नई दिल्ली। कांग्रेस ने राज्यसभा के लिए दस उम्मीदवारों के नाम का ऐलान कर समूह 23 के वरिष्ठ नेता गुलामनबी आजाद और आनंद शर्मा के साथ ही टिकट की आस लगाए बैठे अन्य नेताओं को निराश कर असंतुष्ट नेताओं की संख्या और बड़ी कर दी है।
पार्टी के असंतुष्ट खेमे के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि राज्यसभा उम्मीदवारों की पार्टी की सूची ने साबित कर दिया है कि उसके लिए राजनीतिक संतुलन बनाकर चलना कठिन है और चिंतन शिविर के बाद भी उसकी नीति रीति में कोई सुधार नहीं आ रहा है और पार्टी में असंतोष की असली वजह का समाधान नहीं हो पा रहा है।
कांग्रेस ने जिन नेताओं को टिकट दिया है उनमें ज्यादातर को हाईकमान के नजदीक बताया जाता है और कहा जा रहा है कि उन्हें इसी का फायदा मिला है। पार्टी ने राजस्थान से रणदीपसिंह सुरजेवाला, मुकुल वासनिक और प्रमोदी तिवारी को टिकट दिया है और इन तीनों में से कोई भी राजस्थान का रहने वाला नहीं है। राजस्थान में जल्द ही विधानसभा चुनाव भी होने हैं और असंतुष्ट खेमे के ही एक अन्य नेता का कहना है कि यह पार्टी के फायदे का फैसला नहीं है।
उनका कहना है कि असंतुष्ट खेमे के कुछ नेताओं को मौका देने के कयासों को गलत साबित कर पार्टी ने फिर दिखा दिया कि यहां योग्यता नहीं बल्कि परिवार से नजदीकी की ही अहमियत है। असंतुष्ट खेमे की अगुआई करने वाले प्रमुख नेता और कभी पार्टी नेतृत्व के खासमखास रहे गुलाम नबी आजाद को टिकट नहीं दिया गया। इसी खेमे के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा का भी टिकट काटा गया है।
कांग्रेस से राज्यसभा का टिकट पाने की आस लगाए एक नेता ने कहा कि उनके साथ ही पार्टी कई और नेता हैं जिनको उम्मीद थी कि उनको राज्यसभा के लिए भेजा जा सकता है लेकिन उनकी उम्मीदों पर पानी फेरा गया है और इमरान प्रतापगढी जैसे बहुत अपरिचित चेहरे को टिकट दिया गया है। इसी तरह से पार्टी की लीगल सेल के प्रमुख रहे विवेक तंखा को फिर मध्य प्रदेश से राज्यसभा भेजने का टिकट दिया गया है। तंखा उच्चतम न्यायालय के वकील हैं और पार्टी नेता दिग्विजय सिंह के नजदीकी बताए जाते हैं।
टिकट नहीं मिलने पर पार्टी के प्रवक्ता पवन खेड़ा ने भी ट्वीटर पर अपनी व्यथा जाहिर की। उन्होंने कहा कि हमारी तपस्या में कोई कमी रह गई होगी। हमारी 18 साल की तपस्या इमरान प्रतापगढ़ी के आगे कम पड़ गई। इसी तरह की पीड़ा नगमा ने व्यक्त की है।
आजाद और आनंद शर्मा का टिकट कटने की पार्टी के भीतर और बाहर भी जमकर चर्चा हो रही है। पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र की आवाजा उठाने वाले इस गुट के एक प्रमुख सदस्य कपिल सिब्बल पिछले दिनों पार्टी को अलविदा कह दिया और उन्होंने समजावादी पार्टी की साइकिल की सहायता से राज्यसभा का सफर सुनिश्चित कर दिया।
समूह के किसी नेता को भले ही राज्यसभा का टिकट नहीं मिला है लेकिन आजाद और शर्मा को उदयपुर शिविर के बाद 2024 के आम चुनाव के लिए गठित पार्टी की राजनीतिक समिति का सदस्य बनाया गया था। समिति को समय समय पर पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को अपने सुझाव देते रहने को कहा गया है।
पार्टी ने जिन दस नेताओं को राज्यसभा का टिकट दिया है उनमें वरिष्ठ नेता राजीव शुक्ला, रंजीत रंजन, अजय माकन, जयराम रमेश, विवेक तन्खा, इमरान प्रतापगढ़ी, रणदीप सिंह सुरजेवाला, मुकुल वासनिक, प्रमोद तिवारी, पी चिदंबरम शामिल हैं।
गौरतलब है कि राज्यसभा के 10 जून को होने वाले द्विवार्षिक चुनाव के लिए 15 राज्यों की 57 सीटों पर चुनाव होने हैं और इसके लिए 24 मई को अधिसूचना जारी हुई। नामांकन पत्र 31 मई तक भरे जा सकते है और एक जून को नामांकन पत्रों की जांच होगी। तीन जून तक उम्मीदवार नामांकन वापस ले सकते हैं।