अजमेर। नगर निगम अजमेर के कांग्रेसी पार्षदों ने विकास संबंधी फंड देने में भेदभाव एवं तानाशाही नीति के विरोध में गुरुवार को निगम कार्यालय के बाहर धरना दिया तथा महापौर और आयुक्त के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।
महापौर धर्मेन्द्र गहलोत को सौंपे गए ज्ञापन में कांग्रेस पार्षदों ने बताया कि निगम के इतिहास में यह पहली बार हुआ है कि पार्षदों को अपने क्षेत्र में विकास कार्य करवाने के लिए मिलने वाले फंड बीते एक साल से अटका पडा है। इस कारण उनके वार्डों में विकास कार्य ठप है। स्थानीय मंत्री और विधायक पार्षदों को मिने वाले फंड से ही क्षेत्र में विकास कार्यों के उदघाटन किए जा रहे हैं जो कि राज्य सरकार की मानसिकता को दर्शाता है।
कांग्रेसी पार्षदों के फंड को अपना बताकर एवं गलत तरीके हथियाकर स्थानीय मंत्री की ओर से घोषणाएं कर वाहवाही लूटी जा रही है। पक्षपात का आलम यह है कि सत्ताधारी बीजेपी के पार्षदों को तो फंड जारी कर दिया गया लेकिन कांग्रेसी पार्षदों का फंड जारी नहीं किया जा रहा जबकि समस्त पार्षदों को फंड एक साथ जारी किया जाना चाहिए।
बीते एक साल में करीब 50 करोड रुपए से अधिक की राशि इस मद में सरकार की ओर से जारी की गई है। लेकिन निगम प्रशासन उसे सही तरीके से रीलिज नहीं कर रहा। मंत्री अपने विधानसभा क्षेत्र में किस मद से आए दिन उदघाटन किए जा रहे हैं, उक्त राशि किस मद और कहां से आ रही है इस बात को सार्वजनिक किया जाना चाहिए ताकि जनता को सच पता लग सके।
फंड नहीं मिलने से कांग्रेसी पार्षदों के वार्डों में विकास नहीं होने के कारण जनता में रोष व्याप्त है। जनता यह नहीं मालूम कि फंड को जानबूझकर सत्ताधारी पार्टी ही रोक रही है। बीते एक साल में कांग्रेसी पार्षदों ने अपने क्षेत्र में कराए जाने वाले विकास कार्यों के के एस्टीमेट बनाकर दिए हुए हैं, उन सभी की निविादाएं तत्काल निकाली जानी चाहिए।
पार्षदों ने चेतावनी दी है कि चुनाव आचार संहिता लागू होने से पहले कार्यादेश जारी किए जाएं अन्यथा आगामी दिनों में मंत्री के कार्यक्रमों और उदघाटन समारोहों में कांग्रेसी पार्षद पहुंचकर धरना और प्रदर्शन करेंगे।