उदयपुर । राजस्थान में जनजाति उपयोजना क्षेत्र में 23 वन उपज के संग्रहण एवं समर्थन मूल्य तय करने हेतु ट्राईफेड एवं राजस संघ के मध्य अनुबंध किया गया है।
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार इसके लिए वन धन विकास केन्द्र की स्थापना की योजना बनाई गई है। इन वनोपज में महुवा बीज,करंज बीज, पुवाड शीड, शहद इत्यादि शामिल हैं। अनुबंध के तहत राज्य में लगभग 86 वन धन विकास केन्द्रों की स्थापना किया जाना प्रस्तावित है। जिसमें 25800 आदिवासी लाभार्थियों को अगले दो तीन वर्षो में प्रशिक्षण देकर जोड़ा जायेगा।
इन सभी वन धन विकास केन्द्रों को अपने केन्द्र पर वनोपजों के प्राथमिक गुण मूल्यवर्धन एवं संग्रहण तथा व्यवसाय करने हेतु कार्यशील पूंजी के रुप में 10 लाख प्रति वन धन विकास केन्द्र को एनएसटीएफडीसी तथा अन्य वित्तीय संस्थाओं द्वारा उपलब्ध कराया जायेगा। इसमें प्रशिक्षण एवं टूलकिट का खर्च जो कि लगभग पन्द्रह लाख प्रति वन धन विकास केन्द्र होगा इसे ट्राईफेड वहन करेगा।
सूत्रों के अनुसार ये सभी कार्य राज्य सरकार की एजेन्सी राजस संघ द्वारा किये जायेगें। इस योजना का निरीक्षण एवं मूल्यांकन जिला स्तरीय कमेटी द्वारा जिला कलेक्टर की अध्यक्षता में किया जायेगा वहीं राज्य स्तर पर राज्य स्तरीय कमेटी द्वारा मुख्य सचिव की अध्यक्षता किया जायेगा।
इन वनोपजों का संग्रहण केन्द्र सरकार द्वारा निर्धारित समर्थन मूल्यों पर हाट बाजार, पंचायत स्तर या वनधन विकास केन्द्र के स्तर पर राजस विकास समूहों, लेम्पस, वन उपज समिति इत्यादि के माध्यम से यह कार्य सम्पादित किया जायेगा।
इस योजना के तहत समूहों या प्राथमिक स्तर की संग्रहण संस्थाओं को वास्तविक मूल्य का साढे सात प्रतिशत बतौर कमीशन दिया जायेगा जिससे समूहों इत्यादि की आर्थिक स्थिति सुधरेगी। इसके अतिरिक्त योजना में यह भी प्रावधान है कि हाट बाजारों का आधुनिकीकरण एवं उन्नयन , प्लेटफार्म का निर्माण, पेयजल इत्यादि की अधोसंरचना एवं सुविधा हेतु प्रति हाट बाजार पांच लाख रुपये का बजट स्वीकृत है।