जोधपुर। राजस्थान के भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष डा सतीश पूनियां ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर चौबीस घंटे सिर्फ सियासत करने का आरोप लगाते हुए कहा है कि दुर्भाग्यपूर्ण है कि जोधपुर में इस तरीके की घटना हुई, लेकिन इसके कारक स्वयं कांग्रेस पार्टी और मुख्यमंत्री इसके दोषी हैं।
डा पूनियां ने जोधपुर सर्किट हाउस में प्रेसवार्ता में बुधवार को यह बात कही। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के गृह क्षेत्र में गंभीर घटना हो जाए, जो दृश्य दिखा वह हृदयविदारक है, जो घटनाएं सुनीं, वो लगता नहीं है कि मुख्यमंत्री के क्षेत्र में इस तरीके से जनसुरक्षा को सीध-सीधे चुनौती मिलती है।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री चौबीस घंटे सिर्फ सियासत करते हैं और इस लिहाज से करौली से लेकर जोधपुर तक की घटनाओं का यदि ठीक तरीके से माइक्रोएनालिसिस करेंगे तो समझ में आता है कि कोटा में पीएफआई की रैली को कोरोना प्रोटोकॉल की धज्जियां उड़ाते हुए अनुमति दी जाती है, हिंदू नववर्ष एवं रामनवमी के जुलूसों पर प्रतिबंध लगाया जाता है। सत्रह जिलों में धारा 144 लगाई जाती है, 107 और 116 के नोटिस लाखों लोगों को दिए जाते हैं।
उन्होंने कहा कि राजस्थान में यह जो घटनाएं हुई हैं वह इसलिए होती हैं कि अराजक तत्वों को कांग्रेस पार्टी के राज में संरक्षण मिलता है, मेरा सवाल है कि जब जब कांग्रेस की सरकार आती है तो इतने बड़े पैमाने पर हिंसा की घटनाएं क्यों होती हैं। यह साफ है कि कांग्रेस इन मामलों को बहुसंख्यक और अल्पसंख्यक के नजरिए से देखती है, तुष्टिकरण की राजनीति करती है और इसी का नतीजा है की अराजक तत्वों के हौसले बुलंद होते हैं।
वरना शांतिप्रिय जोधपुर में इस तरीके की हिंसात्मक घटना होती है जहां से मुख्यमंत्री आते हैं और वह गृहमंत्री भी हैं, इस शहर से वह विधायक भी हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार के शासन में राजस्थान में घुसपैठ करने वालों को संरक्षण मिला है, इसी के कारण घुसपैठियों के हौसले बुलंद होते हैं।
डा पूनियां ने कहा कि मुख्यमंत्री की नैतिक जिम्मेदारी थी कि उनको यहां आना चाहिए था, लेकिन उनको कांग्रेस के चिंतन शिविर की चिंता ज्यादा है, जोधपुर शहर के लोगों की सुरक्षा की उनको कोई चिंता नहीं है।
उन्होंने कहा कि जोधपुर की इस घटना में निर्दोष लोगों को पकड़ लिया गया, जिनका कोई कन्सर्न नहीं था, यदि हनुमान चालीसा पढ़ना अपराध है तो मुझे लगता है कि यह हमारा दुर्भाग्यपूर्ण है। भगवा लहराना और भगवा फहराना अपराध है तो भी तकलीफ की बात है, अपने घर के बाहर यदि लोकतांत्रिक तरीके से प्रदर्शन अपराध है तो हम कौनसे लोकतंत्र की बात करते हैं।
उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि राजस्थान के इतिहास में वर्तमान में जो कानून व्यवस्था की बदतर स्थिति है वह कभी नहीं देखी, लगातार बढ़ते अपराध, सात लाख से अधिक दर्ज मुकदमे, दलितों और महिलाओं पर उत्पीड़न की घटनाएं बढ़ी हकहा ,
उन्होंने कहा कि गहलोत जी की वादाखिलाफी एवं झूठे वादों के कारण प्रदेश की जो समस्याएं हैं, किसान कर्जा माफी, कानून व्यवस्था, भ्रष्टाचार, बेरोजगारी आदि जनहित के बड़े मुद्दे हैं, इस समय पेयजल और बिजली की त्राहि-त्राहि है, स्वास्थ्य सेवाएं बदहाल हैं, कुल मिलाकर प्रदेश में अराजकता का माहौल है।
डॉ. पूनियां ने कहा कि राजस्थान की कांग्रेस सरकार को 40 माह हो गए जिसकी अगुवाई अशोक गहलोत कर रहे हैं, 40 माह में अपराधों की एक लंबी फेहरिस्त है, जिसके कारण राजस्थान की जनता में बडा जन-आक्रोश है। सत्ता के विरोध में एंटी इंकंबेन्सी, आक्रोश वो सामान्य तौर पर इलेक्शन ईयर में दिखता है कि इस सरकार ने ठीक काम नहीं किया तो इसलिए बदल दो, कांग्रेस सरकार की बनने के शुरूआत में अलवर के थानागाजी में गैंगरेप हुआ, और उसके बाद अलवर निर्भया तक कई बडी वारदातें हुई, जिनसे प्रदेश शर्मसार हुआ, इस सरकार के खिलाफ शुरूआती वर्ष से ही पूरी तरह एंटी इंकंबेन्सी का माहौल है।
उन्होंने कहा कि राजस्थान में जो दृश्य बना उसमें एक बात समझ में आती है कि मुख्यमंत्री 24 घंटे के सियासी व्यक्ति हैं, उन पर रिसर्च की जा सकती है कि 365 दिन 24 घंटे केवल सियासी रोटियां कैसे सेंकी जाती हैं, उनका सियासी चश्मा वैसी ही क्यों होता है, लेकिन एंटीइंकंबेन्सी को रोकने के लिए मुद्दों को डायवर्ट कैसे किया जाए, वो आरोप भाजपा पर लगाते हैं, जोधपुर के पूरे घटनाक्रम में कांग्रेस सरकार व मुख्यमंत्री स्वयं खुद दोषी हैं, जिन लोगों का वो संरक्षण करते हैं वोटबैंक की राजनीति के नाम पर तुष्टीकरण के नाम पर जिस तरीके से संरक्षण अराजक तत्वों को मिलता है, उसके कारण यह घटनाएं होती हैं।
उन्होंने कहा कि देश में तिरंगे का भी सम्मान है, भगवे का भी सम्मान है, यहां वंदे मातरम और भारत माता के नारे सहज रूप से लगाए जाते हैं, यहां अश्फाक, एपीजे अब्दुल कलाम को श्रद्धा से याद करते हैं, लेकिन जब पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगते हैं तो बहुसंख्यक लोगों की भावनाएं आहत होती हैं।
उन्होंने कहा कि इस देश की खाएं तो इस देश की क्यों नहीं गाएं, लेकिन प्रश्न यहीं खडा होता है जिस कांग्रेस पार्टी ने सत्ता की भूख में देश के विभाजन को स्वीकार किया। नेहरू को भारत की सत्ता की चिंता थी और जिन्ना को पाकिस्तान की और कांग्रेस पार्टी ने इस वोट बैंक की सांप्रदायिक एवं तुष्टीकरण का बीज वहीं से डाल दिया और कांग्रेस पार्टी का यह एक इंस्ट्रूमेन्ट बन गया, जबकि अल्पसंख्यक समुदाय का भला नहीं किया गया, उनका वोट बटोरते रहे, लेकिन इस तुष्टीकरण के कारण आज कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक, कच्छ से लेकर कामरूख तक 1885 की कांग्रेस पार्टी जो 52-55 वर्षो तक शासन में रही, आज रीजनल पार्टी से भी पिछड गई और इसलिए आज वह दो प्रदेश छत्तीसगढ़ और राजस्थान में बची है।
उन्होंने कहा कि एक बात ताज्जुब करने वाली थी कि मुख्यमंत्री का इस्तीफा सोनिया गांधी के पास पड़ा है, जो मैंने सोनिया गांधी से निवेदन किया कि जो निवेदन पडा है उसे स्वीकार कर लें ताकि राजस्थान की जनता को निजात तो मिले।
इससे पहले डॉ. पूनियां ने उपद्रव पीडितों से मुलाकात कर उनकी कुशलक्षेम पूछी और पार्टी पदाधिकारियों को पीड़ितों की मदद करने के लिए निर्देशित किया। उन्होंने पुलिस प्रशासन से लोगों की सुरक्षा सुनिश्चत करने के संबंध में भी बात की।