अजमेर। राजस्थान विधानसभा चुनाव के लिए बीती मध्य रात्रि घोषित कांग्रेस की 152 उम्मीदवारों की सूची के बाद से जिस तरह पूरे राज्य में पार्टी में विरोध के स्वर उभरे है उसी तरह अजमेर जिले की विधानसभाएं भी इससे अछूती नहीं है।
जिले की आठ विधानसभाओं में से सबसे ज्यादा विरोध मसूदा सीट पर हो रहा है जहां कांग्रेस ने प्रदेश सेवादल के मुख्य संगठक राकेश पारीख को मैदान में उतारा है। पारीख मसूदा के लिए एक तरह से पैराशूट उम्मीदवार है। जबकि राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी स्वयं अनेकों बार इस बात को दोहरा चुके हैं कि वह पैराशूट उम्मीदवारों की स्वयं डोरी काट देंगे।
हालांकि पारीख जिले की केकड़ी विधानसभा क्षेत्र के रहवासी है और यहीं से उनकी टिकट की दावेदारी थी। बावजूद इसके पार्टी ने उनको मसूदा से टिकट देकर कांग्रेसियों में उबाल ला दिया है। यहां से ब्रह्म देव कुमावत एवं हाजी कय्यूम खान दोनों की मजबूत दावेदारी थी लेकिन पारीख को टिकट दिए जाने से कार्यकर्ताओं में रोष है। माना जा रहा है कि दोनों में से एक निर्दलीय के तौर पर बागी खड़ा हो सकता है।
अजमेर उत्तर विधानसभा क्षेत्र भी इससे अछूता नहीं है। सिंधी बाहुल्य इस क्षेत्र में भाजपा के वासुदेव देवनानी के खिलाफ कांग्रेस ने गैर सिंधी के रूप में प्रदेश कांग्रेस के सचिव महेंद्र सिंह रलावता को उतारकर गैर सिंधियों के वोटों पर पकड़ बनाने की कोशिश की है लेकिन रलावता को टिकट मिलने से यहां भी कांग्रेसी कार्यकर्ता रुष्ट नजर आ रहे है।
पूर्व विधायक डॉ. श्रीगोपाल बाहेती एवं प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सदस्य दीपक हासानी की दावेदारी बहुत पहले से सामने थी। अब देखना होगा कि यहां रलावता चुनाव में देवनानी को शिकस्त दे पाते है अथवा नहीं।
अजमेर दक्षिण से कांग्रेस ने भाजपा की अनिता भदेल के सामने उनसे ही पिछले चुनाव में हारे सचिन पायलट के पसंदीदा हेमंत भाटी को मैदान में उतारा है। भाटी युवा है लेकिन उन्हें घर में ही मात मिलने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता क्योंकि उनके बड़े भाई प्रदेश के पूर्व उपमंत्री ललित भाटी के साथ उनके विवाद अंदर ही अंदर जहर घोलने का काम करेंगे। भाटी ने निर्दलीय चुनाव लडने का ऐलान किया है।
नसीराबाद विधानसभा क्षेत्र गुर्जर बाहुल्य है। यहां भाजपा के रामस्वरूप लांबा के खिलाफ एक बार फिर वर्तमान विधायक रामनारायण गुर्जर को मैदान में उतारा है। पहले सचिन पायलट की यहां से लड़ने की संभावनाएं थी लेकिन अब यह बात क्षीण हो चुकी है।
केकड़ी विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस ने सांसद डॉ. रघु शर्मा को मैदान में उतारा है। शर्मा अपने उपचुनाव में यहां से 34 हजार वोटों से बढ़त लेकर विजयी हुए थे। वह आज भी यहां मजबूत स्थिति में है। हालांकि क्षेत्र के ब्राह्मण वोट एक मुश्त इन्हें ही मिलेंगे लेकिन भाजपा द्वारा अभी तक अपने उम्मीदवार के पत्ते नहीं खोलने से स्थिति साफ नहीं है।
ब्यावर विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस ने वणिक वर्ग पर दांव खेला है। यहां नए चेहरे के तौर पर पारस पंच जैन को भाजपा के वर्तमान विधायक शंकर सिंह रावत के सामने उतारा है। ब्यावर रावत बाहुल्य क्षेत्र होने के बावजूद कांग्रेस ने अन्य सभी जातियों के वोट खेंचने की मंशा यहाँ दिखाई है।
मार्बल नगरी किशनगढ़ विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस ने पहली सूची में अपना प्रत्याशी घोषित नहीं किया है। यहां पायलट अपने पसंदीदा राजू गुप्ता को मैदान में उतारना चाहते है तो गहलोत पूर्व विधायक नाथूराम सिनोदिया के पक्ष में है। इधर भाजपा ने भी यहां युवा एवं नए चेहरे विकास चौधरी को टिकट देकर नई चाल चली है। हालांकि विकास चौधरी का वर्तमान विधायक भागीरथ चौधरी समर्थकों द्वारा भारी विरोध किया गया लेकिन नामांकन के समय विरोधी भी एक जाजम पर खड़े नजर आए।
बहरहाल, अजमेर संसदीय क्षेत्र की आठों विधानसभा क्षेत्र में टिकट के बंटवारे को लेकर दोनों ही तरफ असंतोष उभरा है और आगे मतदान के दिनों में भीतरीघात से इंकार नहीं किया जा सकता। देखने वाली बात होगी कि ‘वोट’ का ऊंट किस करवट बैठता है।