जयपुर। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने उनकी पार्टी में कोई मतभेद नहीं बताते हुए कहा है कि वे सब एकजुट हैं और सब एकराय होकर आगामी विधानसभा चुनाव लड़ेंगे और इसमें कर्नाटक मॉडल को अपनाया जाएगा।
गहलोत ने पॉलिटिकल अफेयर्स कमेटी की बैठक के बाद मीडिया से बातचीत में शुक्रवार को यहां यह बात कही। उन्होंने कहा कि चुनाव में राजस्थान के अंदर भी कर्नाटक मॉडल को अपनाया जाएगा। उन्होंने कहा कि चुनाव के लिए उम्मीदवारों की चयन प्रक्रिया शीघ्र शुरु करके सितंबर के अंत या अक्टूबर के शुरु में प्रत्याशियों की एक सूची जारी करने के हमारे प्रयास है। इसी रुप में आगे बढ़ा जाएगा और सबके एकराय एवं एकजुट होकर चुनाव लड़ा जाएगा।
एक सवाल के जवाब में मुख्यमंत्री ने कहा कि पार्टी में कोई मतभेद नहीं है। छोटे मोटे मतभेद कहां नहीं होते है, हम सब की मंशा है कि हमें विधानसभा चुनाव जीतना है, सरकार बनानी है। इसमें सबकी एकराय है और हम सब एकजुट होकर चुनाव लड़ेंगे। मतभेदों की बात को अनावश्यक रूप से फैलाने का प्रयास नहीं किए जाने चाहिए। यह चुनाव राजस्थान का ही चुनाव नहीं है, यह चुनाव देश के भविष्य को लेकर है।
उन्होंने कहा कि पर्यवेक्षक 17 अगस्त को लोकसभा क्षेत्रों में एक साथ जाएंगे, वहां रुकेंगे और स्थानीय नेताओं और कार्यकर्ताओं के साथ बैठकें करेंगे। वे लगातार जिलों में आते रहेंगे और नेताओं एवं कार्यकर्ताओं के साथ बैठकें करेंगे। इसी तरह तीनों सचिव अलग दौरे कर रहे हैं, उनकी अलग भूमिका है।
गहलोत ने कहा कि प्रदेश प्रभारी सुखजिंद्र सिंह रंधावा के सान्निध्य में बैठक होगी और पीसीसी सदस्यों को जिम्मेदारी दी जाएगी। क्षेत्रों में वहां के नेता क्या सोचते हैं, सबकी राय लेकर शार्ट लिस्ट करने के प्रयास किए जाएंगे।
एक अन्य सवाल पर गहलोत ने कहा कि उनका व्यक्तिगत विचार है कि चुनाव आयोग की साख के लिए जरूरी है कि चुनाव आयुक्त की नियुक्ति के लिए चयन समिति में देश के मुख्य न्यायाधीश शामिल हों। समिति से मुख्य न्यायाधीश का नाम क्यों हटा दिया गया और एक मंत्री को प्रधानमंत्री नॉमिनेट करेंगे, तो फिर चुनाव आयोग के मायने क्या रह जाएंगे। उन्होंने कहा कि जो नया कानून आया है, उसमें मुख्य न्यायाधीश का नाम हटा दिया गया है, इससे संदेह पैदा होता है और उच्चत्तम न्यायालय की जो भावना थी, उसकी धज्जियां उड़ाई जा रही है।
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