अजमेर। महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय में मंगलवार को संविधान दिवस मनाया गया। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता विधि विशेषज्ञ एवं पूर्व प्राचार्य डॉ सीताराम शर्मा ने कहा कि हमारा संविधान विश्व में सबसे बड़ा लिखित संविधान है इसके निर्माण में 2 वर्ष 11 माह 18 दिन लगे जिसे 26 जनवरी 1950 को पूरे देश ने सहर्ष स्वीकार कर लिया।
संविधान में वे सभी शक्तियां निहित है जिसके द्वारा नागरिकों के हितार्थ कोई भी नया कानून बनाया या संशोधित किया जा सकता है! डॉ. शर्मा ने कहा कि संविधान में नागरिकों के अधिकारों व कर्तव्यों को सर्वाधिक महत्व दिया गया है, भारतीय संविधान देश को स्वतंत्र धर्मनिरपेक्ष स्वायत्त भारतीय नागरिकों की सुरक्षित रखने के लिए समानता लिए हुए हैं!
अध्यक्षीय उद्बोधन में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर आरपी सिंह ने कहा विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के संविधान को अंगीकार किए 70 वर्ष हो चुके हैं, हमारे संविधान की विशेषता देखिए की भिन्न-भिन्न भाषाओं, प्रांतों व धर्मों के बावजूद हम सभी देशवासी इस संविधान से एकरूपता से जुड़े हुए हैं।
प्रोफेसर सिंह ने कहा कि हमारा संविधान धर्मनिरपेक्षता के साथ सभी को समानता का अधिकार प्रदान करता है। राजकीय विधि महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. विभा शर्मा ने संविधान में निहित मूलभूत कर्तव्य व नागरिकों को मिले अधिकारों पर चर्चा करते हुए कहा कि हमें यह भी सोचना चाहिए कि राष्ट्र निर्माण में हम किस प्रकार योगदान दे सकते हैं।
अधिष्ठाता छात्र कल्याण प्रोफेसर प्रवीण माथुर ने प्रतिभागियों को संविधान के प्रति सच्ची श्रद्धा व निष्ठा की शपथ दिलाई। कुलसचिव संजय माथुर ने स्वागत भाषण देते हुए कहा कि भारतीय का संविधान वृहद अभिलेख है जो सभी रूपों में अब तक खरा पाया गया है। प्रोफेसर सुभाष चंद्र ने धन्यवाद ज्ञापित किया तथा संचालन डा. लारा शर्मा ने किया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के शिक्षक, अधिकारी, कर्मचारी व विद्यार्थी उपस्थित रहे।