सिरोही। माउंट आबू उपखण्ड अधिकारी की कार्यप्रणाली से माउंट आबू में कांग्रेस को हो रहे नुकसान का फायदा उठाने के लिए अब भाजपा नेताओं के बहुमत वाली स्वयंभू संघर्ष समिति में शामिल भाजपाई नेता उपखंड अधिकारी के समर्थन में उतरे हैं।
भाजपा का इनके समर्थन में उतरना बता रहा है कि किस तरह माउंट आबू उपखंड अधिकारी की किस तरह कार्यप्रणाली पिंडवाड़ा आबू विधानसभा के सबसे बड़े मतदाता वर्ग में कांग्रेस की जड़ें खोदने का काम कर रही है। ये पहला मामला नहीं है जब माउंट आबू उपखंड अधिकारी की कार्यप्रणाली का समर्थन करने भाजपा ने कांग्रेस का जनाधार खिसकाने वाली गतिविधि का समर्थन किया है।
इससे पहले भी प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से कांग्रेस को नुकसान पहुंचाने की उपखंड अधिकारियों की गतिविधि का विरोध करने पर भाजपा ने फ्रंट और बैकडोर से उपखंड अधिकारी का समर्थन करके निर्माण सामग्रियां जारी करवाई है। जिस विश्वास के साथ माउंट आबू के लोगों ने कांग्रेस पर विश्वास करके नगर पालिका में भाजपा को इंडिका कार में बैठा दिया था उस खोई जमीन को तलाशने के लिए भाजपा ये कोशिश तीसरी बार कर रही है।
कांग्रेस बोर्ड से उपखंड अधिकरियों का क्लैश
सबसे पहले ये विवाद हुआ गौरव सैनी से शुरू हुआ। इस समय मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने माउंट आबू में लोगों को 40 साल पुरानी समस्या से मुक्त करने के लिए बिल्डिंग बायलॉज बनाकर भेज दिए थे। लेकिन, माउंट आबू के तत्कालीन उपखंड अधिकारी गौरव सैनी, जो कार्यवाहक आयुक्त का भी थे, ने एक पत्र राज्य सरकार को भेजकर अड़ंगा लगा दिया।
संयम लोढ़ा के विधानसभा में सवाल उठाने के बाद जब वहां बिल्डिंग मटेरियल जारी करने के लिए एसडीएम, आयुक्त और पालिकाध्यक्ष की सदस्यता में समिति बनाई तो कथित रूप से इस पर स्टे लगा दिया। आरोप ये लगा कि इस को लगवाने में भूमिका अदा करने वाले भाजपा नेता को अनियमित तरीके से काफी निर्माण सामग्री जारी की गई।
फिर मॉनीटरिंग कमिटी बनी और उपखंड अधिकारी द्वारा समिति के निर्णय के मुताबिक उप समिति में निर्णय लिया गया तो मोनिटरिंग समिति को भंग करने को लेकर धरना दिया गया। आरोप ये लगा कि इसकी एवज में उपखण्ड अधिकारी ने भाजपा के एक नेता के करीबी होटल मालिक को 10 हजार स्क्वायर फिट बिल्डिंग मटेरियल जारी किया। जबकि लोग अपने टूटे टॉयलेट की शीट बदलवाने के लिए एक बोरी मटेरियल नहीं ले पा रहे थे।
तीसरा मौका अब आया है। अब फिर से उपखंड अधिकारी के मोनिटरिंग कमिटी में लिए गए निर्णय के अनुसार उप समिति में कई बैठक करके 27 जुलाई की प्रोसिडिंग की कथित पालना नहीं करने पर मोनिटरिंग कमिटी के अशोक गहलोत सरकार द्वारा मनोनीत सदस्यों से विवाद हुआ तो संघर्ष समिति में शामिल भाजपा नेताओं उपखंड अधिकारी के समर्थन में खड़े हो गए।
तीनों बार ही उपखंड अधिकारियो की कार्यप्रणाली से माउंट आबू के आम नागरिकों को राहत देने में पारदर्शिता नहीं बरतने को लेकर विवाद हुआ तो भाजपा उनके समर्थन में खड़ी हो गई। माउंट आबू एसडीएम के साथ भाजपा की ये जुगलबंदी इत्तेफाक है या विधानसभा और नगर पालिका में कांग्रेस के पांव उखाड़ने के लिए मिलीभगत से किया जा रहा राजनीतिक प्रयास ये जांच का विषय है।
इत्तेफाक से तीनों ही बार माउंट के भाजपा नेताओं ने उपखंड अधिकारी का समर्थन तब किया जब मुख्यमंत्री के सलाहकार संयम लोढ़ा ने माउंट आबू के लोगों को राहत दिलवाने का प्रयास किया। अभी भी मुख्यमंत्री के आबूरोड आगमन पर उन्होंने माउंट आबू उपखंड अधिकारियो द्वारा वहां अपना एकाधिकार समाप्त नहीं करने की शिकायत की थी। इसके बाद माउंट आबू एसडीएम पर उनकी शिकायत के विपरीत काम करने के आरोप में घिर गए और तीसरी बार भी माउंट आबू भाजपा एसडीएम के समर्थन में खड़ी हो गई।
सांसद देवजी पटेल भी लगा चुके हैं मोहर
सांसद देवजी पटेल भी एक वायरल वीडियो में ये बोल चुके हैं कि उनके कार्यकर्ता भी माउंट आबू में काम करते हैं इसलिए वो माउंट आबू में बड़े होटलों को राहत और आम जनता को आहत करने की स्थानीय उपखंड अधिकारियो के प्रयासों का विरोध नहीं करते। समाराम गरासिया तो खुद स्थानीय उपखंड अधिकारी की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान पैदा करने वाले अपने ट्वीट को हटा चुके हैं।