नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी ने हाल में आयीं अंतरराष्ट्रीय रिपोर्टों में भारत में गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले लोगों की संख्या में आई कमी संबंधी रिपोर्टों का हवाला देते हुए कांग्रेस पर निशाना साधा और कहा कि कांग्रेस ने गरीबों को हटाया जबकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी गरीबी को मिटा रहे हैं।
भाजपा के वरिष्ठ नेता और केन्द्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने पार्टी मुख्यालय में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि वर्ल्ड डाटा लैब, ग्लोबल मल्टीडायमेंशनल पॉवर्टी सर्वे और ब्रुकिंग्स इंस्टीट्यूट की रिपोर्टों में कहा गया है कि भारत गरीबी से मुक्त होने की दिशा में तेजी से अग्रसर है। देश में हर मिनट 44 लोग गरीबी रेखा के दायरे से बाहर आ रहे हैं और 2030 तक देश में सभी गरीब इस दायरे से बाहर हो जाएंगे।
जावड़ेकर ने कहा कि कांग्रेस जो काम नहीं कर पायी वह मोदी ने करके दिखा दिया है। कांग्रेस ने गरीबी हटाओ का नारा दिया लेकिन गरीबों को हटाया जबकि मोदी ने सही कदम उठा कर गरीबाे का सशक्तीकरण किया और गरीबी काे मिटाने में सफलता पाई है।
केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि देश के ग्रामीण भाग मेंं 2012 में अत्यधिक गरीबों की आबादी कुल जनसंख्या की 14 प्रतिशत थी जबकि अब अत्यधिक गरीबों की संख्या मात्र चार प्रतिशत रह गई है। इसी तरह से शहरी इलाकों में अत्यधिक गरीबों का अनुपात 9.5 प्रतिशत थे जो अब 3.5 प्रतिशत है।
उन्होंने कहा कि जीएमपीएस के अनुसार देश में 135 रुपए से कम आय अर्जित करने वालों की संख्या 2011 में करीब 26 करोड़ थी जो आज केवल पांच करोड़ रह गई है। रिपोर्ट के अनुसार गरीबों की आय में वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा कि अगर 2022 तक इसी गति से काम हुआ तो गरीबों की आबादी देश की कुल आबादी की तीन प्रतिशत रह जाएगी और 2030 तक कोई भी इस दायरे में नहीं होगा।
उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र संगठन की अध्यक्ष सहित विभिन्न अंतरराष्ट्रीय हस्तियों ने भारत को गरीबी उन्मूलन में तेजी से अग्रसर देश बताया है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2014 में जब सत्ता संभाली थी तब कहा था कि उनकी सरकार गरीबों को समर्पित सरकार होगी। इन साढ़े चार साल के कार्यकाल में सरकार के गरीबों के पक्ष में उठाए गए कदमों के ये सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं।
उन्होंने कहा कि इन कदमों में किसानों को उनकी फसल का लागत का डेढ़ गुना मूल्य दिलाना, गरीबों को दस प्रतिशत आरक्षण दिलाना, 32 करोड़ जनधन खातों से वित्तीय समावेशन, गरीबों एवं किसानों के लिए ऋण में पांच गुना बढ़ोतरी, सात करोड़ लोगों को पहली बार कारोबार शुरू करने के लिए मुद्रा ऋण देना, कौशल विकास, उज्ज्वला, सौभाग्य, बीमा सुरक्षा, अनुसूचित जाति/जनजाति कल्याण के लिए आवंटन में वृद्धि आदि शामिल हैं।