी जा रही है। इसके अलावा सांचौर विधानसभा क्षेत्र में 70.26, पिण्डवाड़ा-आबू लोकसभा क्षेत्र में 70.02, रेवदर में 6.43, भीनमाल में 65.53, जालोर में 62.65 तथा आहोर विधानसभा क्षेत्र में 59.09 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया।
जिन विधानसभा क्षेत्रों में देवासी और कलबी मतदाताओं की संख्या ज्यादा थी वहां पर मतदान में अप्रत्याशित बढ़ोतरी देखी गई। रानीवाड़ा के साथ पिण्डवाड़ा, रेवदर और सांचौर ऐसे क्षेत्र हैँ जहां पर इसका प्रभाव आंकड़ों में साफ नजर आया।
जातिगत समीकरण और वोटों की शिफ्टिंग से यह तय है कि भाजपा इस बार यहां पर 2014 की तीन लाख से ज्यादा वोटों की अप्रत्याशित जीत का रेकर्ड दोहराने में शायद ही सफल हो पाए।