परीक्षित मिश्रा
सबगुरु न्यूज-सिरोही। कांग्रेस ने सिरोही विधानसभा में भाजपा के लिए सबसे बड़ी मुसीबत खड़ी कर दी है। जातिवाद के कांटे को जातिवाद ने निकालने के लिए सबसे बड़ा मास्टर स्ट्रोक खेलते हुए भाजपा के सबसे बड़े परम्परागत वोट बैंक कुमावत समाज के जीवाराम आर्य को टिकिट देकर एक तीर से दो शिकार किए हैं।
इस तरह से भाजपा उम्मीदवार ओटाराम देवासी की जीत में भागीदारी निभाने सिरोही विधानसभा क्षेत्र के सबसे बड़े वोट बैंक को कांग्रेस ने अपने पक्ष में करने की कोशिश के रूप में देखा जा सकता है। कुमावत (प्रजापत) समाज के अच्छे मतदाता होने से इस निर्णय से सिरोही के साथ-साथ आबू-पिण्डवाडा, सुमेरपुर सीटें साधने की रणनीति अपनाई है।
जीवाराम आर्य पूर्व में शिवगंज के ब्लाॅक अध्यक्ष रह चुके हैं और वर्तमान शिवगंज पंचायत समिति के प्रधान भी हैं। ऐसे में भाजपा द्वारा सिरोही और जालोर में सबसे बड़े वोट बैंक के बाद भी राजनीतिक रूप से तिरस्कृत छोड़ दिए गए कुमावत समाज को कांग्रेस द्वारा दिए गए मौके के रूप में देखा जा सकता है।
यदि संयम लोढ़ा के नाम बढ़ाने पर ये टिकट मिला है तो सिरोही विधानसभा में भाजपा की राह मुश्किल हो सकती है अन्यथा आसान।
-देवासी समाज के लगभग प्रजापत वोट
भाजपा ने दस साल पहले संयम लोढ़ा को हराने के लिए ओटाराम देवासी को टिकिट देकर एकसाथ कांग्रेस के देवासी समाज के अठारह हजार मतदाताओं में सीधे सेंधमारी की थी। लगातार दो बार सिरोही विधानसभा से जीत रहे भाजपा प्रत्याशी ओटाराम देवासी को उसी दांव से चित करने के लिए कांग्रेस ने भाजपा के सबसे बड़े वोट बैंक कुमावत समाज में सेंधमारी करने की रणनीति अपनाई।
संयम लोढ़ा के सबसे करीबी जीवाराम आर्य को टिकिट देकर भाजपा के परम्परागत वोट बैंक रहे कुमावत समाज को पहली बार राजनीतिक भागीदारी दी है। सिरोही विधानसभा में शिवगंज और सिरोही दोनों ही तहसीलों के शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में कुमावत समाज के वोटों की अच्छी खासी संख्या है। दावा यह भी है कि रेबारी, देवासी, समाज से ज्यादा यानि बीस हजार पार मतदाता सिरोही विधानसभा में कुमावत समाज के हैं।
-दूरगामी परिणाम
अधिसंख्य देवासी समाज अभी भी ओटाराम देवासी के कारण ही भाजपा से जुड़ाव रखा हुआ है। ऐसे में कांग्रेस के इस निर्णय से कुमावत समाज भी देवासी समाज की तरह पूरी तरह से स्विंग लेकर जीवाराम आर्य के समर्थन में उतरता है और देवासी को पटखनी देने में सफल होता है तो ओटाराम देवासी का इस सीट पर फिर से लौटना नामुमकिन होगा।
ऐसे में अगले चुनावों में देवासी समाज के अधिसंख्य वोट फिर से कांग्रेस के पाले में चले जाने की संभावना है वहीं जीवाराम आर्य के कारण सिरोही, जालोर और पाली जिले के भाजपा के परम्परागत वोट बैंक कुमावत समाज के कांग्रेस की ओर झुकाव की पूरी संभावनाएं हैं।
इतना ही नहीं इस टिकिट से भाजपा से नाराज घांची, सुथार, माली, राजपुरोहित समेत अन्य परम्परागत जातियों के वोट भी जीवाराम आर्य की झोली में जाने की संभावना भी कांग्रेस अपने इस निर्णय में देख रही है।
-जिसके विरोध से लोढ़ा पर निशाना उसे ही टिकिट
जीवाराम आर्य संयम लोढ़़ा के सबसे करीबी व्यक्ति हैं। जिले में संयम लोढ़ा विरोधी गुटों में शामिल चंदनसिंह देवड़ा, पुखराज पुरोहित, अनाराम बोराणा, जयश्री राठौड़ जैसे नेताओं ने एक माह पहले राजस्थान कांग्रेस के प्रदेश सहप्रभारी विवेक बंसल के सिरोही आगमन पर लोढ़ा के विरोध के लिए जीवाराम आर्य को ही हथियार बनाया था।
उन्होंने कांग्रेस से निष्कासित किए गए जीवाराम आर्य को जिलाध्यक्ष बनवाने का आरोप मढते हुए संयम लोढ़ा का विरोध किया था। इतना ही नहीं इन लोगों ने लिखित में यह भी दावा किया था कि लोढ़ा को छोडकर किसी को भी टिकिट देने पर वो लोग सहयोग करेंगे, लेकिन विरोधी धड़े को यह नहीं पता था कि लोढ़ा इस सीट पर लिटमस टेस्ट के लिए जीवाराम आर्य पर सबसे बड़ा दांव खेल जाएंगे।
अब पार्टी ने जीवाराम आर्य को ही टिकिट देकर विरोधियों पर दोहरा वार किया है। एक तो जीवाराम आर्य के निष्कासन की दलीलों को खारिज कर दिया, दूसरा लोढ़ा के अलावा दूसरे व्यक्ति को टिकिट देकर लोढ़ा विरोधियों की पार्टी के प्रति निष्ठा परखने की भी कोशिश की है।