सबगुरु न्यूज-सिरोही। सिंबल को लेकर भाजपा और कांग्रेस दोनों में ही खींचतान थी। जो सोमवार को अंतिम समय तक दिखी। भाजपाई तो फिर भी सिंबल देने के लिए सिरोही जिला कलेक्ट्री तक पहुंच गए, लेकिन कांग्रेस का कोई बड़ा नेता जिला परिषद का सिंबल देने नहीं पहुंचा। कलेक्ट्रेट में इसे व्यंग्य में जोधपुर मॉडल की पुनरावृत्ति के प्रति सावधानी बताया जा रहा था ।
कांग्रेस के नेता भले ही कांग्रेस में टिकिट वितरण को लेकर किसी तरह की कोई खींचतान नहीं होने का दावा करते रहे हों। लेकिन, सोमवार को टिकिट वितरण के दौरान की जो खींचतान कांग्रेस में चर्चा का विषय बनी हुई थी वो रात तक कांग्रेस समेत भाजपा कार्यकर्ताओं और दावेदारों के बीच चर्चा का प्रमुख मुद्दा बन गया था।
राजनीतिक चकल्लस का लब्बोलुआब यूँ है कि सिरोही विधायक संयम लोढ़ा का दांव हरीश चौधरी हैं। उन्हें लोढ़ा की सरपरस्ती में जिला प्रमुख पद का प्रमुख दावेदार माना जा रहा है। इनके कारणों की चर्चा चुनावों के दौरान होती रहेगी। चकल्लस ये है कि हरीश चौधरी के टिकिट के लिए सिरोही में कांग्रेस के दूसरे गुटों ने सख्त आपत्ति जता दी थी। मामला कई घण्टे तक खिंचा।
चर्चा तो ये भी है कि दूसरे गुट हरीश चौधरी को छोड़कर हर किसी को टिकिट देने को तैयार थे। ऐसे में इस प्रकरण में जब दिल्ली के राजस्थान आये नेता का भी हस्तक्षेप हुआ तो पर्यवेक्षक के भी हाथ बन्ध गए। चर्चा ये है कि चौधरी के टिकिट के लिए अंततः जयपुर को हस्तक्षेप करना पड़ा। वार्ड 11 के सिंबल पर हरीश चौधरी का नाम लिख गया। लेकिन, समस्या का अंत ये ही नहीं था।
चर्चा ये भी है कि कांग्रेस में इतने पर भी अविश्वास का आलम ये था कि अभी भी चौधरी के सरपरस्त नेता को वो एक्स्ट्रा सिंबल खटक रहे थे जो आम तौर पर प्रदेश द्वारा पर्यवेक्षकों के साथ भेजे जाते हैं। कलेक्टरी की चकल्लस ये भी थी कि जोधपुर मॉडल की आशंका से कांग्रेस का कोई बड़ा नेता जिला परिषद के सिंबल जमा करवाने नहीं पहुंचा। सिंबल जमा करने के अंतिम समय निकट आने पर सिरोही विधायक संयम लोढ़ा के पुत्र के माध्यम से सिंबल जमा करवाने भेजा गया।
सूत्रों के अनुसार उनके साथ जो अन्य व्यक्ति थे वो प्रदेश पर्यवेक्षक के सहयोगी बताये जा रहे थे। ये बात अलग है कि संयम लोढ़ा शिवगंज पंचायत समिति के सिम्बल सौंपने शिवगंज जरूर पंहुँचे थे। सिरोही पंचायत समिति के सिम्बल सिरोही ब्लॉक अध्यक्ष ने सौंपे थे।
अंदरखाने जो चर्चा है उसके अनुसार अंतिम समय पर सिम्बल जमा करवाने की एक वजह वो एक्स्ट्रा खाली सिंबल थे। लोढ़ा गुट इस संभावना की कोई जगह नहीं छोड़ना चाहता था कि सिम्बल जिला निर्वाचन अधिकारी को थमाने के बाद कोई इन अतिरिक्त खाली सिम्बल में नाम बदलकर जिला निर्वाचन अधिकारी को दे आये। अंतिम समय पर सिम्बल जमा करवाने की एक वजह ये भी बताई जा रही है कि समय निकलने के बाद खाली एक्स्ट्रा सिम्बल रद्दी कागज से ज्यादा कुछ नहीं थे।
फिलहाल, लोढ़ा के करीबी और जिला प्रमुख के दावेदार माने जा रहे हरीश चौधरी का टिकिट कांग्रेस के तीन बार से लगातार जिला परिषद सदस्य रहे पुखराज गहलोत का टिकिट काटकर दिया गया है। यहीं से कांग्रेस के वरिष्ठ सदस्य हीरालाल अग्रवाल भी टिकिट मांग रहे थे। ये एक ऐसे सदस्य थे जिनके परिवार के तीन सदस्य टिकिट मांग रहे थे।
कभी नीरज डांगी के करीब रहकर आबूरोड यूआईटी के अध्यक्ष पद पर पंहुँचे हरीश चौधरी, फिलहाल संयम लोढ़ा के माध्यम से जिला प्रमुख पद पर पहुंचने की ओर अग्रसर हैं। पूर्व जिला प्रमुख चंदन सिंह की दावेदारी के सबसे बड़े चैलेंजर भी।
सिरोही और शिवगंज पंचायत समिति के टिकिट में जीवाराम के गुट की तरजीह नजर नहीं आती। सूत्रों की मानें तो पंचायत टिकिट वितरण के बाद जीवाराम गुट का असंतोष पर्यवेक्षक के समक्ष भी झलका। पूर्व जिला प्रमुख अनाराम बोराणा को भी टिकिट नहीं दिया गया।
इस वार्ड में मतदाता काँग्रेस के हैं, लेकिन जातीय मतदाताओं की संख्या नगण्य होने के बाद भी कई जातीय नेताओं को दरकिनार करके लोढ़ा ने ये सुरक्षित सीट चौधरी को दिलवाई। ऐसे में जिस तरह भाजपा के असंतुष्टों की वक्रदृष्टि वार्ड 5 पर है वैसे ही कांग्रेस के असंतुष्टों की वक्रदृष्टि वार्ड 11 पर।