जयपुर | देश में लोकसभा चुनाव कीे शुरुआत हो चुकी है। राजस्थान में भी कांग्रेस ने मिशन 25 के तहत प्रत्याशियों के चयन की शुरुआत कर दी है। कांग्रेस के लिए मिशन 25 को हासिल करने में जिताऊ प्रत्याशियों के चयन के साथ साथ पार्टी की माली हालत को भी दुरुस्त करना है। विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के समक्ष साधनों की कमी और बदहाल आर्थिक व्यवस्था एक बड़ी चुनौती बनी हुई थी और राजस्थान में सत्ता में आने के बाद भी इस स्थिति में कोई अधिक सुधार नहीं हुआ है। आलम यह है कि कांग्रेस पार्टी ने लोगों से चुनाव लड़ने के लिए जो ऑनलाइन फंड रेज अभियान शुरू किया था उसमे 5 महीने में केवल 475 लोगों ने ही चंदा दिया है।
कांग्रेस महज 100 सीटों पर सिमट गई
राजस्थान में बड़े बहुमत के साथ सरकार बनाने का दावा करने वाली पार्टी कांग्रेस महज 100 सीटों पर सिमट गई थी। कांग्रेस के परिणाम की बड़ी वजह शीर्ष नेताओं में आपसी तालमेल का अभाव और गलत टिकट वितरण के साथ-साथ संसाधनों की कमी को भी माना गया था, लेकिन सत्ता में आने के बाद भी कांग्रेस के लिए लोकसभा चुनाव से पहले यह परेशानी बदस्तूर बनी हुई है। विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने चुनाव लड़ने वाले अधिकांश प्रत्याशियों को आर्थिक सहयोग देने से मना कर दिया था। चुनाव प्रचार और अन्य खर्चों के लिए पार्टी ने जनता से आर्थिक मदद की अपील की थी। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट ने बकायदा ऑनलाइन फंडरेज अभियान शुरू किया था लेकिन स्थिति यह है कि सरकार बनने के बाद भी पार्टी को चंदा देने वालों की संख्या बेहद सीमित है।
475 लोगों ने ही पार्टी को चंदा दिया है
5 महीने पहले शुरू हुए इस अभियान में अब तक केवल 475 लोगों ने ही पार्टी को चंदा दिया है, जिससे पार्टी को 9 लाख दस हजार 281 रुपए की राशि ही मिल पाई है। इनमें भी केवल 5 लोग ही ऐसे हैं जिन्होंने पार्टी को 25000 से ऊपर का चंदा दिया है। हालांकि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट पूरी ताकत से लोकसभा चुनाव में बिना किसी गठबंधन के चुनाव लड़ने की बात कह रहे हैं और 25 सीट जीतने का दावा भी कर रहे हैं। लेकिन फंड कहां से जुटाएंगे इसका कोई जवाब नहीं है।
25 सीटें कांग्रेस के लिए एक बड़ी चुनौती
कहने को राजस्थान में कांग्रेस पार्टी के लाखों कार्यकर्ता हैं लेकिन केवल 7.30 लाख कार्यकर्ता ही सीधे तौर पर पार्टी से जुड़े हुए हैं। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट कांग्रेस और अन्य नेताओं की अपील के बावजूद कार्यकर्ताओं ने पार्टी को आर्थिक तौर पर मदद करने में कोई रुचि नहीं दिखाई है। यह हालात तब है जब सामने मुकाबले में भाजपा पूरी तरह से संसाधनों से लैस और हाईटेक तरीके से चुनाव लड़ने की पूरी तैयारी कर चुकी है। राष्ट्रीय तौर पर कांग्रेस की वापसी के लिए उत्तर भारत की सीटें बेहद महत्वपूर्ण है। उनमें राजस्थान की 25 सीटें कांग्रेस के लिए एक बड़ी चुनौती है।
पिछली कांग्रेस सरकार के दौरान जीती गई 20 सीटों के आंकड़े
हालांकि एक बड़ा सच यह भी है कि 1984 के बाद कांग्रेस ने कभी भी राजस्थान में एक साथ 25 सीटें नहीं जीती लेकिन वर्तमान में कांग्रेस की तैयारी को देखते हुए नहीं लगता कि पिछली कांग्रेस सरकार के दौरान जीती गई 20 सीटों के आंकड़े तक भी पहुंच पाएगी। हालांकि पार्टी के संगठन महासचिव महेश शर्मा कहते हैं पार्टी पूरी तरीके से तैयार हैं और उनके अभियान को पूरी तरीके से सहयोग मिल रहा है लेकिन पार्टी की वेबसाइट पर जो आंकड़ा दर्शा रहा है वह कुछ अलग ही कहानी बयां कर रहा है।
सत्ता और संगठन में तालमेल का अभाव
हैरानी केवल यह नहीं है कि कांग्रेस को कार्यकर्ताओं से आर्थिक सहयोग नहीं मिल रहा बल्कि एक बड़ी सच्चाई यह भी है कि पार्टी के अधिकांश मंत्री विधायक पूर्व सांसद पूर्व विधायक ने अपना प्राथमिक सदस्यता शुल्क नहीं चुकाया है। कांग्रेस लोकसभा चुनाव से पहले सभी पार्टी सदस्यों को पदाधिकारियों को शुल्क चुकाने के लिए नोटिस भिजवाए गए हैं। लेकिन सवाल ये जो पार्टी पहले से संसाधनों की कमी झेल रही हो और सत्ता और संगठन में तालमेल का अभाव हो उस पार्टी के प्रत्याशियों को आर्थिक मदद और चुनाव प्रचार पर होने वाले खर्च के लिए पार्टी से अधिक उम्मीद करनी ही नहीं चाहिए। पार्टी का राष्ट्रीय नेतृत्व और प्रदेश नेतृत्व इस दिशा में गंभीरता पूर्वक विचार कर रहा होगा।