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राफेल लड़ाकू विमान संप्रग से 67 करोड़ कम में : भाजपा
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राफेल लड़ाकू विमान संप्रग से 67 करोड़ कम में : भाजपा

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राफेल लड़ाकू विमान संप्रग से 67 करोड़ कम में : भाजपा
Congress collectively lying to defend Rahul Gandhi on Rafale deal : bjp
Congress collectively lying to defend Rahul Gandhi on Rafale deal : bjp

नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पर देश की सुरक्षा से खिलवाड़ करने का आरोप लगाते हुए दावा किया कि मोदी सरकार ने संयुक्त प्रगतिशील सरकार की तुलना में फ्रांस के लाड़कू विमान राफेल का सौदा प्रति विमान 67 करोड़ रुपए कम में किया है।

भाजपा के प्रवक्ता और केन्द्रीय विधि मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि फ्रांस से रक्षा सौदे को लेकर गांधी गैर जिम्मेदाराना हरकत कर रहे हैं और उन्हें देश की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि गांधी ने लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान राफेल विमान सौदे को लेकर संसद को गुमराह किया है।

उन्होंने कहा कि संप्रग सरकार के दौरान वर्ष 2007 में वायु सेना को मजबूत करने के लिए फ्रांस से 126 राफेल विमान खरीद का सौदा किया गया था। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार एक से अधिक बार संसद में राफेल विमान की बेसिक कीमत 670.32 करोड रूपए बता चुकी है लेकिन हथियारों और अन्य प्रणालियों के साथ इसकी कीमत का खुलासा नहीं किया जा सकता क्योंकि इससे सुरक्षा एवं गोपनीयता करार का उल्लंघन होगा और यह राष्ट्र हित में भी नहीं होगा।

उन्होंने कहा कि मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद इस विमान का सौदा किया और एक विमान की कीमत पिछली सरकार की तुलना में नौ प्रतिशत कम है। उन्होंने कहा कि इसी विमान को मिश्र और कतर को कम कीमत में बेचने का मुद्दा उठाया जा रहा है लेकिन इसकी जानकारी नहीं है कि उसमें किस प्रकार की हथियार प्रणाली लगी है। हथियार प्रणाली के आधार पर विमानों की कीमतें बढ़ती है।

प्रसाद ने कहा कि गांधी ने इस सौदे को लेकर फ्रांस के राष्ट्रपति को भी घसीटा है जिसका फ्रांस सरकार ने खंडन किया है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने सिर्फ 36 राफेल विमान खरीद का सौदा किया है। कांग्रेस अध्यक्ष अब इस सौदे का मामला आठ वर्ष तक रक्षा मंत्री रहे एके एंटनी के माध्यम से उठवा रहे हैं जिन्होंने संप्रग शासन के दौरान अनेक अवसरों पर रक्षा मामलों से जुड़े सवालों का संसद में राष्ट्रहित से जुड़े मामले बताकर जवाब नहीं दिया था।

प्रसाद ने संप्रग के दस साल के शासन को ‘भ्रष्टाचार का प्रतीक’ बताते हुए कहा कि मोदी सरकार ईमानदारी से काम कर रही है और पारदर्शी तरीके से निर्णय लिए जा रहे हैं।

प्रसाद ने कहा कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार के समय भी तत्कालीन रक्षा मंत्रियों ने विभिन्न अवसरों पर सुरक्षा समझौते और राष्ट्र हित का हवाला देते हुए रक्षा सौदों की कीमतों का विस्तार से ब्याेरा देने से इंकार किया था। इसमें अमरीका और इजराइल से खरीदे गए रक्षा उपकरण तथा हथियार शामिल हैं।

राफेल के मामले में भी विस्तृत ब्योरे और अंतिम कीमत की जानकारी देने से विमान में लगे हथियारों और उसकी क्षमता में की गई वद्धि का संकेत मिल सकता है। इससे दुश्मन को विमान की ताकत और क्षमता का पता चल जाता है।

उन्होंने कहा कि इस समय कांग्रेस पार्टी 2004 से 2014 के दौरान के अपने रवैये के विपरीत व्यवहार कर रही है जो देश के सुरक्षा हितों के खिलाफ है। असल में चुनाव के लिए कोई सार्थक मुद्दा नहीं मिलने के कारण वह देश की सुरक्षा से समझौता करने को मजबूर हुई है।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस के आज के संवाददाता सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तथा रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण पर संसद को गुमराह करने का जो आरोप लगाया गया है वह निराधार , शरारतपूर्ण और गैर जिम्मेदाराना है। प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री के खिलाफ विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव लाने की कांग्रेस नेताओं की धमकी को उन्होंने पूरी तरह से अनुचित बताया। भाजपा नेता ने कहा कि असल में गांधी ने अविश्वास प्रस्ताव पर बहस के दौरान राफेल सौदे में गोपनीयता का करार नहीं होने के बारे में भी गलत बयानी की।

भाजपा नेता ने कहा कि फ्रांस सरकार के साथ 2016 में 36 राफेल विमानों के सौदे से संबंधित समझौते पर हस्ताक्षर सुरक्षा मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति की उचित मंजूरी के बाद ही किए गए थे। कांग्रेस के इस आरोप पर कि मिश्र और कतर ने राफेल विमान भारत की तुलना में सस्ते खरीदे हैं उन्होंने कहा कि इन देशों के सौदे की भारत के साथ हुए सौदे के साथ तुलना नहीं की जा सकती और हमें अधिकारिक रूप से इन देशों के साथ हुए सौदों के ब्योरे की जानकारी भी नहीं है।

सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम एचएएल को करार से बाहर करने के आरोपों को भी गलत बताते हुए उन्होंने कहा कि संप्रग सरकार ने देश में राफेल विमानों का निर्माण करने के मुख्य सौदे को ही अंतिम रूप नहीं दिया था।

प्रधानमंत्री पर किसी उद्योगपति को फायदा पहुंचाने के आरोपों का भी खंडन करते हुए उन्होंने कहा कि राफेल सौदा दो सरकारों के बीच हुआ है और इसमें किसी निजी कंपनी का नाम नहीं है। सरकार ने किसी निजी कंपनी के साथ अनुबंध नहीं किया है और ‘ऑफसेट’ के लिए भारत में अपनी साझीदार कंपनी चुनने का उसका विशेषाधिकार है।