नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी ने सुप्रीमकोर्ट द्वारा कांग्रेस पार्टी और चीन सरकार के बीच पारस्परिक सहयोग के करार पर हैरानी जताए जाने पर आज मांग की कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी देश को जवाब दें कि इस करार के माध्यम से उन्होंने चीन के साथ मिलकर क्या साजिश रची है।
भाजपा अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि उच्चतम न्यायालय ने कांग्रेस पार्टी एवं चीन सरकार के बीच हुए समझौते पर हैरानी जताई है। समझौते पर हस्ताक्षर किए जाने को मंजूरी देने वाली सोनिया गांधी और उनके पुत्र को स्पष्टीकरण देना चाहिए।
नड्डा ने यह भी पूछा कि क्या राजीव गांधी फाउंडेशन को चीन से मिले दान के बदले में भारतीय बाज़ार को चीनी उत्पादों के लिए खोला गया था जिससे भारतीय कारोबारी प्रभावित हुए।
भाजपा के प्रवक्ता डॉ. संबित पात्रा ने यहां संवाददाताओं से कहा कि सात अगस्त 2008 को बीजिंग में सोनिया गांधी और राहुल गांधी तथा चीन के तत्कालीन उपराष्ट्रपति एवं चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की स्टेंडिंग कमेटी के सदस्य शी जिनपिंग की मौजूदगी में कांग्रेस एवं चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के बीच द्विपक्षीय, क्षेत्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर परामर्श एवं आदान प्रदान के करार पर हस्ताक्षर किए गए थे।
डॉ. पात्रा ने कहा कि आश्चर्य की बात है कि एक राजनीतिक पार्टी आखिर एक देश की सरकार के साथ इस प्रकार के करार कैसे कर सकती है। उन्होंने कहा कि भाजपा अध्यक्ष ने इस विषय को पहले भी उठाया था और जो कहा था, वही उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश ने भी कहा और हैरानी व्यक्त की कि आखिर एक पार्टी दूसरे देश के साथ ऐसे करार कैसे कर सकती है।
भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि कांग्रेस की ओर से कहा गया कि यह पार्टी का पार्टी से करार है लेकिन कांग्रेस यह नहीं बताती है कि चीन के मामला अलग है। वहां स्थायी रूप से चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार है तथा पार्टी एवं सरकार में कोई अंतर नहीं है।
उन्होंने 2008 की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि यह करार उस समय संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) की सरकार को दरकिनार करके किए गए थे तथा चीनी कम्युनिस्ट पार्टी ने नेहरू गांधी परिवार के साथ संबंध बनाने के लिए ये करार किया था।
भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि इस करार पर हस्ताक्षर हाेने के बाद राजीव गांधी फाउंडेशन में दान की राशि आई। उसके बाद भारत का बाजार चीनी उत्पादों के लिए खोला गया जिससे भारत चीन द्विपक्षीय व्यापार घाटा बढ़कर 33 प्रतिशत तक आ गया। बीजिंग ओलंपिक में सोनिया गांधी फिर बीजिंग गईं थीं और उन्हें शासन प्रमुख का प्रोटोकॉल दिया गया था। इसी तरह से 2017 में डोकलाम गतिरोध के समय भी राहुल गांधी चीनी राजनयिक कैंप में मौजूद थे।
डॉ. पात्रा ने कहा कि ये सब घटनाक्रम किसी साजिश की ओर इशारा करते हैं। पूरा देश हैरान है। चीन के साथ वर्तमान गतिरोध के समय में भी राहुल गांधी ने देश के हित में एक भी बात नहीं कही। वे लगातार देशहित पर हमला कर रहे हैं। इस साजिश के मुख्य सलाहकार सोनिया गांधी एवं उनके पुत्र को सबके सामने आकर देश को जवाब देना चाहिए।
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