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सबगुरु न्यूज-सिरोही। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के शासन में अधिकरियो की मनमानी का आलम ये है कि वो कांग्रेस बोर्डों के जनहितकारी कामों को अटकाकर कांग्रेस को जमीदोज करने में लगे हैं।
सरकार इसे लेकर मौन है। इस कारण माउंट आबू में अधिकारियों की मनमानी के खिलाफ कांग्रेस और भाजपा के पार्षदों को लोगों के जायज काम करवाने के लिए धरने पर बैठना पड़ा।
माउंट आबू नगर पालिका के आयुक्त और उपखण्ड अधिकारी लंबे अरसे से माउंट आबू के लोगों के जायज काम भी अटकाए हुए है। इस लेकर लोगों में जबरदस्त रोष है। इसका खामियाजा माउंट आबू में नगर पालिका बोर्ड के कांग्रेस और भाजपा में पार्षदों को भुगतना पड़ रहा है।
इसी मनमानी के खिलाफ माउंट आबू के कांग्रेस और भाजपा के पार्षद पहली बार जनता के हितों को लेकर नगर पालिका के सामने धरने पर बैठे। इस दौरान उन्होंने नगर पालिका अध्यक्ष को ज्ञापन भी दिया।
ज्ञापन में बताया गया कि भवन अनुज्ञा एवं संकर्म समिति की बैठक दिनांक 29 जुलाई 2022 को हुई। जिसमें भवन मानचित्र की संबंधित पत्रावलियों का अनुमोदन किया गया था। लगभग ढ़ाई माह का समय बितने के बाद भी आज तक भवन निर्माण की अनुमति नहीं दी गई।
इसमें बताया कि मकान एवं होटल रिपेयर की सैकड़ों फाइलें लगभग 09 माह से पेंडिग पड़ी है। जिसका निस्तारण नहीँ हो रहा है। इस वजह से जनता को परेशानी हो रही है। आगे दिपावली की सीजन आ रही है।
ज्ञापन में आगे बताया कि राजस्थान सरकार की ओर से “प्रशासन शहरों के संग अभियान” के अन्तर्गत 69 ए एवं स्टेट ग्रान्ट एक्ट के तहत पट्टों का विवरण केम्प लगाकर एवं संबंधित वार्ड पार्षद को बुलाकर दिया जावें। सम्पति हस्तानान्तरण की फाईले भी लंबे अर्से से अटकी हुई हैं। इन सब कामों को शीघ्र किया जाये।
ज्ञापन में मांग की गई कि पट्टे जो मास्टर प्लान के अनुसार दिये जा रहें है मास्टर प्लान जून 2015 को लागू किया गया था उससें पूर्व जो भी मकान जहाँ भी बनें हुए है उन्हें पट्टे दिये जावें क्योंकी मकान पहले बने हुए है और जेडएपी बाद में लागू हुआ है।इसमें मांग की गई कि “प्रशासन शहरों के संग अभियान” की समीक्षा एवं कियान्वीति के लिए मण्डल की बैठक शीघ्र अतिशीघ्र बुलाई जावें, सभी वाडों में जो भी कार्य पेंडिग है उसको तुरन्त प्रमाव से करवाया जावें। दीपावली के सीजन को देखते हुए शहर की मुख्य सडकें जो क्षतिग्रस्त हो रही है उसकों तुरन्त रिपेंरिग करने की मांग भी इसमें की गई।
इन मांगों को लेकर नारायणसिंह भाटी, तस्लीमा बानो, संतोष कंवर, संगीता कंवर भाटी, मांगीलाल काबरा, सुमन कंवर, पंकज राणा, अलका कालमा, विमला आदिवाल, नवनीत बंसल, देवीलाल बामनिया, लीला देवी, धीरज सोलंकी, टीना सोलंकी, सुनील आचार्य, भरत बंसल, जशोदा, अनिल जैन, सलिल कालमा, सुनील मेहरा, बद्रीलाल काबरा आदि शामिल थे।
-अधिकारियो के कथित पक्षधर पालिकाध्यक्ष के खिलाफ भी रोष
धरने के दौरान का एक वीडियो भी वायरल है। इसमें महिला पार्षद गुस्से में है। इसके पीछे ये लगाया जा रहा है कि नगर पालिका के अधिकारी कांग्रेस पार्षदों को ही उनके वार्ड के प्रशासन शहरों के संग अभियान के दौरान के काम लेकर जाने पर अपने चेम्बर में नहीं घुसने देते हैं। जिस वार्ड का केम्प होता है उसका काम नहीं करके दूसरे वॉर्डों का काम करते हैं।
महिला पार्षद का आरोप है कि ऐसा ही वाकया होने पर जब वो पालिकाध्यक्ष के पास शिकायत लेकर गई तो पालिकाध्यक्ष पार्षदों की बजाय अधिकारियो का पक्ष लेते दिखे। पार्षदों का अपने ही पालिकाध्यक्ष के खिलाफ गुस्सा देखकर अब माउंट आबू में पालिकाध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की चर्चा भी गर्म है।
-सारे अधिकारी कार्मिक बोर्ड के अधीन
माउंट आबू नगर पालिका के सदस्यों के अधिकारियों और कार्मिकों के द्वारा अपमानित होने के पीछे की वजह खुद अपने अधिकारों के प्रति गैर जागरूक होना भी है। नगर पालिका में समस्त कार्मिक बोर्ड के अधीन होते हैं। उनका उस पालिका में रहना और नहीं रहना बोर्ड पर निर्भर करता है। यदि बोर्ड चाहे तो बैठक आयोजित करके प्रस्ताव लेकर उन्हें अपमानित करने और जनता के काम अटकाने वाले कार्मिकों को रिलीव कर सकता है। सिरोही और खुद माउंट आबू बोर्ड में ऐसा हो रखा है। लेकिन, उसके लिए पार्षदों को अपने इन अधिकारों को जानना जरूरी है।