नई दिल्ली। कांग्रेस ने भारतीय जनता पार्टी पर धन बल से चुनाव जीतने का आरोप लगाते हुए कहा शुक्रवार को कहा कि हाल में जारी एक आंकड़े के अनुसार भाजपा ने चुनाव में 27 हजार करोड़ रुपए खर्च किए हैं और उसे बताना चाहिए कि यह पैसा उसके पास कहां से आया।
कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने यहां पार्टी मुख्यालय में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में कहा कि स्वतंत्र रूप से काम करने वाली संस्था सेंटर फॉर मीडिया स्टडीज के अनुसार लोकसभा चुनाव में करीब 60 हजार करोड़ रुपए खर्च हुए हैं जिनमें से भाजपा का खर्च 45 प्रतिशत रहा है और बाकी 55 प्रतिशत अन्य सभी दलों ने खर्च किया है।
प्रवक्ता ने आरोप लगाया कि भाजपा ने चुनावी बॉण्ड योजना अपने फायदे के लिए शुरू की। उन्होंने कहा कि चुनाव में अनाप शनाप खर्च से बचने के लिए राष्ट्रीय चुनाव निधि का गठन किया जाना चाहिए और इसमें जमा निधि को वितरण चुनाव के समय मान्यता प्राप्त दलों को किया जाना चाहिए। यह योजना चुनाव में अनावश्यक पैसा खर्च करने से बचने के लिए सबसे पारदर्शी कदम साबित हो सकता है।
उन्होंने कहा कि भाजपा ने चुनाव जीतने के लिए 27 हजार करोड़ रुपए लुटाए हैं और उसने 437 सीटों पर अपने उम्मीद्वार खड़े किए थे। इस आंकड़े अनुसार हिसाब लगाने से साफ होता है कि भाजपा ने एक लोकसभा सीट पर करीब 62 करोड़ रुपए ख़र्च किए।
प्रवक्ता ने कहा कि भाजपा ने कहा कि यह खर्च मोदी सरकार द्वारा नमामि गंगे परियोजना पर पांच साल में खर्च हुए 24 हजार करोड रुपए से ज्यादा है। पार्टी ने जितना पैसा इस चुनाव में खर्च किया वह देश के शिक्षा बजट के 30 प्रतिशत, रक्षा बजट 10 प्रतिशत, स्वास्थ्य बजट के 43 प्रतिशत और महात्मागांधी राष्ट्रीय रोजगयार गारंटी योजना-मनरेगा के बजट के 45 फीसदी के बराबर है। इस तरह से 1998 के बाद से अब तक हुए लोकसभा चुनावों में इस बार चुनाव खर्च छह गुना ज्यादा हुआ है।
सिंघवी ने कहा कि रिपोर्ट के विश्लेषण के अनुसार इस चुनाव में भाजपा ने धनबल का जमकर इस्तेमाल किया है और उसने प्रत्येक वोटर पर लगभग सात सौ रुपए खर्च किए हैं। पार्टी ने प्रत्येक संसदीय क्षेत्र पर सौ करोड़ रुपए खर्च किए हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि पार्टी ने चुनाव के दौरान 12 हजार रुपए से 15 हजार करोड़ रुपए सीधे तौर पर खर्च किए हैं जबकि प्रचार प्रसार पर उसने 20 से 25 करोड़ रुपए खर्च किए हैं।
प्रवक्ता के अनुसार इस रिपोर्ट में कहा गया है कि 10 से 12 प्रतिशत मतदाताओं ने सीधे तौर पर नकदी लेने की बात को गलत नहीं बताया है जबकि दो तिहाई ने स्वीकार किया है कि उन्होंने वोट के बदले पैसे लिए हैं। उन्होंने कहा कि रिपोर्ट में कहा गया है कि चुनाव आयोग चुनाव प्रचार में काले धन के इस्तेमाल पर रोक लगाने में असफल साबित हुआ है और उसने कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं की है।
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार अपने पिछले कार्यकाल के दौरान चुनावी बैंड योजना लेकर आयी और इसका सीधा तथा स्पष्ट मकसद सत्ताधारी दल को चुनाव में फायदा दिलाना था।
कांग्रेस ने कहा है कि देश में राष्ट्रीय चुनाव निधि का गठन किया जाना चाहिए और जिसमें कोई भी व्यक्ति या संगठन अपना योगदान दे सके। इस निधि का पैसा मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों को नियम और दलों के स्तर के अनुसार चुनाव के समय आवंटित किया जाना चाहिए।