नई दिल्ली। पीएम नरेन्द्र मोदी ने बाबा साहेब अंबेडकर को लेकर कांग्रेस को कठघरे में खडा करते हुए आरोप लगाया कि उसने उनका अपमान करने में कोई कोर कसर नहीं छोडी और इतिहास से उनका नामो निशान मिटाने के लिए पूरी ताकत लगा दी थी।
मोदी ने शुक्रवार को राष्ट्रीय अंबेडकर स्मारक के उद्घाटन के मौके पर आयोजित समारोह में कहा कि ये इतिहास की बहुत कड़वी सच्चाई है कि जब बाबा साहेब जीवित थे, तब और उनकी मृत्यु के बाद भी कांग्रेस ने उनके अपमान में कोई कोर-कसर बाकी नहीं छोड़ी थी। कांग्रेस ने पूरी शक्ति लगा दी थी देश के इतिहास से बाबा साहेब का नामो-निशान मिट जाए।
उन्होंने कहा कि मैं चुनौती देता हूं कांग्रेस को, वो एक काम बता दें जो उसने बाबा साहेब के लिए किया है, स्वतंत्रता के बाद कांग्रेस ने इकोसिस्टम ऐसा बनाया कि देश का इतिहास सिर्फ एक परिवार के इर्द-गिर्द सिमटकर रह गया। जिसने कांग्रेस के तंत्र के आगे घुटने नहीं टेके, उसे किताबों तक में जगह नहीं मिली।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आजादी के बाद से से लेकर आज तक, कांग्रेस की सोच नहीं बदली है। 70 साल पहले पिछड़ी जातियों के खिलाफ आयोग को लेकर कांग्रेस ने बात आगे नहीं बढ़ने दी। आज 70 साल बाद भी कांग्रेस संसद में ओबीसी कमीशन को संवैधानिक दर्जा देने के काम को रोकने का काम कर रही है।
मोदी ने कहा कि आज की पीढ़ी के लिए ये जानना भी आवश्यक है कि कैसे बाबा साहेब ने कांग्रेस का असली चरित्र देश के सामने रखा था। यह जानना भी जरूरी है कि जब कांग्रेस आरोपों से घिरती है, तो सामने वाले व्यक्ति को जड़ से उखाड़ फेंकने के लिए साम-दाम-दंड-भेद, हर तरह से साजिश रचने लगती है।
कांग्रेस पर केवल वोट बैंक के लिए बाबा साहेब के नाम का सहारा लेने का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि यह बाबा साहेब के महान कर्मों का और देश के लिए उनकी सेवा का फल है कि एक परिवार की पूजा करने और उसे देश का भाग्यविधाता समझने वाले, अब दिल पर पत्थर रखकर बाबा साहेब का नाम ले रहे हैं। उन्होंने कहा बाबा साहेब का चित्र संसद के केन्द्रीय कक्ष में लगाने में भी आनाकानी की गई थी और यह तर्क दिया गया था कि कक्ष में जगह नहीं है।
उन्होंने कहा कि सच्चाई ये है कि बाबा साहेब के निधन के बाद कांग्रेस ने राष्ट्र निर्माण में उनके योगदान को भी मिटाने की कोशिश की। पंडित नेहरू से लेकर राजीव गांधी तक, कांग्रेस ने तमाम लोगों को भारत रत्न से सम्मानित किया, लेकिन उसने कभी बाबा साहेब को ‘भारत के रत्न’ के योग्य नहीं समझा। उन्हें भारतीय जनता पार्टी के समर्थन से सत्ता में आई सरकार ने इस सम्मान से विभूषित किया।