जयपुर। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सक्षम लोगों से अनुरोध करते हुए कहा कि वे संकट की इस घड़ी में अपने परिवार के साथ ही दो गरीबों के लिए भी भोजन की व्यवस्था करे।
गहलाेत ने बुधवार को कोर ग्रुप एवं वार रूम के अधिकारियों के साथ वीडियो कांफ्रेंस के जरिए राज्य में कोरोना वायरस की स्थिति की समीक्षा की। उन्होंने कहा कि सरकार की सबसे बड़ी प्राथमिकता है कि आपूर्ति बाधित नहीं हो, आवश्यक वस्तुओं की दुकानें खुलें।
इसके लिए जरूरी है कि फल-सब्जी तथा खाद्य सामग्री की आपूर्ति करने वाले ट्रकों को नहीं रोका जाए। साथ ही जहां तक संभव हो फल-सब्जी तथा आवश्यक वस्तुओं को घर पर ही पहुंचाना सुनिश्चित किया जाए।
उन्होंने कहा कि गरीबों, जरूरतमंदों और दिहाड़ी पर अपना जीवन-यापन करने वालों को भोजन उपलब्ध कराने के लिए अक्षय पात्र, मंदिर ट्रस्टों, मिड डे मील पकाने वाले स्वयं सहायता समूहों का सहयोग लिया जाए।
गहलोत ने स्पष्ट किया कि मंडियों में अनाज की खरीद-फरोख्त पर कोई रोक नहीं है, सिर्फ न्यूनतम समर्थन मूल्य पर होने वाली खरीद एवं पंजीकरण को स्थगित किया गया है। उन्होंने निर्देश दिए कि परस्पर दूरी को सुनिश्चित करते हुए मंडियों में कृषि जिंसों के खरीद-बेचान को जारी रखें।
गहलोत ने कहा कि इंसान के साथ-साथ गाय, भेड़, बकरी सहित अन्य मूक पशुओं की जान की भी हमें परवाह करनी है। लॉकडाउन के कारण मूक पशु-पक्षियों को दाना एवं चारा-पानी नहीं मिल पा रहा है। ऐसे में उनके जीवन पर संकट आ गया है। पशु-पक्षियों के लिए दाना-पानी की व्यवस्था हमारी संस्कृति का अंग है।
ऐसे में स्वयंसेवी एवं धार्मिक संस्थाओं एवं उदारमना लोग आगे आकर इन मूक पशु-पक्षियों के दाना-पानी की जिम्मेदारी उठाएं। उन्होंने निर्देश दिए कि गौशालाओं में चारे-पानी की व्यवस्था करने वाले लोगों को लॉकडाउन के दौरान सुगमता से परमिट दिए जाएं।
वीडियो कांफ्रेंस में बताया गया कि गुजरात सीमा से बड़ी संख्या में लोग सीमावर्ती जिलों में आ रहे हैं। ऐसे लोगों को स्क्रीनिंग के बाद ही गंतव्य तक जाने दिया जाए। इन लोगों के आइसोलेशन की भी पुख्ता व्यवस्था सुनिश्चित की जाए।