नई दिल्ली। कांग्रेस ने भारतीय जनता पार्टी पर कर्नाटक विधानसभा चुनाव में साढे छह हजार करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च करने का आरोप लगाते हुए आज इसकी स्वतंत्र एजेंसी से जांच कराने की मांग की और कहा कि लोकसभा चुनाव में किए वादे पूरे नहीं हुए हैं इसलिए मोदी सरकार को 26 मई को उसके गठन के चार साल पूरा होने पर उत्सव मनाने की बजाय प्रायश्चित करना चाहिए।
कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता आनंद शर्मा ने यहां पार्टी की नियमित प्रेस ब्रीफिंग में कहा कि भाजपा ने पिछले आम चुनाव में वोट पाने के लिए देश की जनता से कई लुभावने वादे किए थे लेकिन अब चार साल पूरा कर रही मोदी सरकार सभी वादे भूल चुकी है। इन चार सालों में भाजपा का चाल, चरित्र और चेहरा सामने आ गया है इसलिए 26 मई को उत्सव नहीं मनाकर प्रायश्चित दिवस के रूप में मनाना चाहिए।
उन्होंने दावा किया कि कर्नाटक चुनाव में भाजपा ने साढे छह हजार करोड़ रुपए से अधिक खर्च किए हैं। सत्ता के अहंकार में चूर इस पार्टी ने राज्य विधानसभा के चुनाव जीतने और वहां सरकार बनाने में भारी पैसा खर्च कर दिया था। पार्टी ने अपने प्रत्येक उम्मीदवार को 20 करोड़ रुपए चुनाव खर्च के लिए दिए थे। इसके अलावा करीब चार हजार करोड़ रुपए विधायकों की खरीद फरोख्त के लिए रखे गए थे।
शर्मा ने कहा कि भाजपा ने कर्नाटक चुनाव में सत्ता का दुरुपयोग किया और भारी पैसा बहाया है। भाजपा को यह बताना चाहिए कि उसके पास यह पैसा कहां से आया था। उन्होंने इस चुनाव में पार्टी पर बेहिसाब धन का इस्तेमा करने का आरोप लगाया और कहा कि स्वतंत्र एजेंसी से इसकी जांच करायी जानी चाहिए। भाजपा के चुनाव खर्च के ब्योरे का आधार पूछने पर उन्होंने कहा कि उनका अनुमान है कि भाजपा ने इस विधानसभा चुनाव में साढे छह हजार करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च किया है।
कर्नाटक चुनाव प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर पद की गरिमा के अनुकूल काम नहीं करने का अारोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि देश में अब तक किसी भी प्रधानमंत्री ने इस स्तर पर उतरकर बर्ताव नहीं किया है। मोदी ने पद की गरिमा को बहुत गिरा दिया है। भाजपा ने नैतिकता की सभी सीमाएं तोड़ी है और कर्नाटक में सरकार बनाने के लिए विधायकों को खरीदने का प्रयास किया।
उन्होंने कहा कि चुनाव प्रचार के दौरान भाजपा ने सत्ता का जमकर दुरुपयोग किया है और केंद्रीय एजेंसियों का जमकर इस्तेमाल किया है। उन्होंने कहा कि कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के कम से कम 20 उम्मीदवारों के चुनाव प्रचार में सरकारी मशीनरी का इस्तेमाल कर बाधा पहुंचाने का प्रयास किया गया ताकि वे नैतिक रूप से परेशान रहें और ठीक से चुनाव प्रचार नहीं कर सकें।