सबगुरु न्यूज-सिरोही। वसुंधरा राजे सरकार की शुरुआती गलत नीतियों का खामियाजा जनता को दो तरह से भुगतना पड़ रहा है। जनती की जेब तो कट ही रही है, लेकिन टेक्स के माध्यम से उनसे इकट्ठे किये गए राजकोष के धन का भी नुकसान हो रहा है।
बजरी खनन को लेकर राज्य सरकार को मनमानी भी एक ऐसी ही समस्या है। सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार काम नही किया। अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश से राजस्थान में बजरी खनन पर रोक है। लोगों को मकान बनाना भारी पड़ रहा है तो सरकार के विकास कार्यों में भी रोड़े आ गए। इसके तोड़ के रूप में क्रशर डस्ट का इस्तेमाल सरकारी काम में किया जा रहा है। जिससे काम की गुणवत्ता भी प्रभावित होगी।
-गौरव पथ के लिए लाए क्रशर डस्ट
बजरी के अभाव में ठेकेदार गौरव पथ में भी क्रशर डस्ट के इस्तेमाल कर रहे हैं। माकरोडा में गौरव पथ का निर्माण के लिए मिक्सर प्लांट तो लगाया है, लेकिन बजरी के अभाव में यहीं पर कई ट्रोले क्रशर दसुत भी एकत्रित की है। गांव के सरपंच के पति ने बताया कि बजरी के अभाव में क्रशर डस्ट लाये हैं। उनका कहना था कि बजरी की समस्या सामने आई है तो जिला कलेक्टर से मिलकर इसके निराकरण की बात करेंगे।वैसे अभी यहां काम शुरू होना बाकी है, ऐसे में बजरी की उपलब्धता हो जाती है तो उसका उपयोग किया जा सकता है।
बजरी से सस्ती और आसानी से उपलब्ध हो रही है डस्ट
क्रशर डस्ट बजरी से आसानी से और सस्ते में भी उपलब्ध हो जा रही है। क्रशर डस्ट एक तरह से वेस्ट मटेरियल है। क्रशर मालिक इसे सिर्फ ट्रांसपोर्टेशन चार्ज पर पंहुचा देते हैं। इसके विपरीत बजरी खनन पर रोक होने के कारण ये ब्लेक में मिल रही है। जो घरेलू और व्यावसायिक कामों के साथ सरकारी और जनहित के कामों पर भी भारी पड़ रही है।