चंडीगढ़। पंजाब कांग्रेस में घमासान को थमे अभी कुछ दिन ही बीते थे कि अचानक पार्टी प्रधान के मंगलवार को अचानक पार्टी पद से इस्तीफा देने की घटना ने सब को चकित कर दिया।
पार्टी सूत्रों के अनुसार कांग्रेस में पूरी तरह सब कुछ ठीकठाक तो नहीं कहा जा सकता लेकिन कुछ हद तक ठीक हो गया था। सिद्धू की अगुवाई में कुछ मंत्रियों तथा विधायकों की ओर से चलाई गई मुहिम सफल रही तथा उन्होंने कैप्टन अमरिंदर सिंह को मुख्यमंत्री पद से हटवा दिया। मुख्यमंत्री न जाने किसे बनना था लेकिन ताज चरनजीत सिंह चन्नी के सिर आ सजा तथा मंत्रियों को लेकर आलाकमान के दरबार में दो बार जाना पड़ा। कड़ी मशक्कत के बाद जाकर मंत्रियों के नाम तय हो सके।
ऐसा लगता है कि सब कुछ जो सिद्धू चाहते थे उनके मुताबिक नहीं हो रहा था। यहां तक कि मंत्रियों के नामों पर सहमति से लेकर विभागों का बंटवारा और प्रशासनिक, पुलिस अधिकारियों के फेरबदल की बात भी उन्हें रास नहीं आ रही थी जिसके कारण यह धमाका हुआ।
पंजाब में कांग्रेस को मजबूत कर सत्ता में वापसी कराना इतना आसान नहीं जितना उसके नेता मान रहे थे। यदि पार्टी की लाज बचाने की बात को गंभीरता से लिया जाता तो यह राजनीतिक घटनाक्रम देखने को न मिलता। अब आगे क्या होता है यह तो समय ही बताएगा कि क्या सिद्धू अपना इस्तीफा वापस लेंगे।
पार्टी जनों के यह बात गले नहीं उतर रही कि उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को लिखे पत्र में ऐसा क्यों लिखा कि समझौता करने से इंसान के चरित्र का पतन हो जाता है और मैं पंजाब के भविष्य तथा लोगों की भलाई से कभी समझौता नहीं कर सकता। बहरहाल एक कार्यकर्ता के तौर पर मैं काम करता रहूंगा और कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष पद से इस्तीफा दे रहा हूं।
याद रहे कि सिद्धू जब कांग्रेस में शामिल हुए थे तभी से कैप्टन अमरिंदर सिंह उनसे खुश नहीं थे लेकिन आलाकमान द्वारा थोपे जाने के कारण उन्हें अब तक झेलते रहे। 2017 में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद उन्हें मंत्री बनाया गया और अचानक उन्होेंने मंत्रीपद से इस्तीफा दे दिया और उसके बाद वे न तो विधानसभा में दिखे और न अपने पार्टी सहयोगियों से मिले। करीब ढाई साल गुजरने के बाद वे फिर सक्रिय हुए और कुछ मंत्रियों तथा विधायकों के साथ मिलकर कैप्टन सिंह को मुख्यमंत्री पद से हटवा दिया।
इससे पहले उन्होंने पार्टी की प्रधानगी संभाली। करीब दो माह कांग्रेस प्रधान रहने के बाद अब जब उनकी सरकार गठित हुई तो मंत्रियों के नामों, विभागों के बंटवारे और नए अधिकारी लगाए जाने को लेकर उनकी नाराजगी दिखने लगी और नए मुख्यमंत्री जिनके कंधे पर हाथ रखे नजर आते थे अब वे उनके किसी प्रोग्राम में नजर नहीं आ रहे थे। मंत्रियों के शपथ ग्रहण समारोह में वो दिखाई दिए। उसके बाद आज उनके इस्तीफे की खबर सामने आई।
कैप्टन सिंह ने पद से हटाए जाने के बाद कहा था कि मैं कहता हूं कि सिद्धू सीमावर्ती पंजाब के लिए खतरनाक है और ऐसे व्यक्ति को पंजाब का मुख्यमंत्री किसी हालत में नहीं बनने दूंगा, चाहे मुझे कोई मजबूत उम्मीदवार क्यों न उतारना पड़े। यह देश प्रदेश की एकता अखंडता का सवाल है। उसके सीमा पार संबंध हैं और पंजाब की सीमा पाकिस्तान से लगी है तथा आए दिन ड्रोन से हथियार, टिफिन बम, हथियार, नशा भेजा जा रहा है। ऐसे में पंजाब के हालात को काबू रखना चुनौतीपूर्ण है।
आज जब भाजपा नेताओं से मुलाकात के कयासों के बीच जब कैप्टन सिंह दिल्ली के लिए निकले तो उन्होेंने ट्वीट किया कि मैं पहले ही कहता था कि सिद्धू पंजाब के लिए सही नहीं तथा वह एक अस्थिर व्यक्ति है। इसबीच शिरोमणि अकाली दल के प्रधान सुखबीर बादल ने कहा कि उन्होंने कुछ माह पहले ही बता दिया था कि नवजोत सिद्धू मिसगाइडेड मिसाइल है।
इस घटना से पूरी कांग्रेस अपमानित महसूस कर रही है। ऐसे समय में जब उनकी बनायी नयी सरकार के पास काम करने के लिए मात्र चार पांच माह बचे हैं और उसे अपनी छवि बचाना मुश्किल हो रहा है। उसे अब काम करना तथा कुछ करके दिखाना चुनौतीपूर्ण कार्य है।
नवजोत सिद्धू कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष पद से हटे, रजिया का भी मंत्री पद से इस्तीफा