नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कांग्रेस और उसकी सहयोगी दलों तथा शहरी नकस्लियों पर नागरिकता संशोधन कानून (CAA) और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (NRC) को लेकर देश को तबाह करने के लिए झूठ तथा अफवाह फैलाने का आरोप लगाते हुए रविवार को कहा कि जो हिन्दुस्तान की मिट्टी के मुसलमान हैं, उन्हें सीएए और एनआरसी से कोई लेनादेना नहीं है।
मोदी ने राष्ट्रीय राजधानी के रामलीला मैदान में भारतीय जनता पार्टी की ओर से आयोजित जनसभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि हिन्दुस्तान की मिट्टी के मुसलमान जिनके पूवर्ज मां भारती की संतान हैं, उनका नागरिकता कानून या एनआरसी से कोई लेनादेना नहीं है।
उन्होंने कहा कि मुसलमानों को डिटेंशन केन्द्रों में भेजने की अफवाह फैलायी जा रही है जो सफेद झूठ है। नगारिकता कानून को गरीबों के खिलाफ बताया जा रहा है जबकि वास्तविकता यह है कि पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए शरणार्थी जो वर्षो से देश में रह रहे हैं उन्हें इस कानून का फायदा मिलेगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि कुछ दलित नेता भी इस विवाद में घुस गए हैं। वह उनसे पूछना चाहते हैं कि दलित राजनीति करने वाले लोग इतने दिनों से चुप क्यों थे। अब जब दलितों की समस्याओं का समाधान किया जा रहा है तो उनके पेट में चूहा क्यों कूद रहा है? उन्होंने कहा कि शरणार्थी और घुसपैठिया में अंतर है। घुसपैठिया अपनी पहचान छुपाता है जबकि शरणार्थी अपनी पहचान बताता है। नागरिकता संशोधन कानून किसी की नागरिकता छीनने के लिए नहींं है।
मोदी ने कहा कि नागरिकता संशोधन कानून में शरणार्थियों कों कुछ रियायत दी गई है जो राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की भावना के अनुरुप है। गांधीजी ने कहा था कि जब पाकिस्तान में रहने वाले हिन्दू और सिखों को लगे कि उन्हें भारत आना चाहिए तो उनका स्वागत किया जाना चाहिए। उन्होेंने कहा कि उनकी सरकार अल्पसंख्यकों से किए गए वादे को पूरा कर रही है।
उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने संसद में कहा था कि बांग्लादेश में रहने वाले अल्पसंख्यकों को आस्था की वजह से उत्पीड़ित किया जा रहा है तो उसे नागरिकता दी जानी चाहिए। असम के पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगई ने भी पत्र लिखा था कि बांग्लादेश में अत्याचार के कारण आए लोगों की मदद करनी चाहिए। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी बांग्लादेश से घुसपैठ पर रोक लगाने तथा शरणार्थियों की मदद करने की मांग की थी।
मोदी ने कहा कि नागरिकता संशोधन कानून को लोकसभा और राज्यसभा ने पारित किया है और उसका सम्मान किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह कानून देश के किसी नागरिक के खिलाफ नहीं है। इसका हिन्दू मुसलमान या 130 करोड़ लोगों से कोई लेना देना नहीं है। एनआरसी कांग्रेस के जमानेे में बना था। इस पर न तो कैबिनेट में कोई फैसला नहीं हुआ है, न ही संसद में कोई चर्चा हुई है तथा न ही कोई नियम कायदे बने हैं। उच्चतम न्यायालय के कहने पर असम के लिए एनआरसी का प्रावधान किया गया था।
प्रधानमंत्री ने कहा कि वोट बैंक की राजनीति करने वालों और अपने को भारत का भाग्य विधारता समझने वालों को चुनाव की राजनीति में जनता ने नकार दिया है। पहली बार की तुलना में दूसरी बार प्रचंड बहुमत से उनकी जीत को ऐसे लोग पचा नहीं पा रहे हैं और उन्होंने देश को बांटने के अपने पुराने हथियारों को निकाल लिया है।
उन्होंने कहा कि विपक्ष को माेदी का विरोध करना चाहिए, उन्हें गाली दें, उनके पुतले फूंकें लेकिन देश की सम्पत्ति और गरीबों की झोपड़ी नहीं जलायी जानी चाहिए। गरीब ओटों वालों के साथ मारपीट की जा रही है और ड्यूटी करने वाले पुलिस वालों पर पत्थर बरसाये जा रहे हैं। शरारती तत्वों को समझना चाहिए कि सरकारें बदलती है लेकिन पुलिस किसी का दुश्मन नहीं होती है।
मोदी ने कहा कि आजादी के बाद नागरिकों की हिफाजत में 33000 जवानों ने अपनी शहादत दी है। पुलिस मुश्किल में फंसे लोगों को बचाने के समय उसका जाति या धर्म नहीं पूछती है। उन्होंने कहा कि एक साै साल पुरानी पार्टी देश में हो रही हिंसा को लेकर उपदेश दे रही है लेकिन शांति के एक शब्द बोलने को तैयार नहीं है। यह हिंसा को मौन सहमति है। पुलिस का सम्मान होना चाहिए और यदि उसे परेशान किया जाएगा तो हमारी परेशानी बढेगी।