नई दिल्ली। दिल्ली पुलिस ने कोरोना वायरस के बढ़ते खतरों और राजधानी में लगी धारा 144 के मद्देनजर मंगलवार सुबह नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ पिछले तीन महीने से अधिक समय से शाहीन बाग, हौजरानी, जफराबाद समेत आठ स्थानों पर जारी विरोध प्रदर्शन को खत्म कर प्रदर्शन स्थल को खाली करा लिया है।
दक्षिण पूर्वी दिल्ली के पुलिस उपायुक्त राजेन्द्र प्रसाद मीना ने बताया कि सुबह शाहीन बाग में मौजूद प्रदर्शनकारियों से धरनास्थल खाली करने की अपील की गई, लेकिन वे नहीं माने। उसके बाद पुलिस द्वारा धरनास्थल को खाली करा दिया गया है और मौके से कुछ प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया गया है।
शाहीन बाग, जामिया मिल्लिया इस्लामिया, हौज रानी समेत आठ प्रदर्शनस्थलों को खाली कराया गया है। हालांकि बाकी जगहों से किसी को हिरासत में नहीं लिया गया है। फिलहाल दिल्ली में नागरिकता कानून और एनआरसी के विरोध में चल रहे सभी धरनास्थल खाली हो गए हैं।
शाहीन बाग प्रदर्शन में शुरुआती दिनों से जुड़ी महिलाओं ने कहा कि पुलिस ने सर्वोच्च अदालत की अवमानना करके जबरन प्रदर्शन स्थल को खाली कराया गया है। यह मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है इसलिए किसी प्रकार की कार्रवाई से पहले अदालत के फैसले का इन्तेजार करना चाहिए था। सरकार के लॉकडाउन का पूरा पालन किया जा रहा था।
प्रदर्शनस्थल पर सिर्फ पांच महिलाएं मौजूद रहती थी लेकिन पुलिस को प्रदर्शनकारियों को हटाने का सिर्फ एक बहाना चाहिए था। पुलिस ने कोरोना संक्रमण का बहाना बनाकर बलपूर्वक स्थल को खाली करा लिया है।
उन्होंने कहा कि कोरोना संक्रमण पर पूरी तरह नियंत्रण पाने के बाद नागरिकता संशोधन कानून, राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर के खिलाफ उनका विरोध प्रदर्शन फिर से उसी स्थान पर शुरू किया जाएगा। काले कानून के वापस होने तक विरोध जारी रहेगा।
गौरतलब है कि सीएए, एनआरसी और एनपीआर के खिलाफ शाहीन बाग में 100 दिनों से प्रदर्शन चल रहा था। पुलिस के साथ साथ सुप्रीम कोर्ट की तरफ से नियुक्त किए गए वार्ताकारों के निरंतर प्रयास के बावजूद महिलाएं अपनी मांगों को लेकर अड़ी हुई थी।
उल्लेखनीय है कि देश में कोरोना वायरस ‘कोविड-19’ के संक्रमण से अब तक नौ लोगों की मौत हो चुकी है जबकि संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़कर 492 हो गई है। इसके बढ़ते खतरों को देखते हुए 19 राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों को लॉकडाउन किया गया है।