-परीक्षित मिश्रा
सबगुरु न्यूज-सिरोही। कोरोना टेस्टिंग के लिए माइक्रो बायलॉजी लैब के उद्घाटन के दौरान इतनी ज्यादा सोशल डिस्टेंसिंग थी कि हवा को भी नेताओं और अधिकारियों को कहना पड़ा होगा कि ‘प्रभु थोडा जाने का रास्ता तो दे देते।’
जो हालात यहां देखने को मिले उससे ऐसा लग रहा था कि जिले से कोविड जांच लैब खुलते ही कोविड 19 का कोरोना और उसका संक्रमण गायब हो गया है। हो भी क्यों ना सत्ता और प्रशासन एकसाथ थे और उस पर समर्थकों का मजमा अच्छी अच्छी मुसीबत पास आने से घबराए फिर ये तो कोरोना का संक्रमण था।
जिला प्रशासन ने जिले में किराने की दुकान पर जाने वाले सामान्य व्यक्ति की एंट्री की भी व्यवस्था की हुई है और सोशल डिस्टेंसिंग नहीं रखने पर चालान भी कट रहे हैं। लेकिन कोरोना लैब के उद्घटान के दौरान कोरोना वायरस को चेतावनी दे रखी थी कि ‘जब हम चिपकेंगे उस समय तू हमारे चिपक गया तो समझ लो बेटा ऐसा उलझायेंगे कि कहीं चिपकने लायक नहीं रहेगा।’
कोरोना वायरस भी बेचारा आतंकित हो गया, वैसे ही जैसे बिना मास्क के जाने और सामान्य व्यक्ति सड़क और पुलिस को देखकर हो जाते हैं।
सत्ता के सभी केंद्र बिंदुओं के आने की सूचना पर पहले लैब के 400 मीटर दूर सारणेश्वर दरवाजे के कोने में ही खड़ा हो गया। लैब की तरफ जाते हुए मुझे वहीं मिल गया। कारण पूछने पर बोला, ‘भाई उद्घाटन है, फ़ोटो में सबका चेहरा आना जरूरी है, फ्रेम में आने के चक्कर में सभी नेता ऐसा कुचल देंगे कि फिर लैब में सेम्पल के लिए जाने के लिए मुझमे जान नहीं बचेगी। इसलिए जान बचाकर यहां खड़ा हूँ।’
बोला ‘भाई, ‘साहब’ के साथ फोटो का ‘क्रेज’ उनके मातहत नेताओं में इतना रहता है कि वो अपनी और दूसरों की ‘क्रीज’ खराब करने से भी नहीं चूकते। ये तो गनीमत है कि इन मातहतों में हम वायरसो वाला होस्ट सेल के अंदर घुस जाने का गुण नहीं है वरना ये फ़ोटो के लिए साहब पर लद जाते।’ आगेे बोला ‘जब आया था तो जिले में दिल्ली में सत्तासीन नेताओं के मातहत आबूरोड में मुझे कुचल रहे थे तो अब जयपुर की सत्ता के प्रतिनिधि सिरोही में।’
बोला ‘मीडिया में मेरी चर्चा मेरे विस्तार से और नेताओं की फ़ोटो फ्रेम में आ जाने की संकुचन के गुण से है। क्योंकि नाम का क्या है, तुम लोग उड़ा देते हो। साहब के एकदम चिपक कर फ़ोटो खिंचवा दी तो हम वैसे ही नहीं उड़ पाएंगे।’
विश्व भ्रमण से मिला अनुभव बांटते हुए बोला ‘ 6 महीने में दुनिया घूमकर के एक ही बात जानी है हम वायरस हों या व्यवस्था अपने म्यूटेंट को चेंज करने के गुण के कारण आम आदमी को पीड़ा दे सकते हैं, ये गुण गायब हो गए तो न पीड़ा रहेगी ना आम आदमी से खेलने की क्रीड़ा। हमारा खौफ दिखाकर इन लोगों ने बरातें तक रुकवा दी,लेकिन इनके मजमे मुझे कुंठित कर दे रहे हैं । असल में कोरोना को अवसर में तब्दील करने का गुण दिल्ली से सिरोही तक के हर नेता में है। इसलिए तुम भी आम आदमी की तरह कायदे में रहोगे तो फायदे में रहोगे। लगता है नोयडा के ऑफिसों में मेरे कहर को भूल गए।’ इसके बाद ‘दोस्ती बनी रहे’ वाला डायलॉग याद आ गया तो इंटरव्यू अधूरा छोड़कर अपन भी उल्टे पाँव लौट लिए।